March 2024_DA | Page 32

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अलावा ऐसे लोगों को जटिल प्रलरिया से मुसकत मिलेगी और जलद भारत की नागरिकता मिलेगी । इसके लिए भारत में एक से लेकर 6 साल तक की रिहाइश की ही जरूरत होगी । हालांकि अन् लोगों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने को 11 साल भारत में रहना जरूरी है ।
क्ा इसका अर्थ यह है कि पाकिसतान , बांगिादेश और अफगानिसतान के मुससिम कभी भारत की नागरिकता नहीं ले सकेंगे ?
आंकड़ों के मुताबिक भारत-बांगिादेश सीमा के निर्धारण के बाद से 14,864 बांगिादेशी लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई । इनमें कई हजार लोग मुससिम समुदाय के भी थे ।
क्या इन तीन देशों से गैर-कयानूनी रूप से भयाित आए मुससलम अप्रवयाकस्ों को नयागरिकतया संशोधन कयानून के अंतर्गत वयापस भेजया जयाएगया ?
नहीं । नागरिकता संशोधन कानून का किसी
गई कानूनी प्रलरिया है जो सथानीय पुलिस अथवा प्रशासनिक प्राधिकारियों द्ारा गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए की गई जांच के बाद तैयार की गई है । इस बात का ध्ान रखा गया है कि ऐसे गैरकानूनी विदेशी को उसके देश के दूतावास / उच्ा्ोग ने उचित यात्ा दसतावेज दिए गए हों ताकि जब उनिें डिपोर्ट किया जाए तो उनके देश के अधिकारियों द्ारा उनिें सही प्रकार से रिसीव किया जा सके ।
नहीं । नागरिकता कानून की धारा-6 में किसी भी विदेशी व्सकत के लिए नैचरलाइजेशन के जरिए भारतीय नागरिकता हासिल करने का प्रावधान है । इसके अलावा कानून की धारा-5 के तहत भी रलजसट्रेशन कराया जा सकता है । यह दोनों ही प्रावधान जस के तस मौजूद हैं । बीते कुछ सालों में भी इन तीनों देशों से आने वाले सैकड़ों मुससिमों को इनिीं प्रावधानों के तहत भारत की नागरिकता दी गई है । भविष्य में भी यदि योग् पाए जाते हैं तो ऐसे लोगों को नागरिकता दी जाएगी । इसके लिए उनका धर्म या फिर संख्ा मायने नहीं रखती । 2014 के
भी विदेशी को भारत से बाहर भेजने से कोई लेना-देना नहीं है । किसी भी विदेशी नागरिक को देश से बाहर भेजने , चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो , की प्रलरिया फॉरनर्स ऐकर 1946 और / अथवा पासपोर्ट ( भारत में प्रवेश ) ऐकर 1920 के तहत की जाती है । ये दोनों कानून , सभी विदेशियों- चाहे वे किसी भी देश अथवा धर्म के हों , देश में प्रवेश करने , रिहाइश , भारत में घूमने- फिरने और देश से बाहर जाने की प्रलरिया को देखते हैं । इसलिए सामान् निर्वासन प्रलरिया सिर्फ गैरकानूनी रूप से भारत में रह रहे विदेशियों पर लागू होगी । यह पूरी तरह सोच-समझ कर बनाई
असल में , ऐसे लोगों को देश से बाहर भेजने की प्रलरिया तभी शुरू होगी जब कोई व्सकत को द फॉरनर्स ऐकर-1946 के तहत ' विदेशी ' साबित हो जाएगा । इसलिए पूरी प्रलरिया में सविालित , मशीनी या भेदभावपूर्ण नहीं है । राज् सरकारों और उनके जिला प्रशासन के पास फॉरनर्स ऐकर के सेकशन 3 और पासपोर्ट ( भारत में प्रवेश ) ऐकर 1920 के सेकशन 5 के तहत केंद् सरकार द्ारा प्रदुत् शसकत्ां होती हैं , जिससे वे गैरकानूनी रूप से रह रहे विदेशी की पहचान कर सकता है , हिरासत में रख सकता है और उसके देश भेज सकता है ।
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