March 2024_DA | Page 34

fo ' ks " k

डा . आंबेडकर का लक्ष्य था हहथिदू समाज का सशक्ीकरण

o

र्तमान समय में राजनीतिक सुविधा के हिसाब से हर कोई डा . भीमराव आंबेडकर को अपने अपने तरीके से परिभाषित करने में लगा हुआ है , कुछ उनिें देवता बनाने में लगे हैं तो कुछ उनिें केवल दलितों की बपौती मानते हैं और कई उनिें हिनदुओं
के विरोधी नायक के रूप में रखते हैं । कुछ लोग तो डा . आंबेडकर के धर्म-परिवर्तन के सही मर्म को समझे बिना ही आज दलितों को हिंदुओं से अलग कर उनिें एक धर्म के रूप में रखने की मांग करने लगे हैं ।
कोई इस पर बात ही नहीं करना चाहता कि
डा . आंबेडकर का पूरा संघर्ष हिंदू समाज ओर राष्ट्र के सशकतीकरण का ही था । डा . आंबेडकर के चिनतन और दृष्टि को समझने के लिए यह ध्ान रखना जरूरी है कि वह अपने चिनतन में कहीं भी दुराग्िी नहीं है । उनके चिनतन में जड़ता नहीं है । उनका दर्शन समाज को गतिमान बनाए
34 ekpZ 2024