March 2024_DA | Page 3

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लाखों दलितों को राहत देगा नागरिकता कानून

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रीब दलित-वंचित जनता के हितों के लिए राजनीति करने वाले तथाकथित राजनेताओं एवं राजनीतिक दलों का वासतलवक चेहरा सामने आने लगा है । दशकों से दलित-वंचित वर्ग के कल्ाण का दावा करने वाले यह सभी ततव उस नागरिकता ( संशोधन ) कानून-2919 का लगातार विरोध कर रहे हैं , जिस कानून के लागू होने की प्रलरिया लगभग पांच वर्ष बाद अब पूरी हो चुकी है । केंद्ी् गृह मंत्ाि् ने नागरिकता ( संशोधन ) अधिनियम - 2019 से जुड़े अधिनियमों को अधिसूचित करने के साथ ही देश में नागरिकता संशोधन कानून देश में लागू हो गया है । नया कानून पाकिसतान , बांगिादेश , अफगानिसतान से दसतावेज के बिना आने वाले हिनदू अलपसंख्कों को भारत की नागरिकता देगा । 31 दिसंबर 2014 तक भारत आने वाले हिनदू , सिख , जैन , बौद्ध , पारसी और ईसाई नागरिकों को अब भारत की सथा्ी नागरिकता मिलेगी । यह कानून तीनों देश के उन हिनदू नागरिकों को राहत देगा , जिनमें से अधिकांश दलित-वंचित वर्ग के हैं ।
यह वह हिनदू भी हैं , जिनिें दशकों से मुससिम समुदाय द्ारा प्रताड़ित किया जा रहा था । उनके सामने ऐसी ससथलत्ां पैदा की गई , जिनके कारण लाखों दलित-वंचित लोगों की हत्ा हुई , लाखों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर होना पड़ा । लेकिन सत् यह भी है लाखों दलित-वंचित लोगों ने क्रूर यातनाओं , प्रताड़ना , उतपीड़न के बावजूद न तो धर्म परिवर्तन किया और न ही किसी तरह का समझौता किया । नए नागरिकता कानून ने इन सवालभमानी दलित-वंचित हिनदुओं को अपनी भूमि पर वापस आने का अवसर दिया है । इतना ही नहीं , यह कानून सिख , जैन , बौद्ध , पारसी और ईसाई वर्ग के उन नागरिकों को भी राहत देगा , जिनिोंने प्रताड़ित होने के बाद भी मुससिम सत्ा के सामने झुकने से इंकार कर दिया है । नए कानून में तीनों देशों के अलपसंख्कों को भारत में नागरिकता देने की समपूण्ग प्रलरिया ऑनलाइन होगी , जिसके लिए गृहमंत्ाि् ने एक पोर्टल प्रारमभ कर दिया है ।
प्रश्न यह भी है कि नागरिकता ( संसोधन ) कानून जब संसद में 2019 में पारित हो गया था और ततकािीन राष्ट्रपति ने इस कानून को सवीकृति भी दे दी थी , तो कानून से जुड़े अधिनियमों को लागू करने में लगभग पांच वर्ष का समय क्ों लगा ? उत्र बहुत ही सपष्र है और इसके माध्म से गरीब-दलित- वंचित के कल्ाण एवं हितों को पूरा करने का दावा करने वाले राजनेताओं के चेहरे से नकाब भी उतर गया है । साथ ही देश की जनता को भी समझ आ गया है कि मोदी सरकार ही वासतव में दलितों की हितैषी है । दलित वर्ग के कल्ाण से जुडी सैकड़ों योजनाओं ने गरीब , दलित , वंचित जनता को जहां वासतव में
राहत प्रदान की है , वहीं मोदी सरकार ने अब अफगानिसतान , पाकिसतान और बांगिादेश से धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर भारत आए लाखों हिनदू दलितों को भारतीय नागरिकता देने का निर्णय लेकर गले लगाया है ।
नागरिकता संशोधन कानून-2019 का विरोध जिस तरह से कुछ दलित नेता कर रहे हैं , वह उनकी नासमझी के अलावा कुछ नहीं है । कांग्ेस , बसपा , सपा , वामपंथी एवं अन् कुछ क्ेत्ी् राजनीतिक पारटी अपने मुससिम वोट बैंक के लालच में इतना गिर सकती हैं , यह भारतीय विपक्ी राजनीतिक दलों के पतन का एक जीता-जागता सवरूप है । हैरत की बात तो यह भी है कि दलित कल्ाण का दावा करने वाले नेताओं के विरोध के कारण को सव्ं दलित समाज भी नहीं समझ पाया है । नए नागरिकता कानून से भारत के किसी भी नागरिक का कुछ लेना-देना नहीं है । इसके साथ ही मुससिम समुदाय द्ारा किया जा रहा विरोध एवं उनके नेताओं द्ारा नागरिकता संशोधन कानून के प्रति दुराग्ि भी भी समझ से परे है ।
डा . भीमराव आंबेडकर ने इसिाम को गैर राष्ट्रीयता की दृष्टि से देखा थाI इसीलिए भारत के बंटवारे के समय वह चाहते थे कि जनसंख्ा का पूर्ण रूप से अदला-बदली हो । लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसके नकारातमक परिणाम अब सामने आ रहे हैं । अपने राजनीतिक सवाथ्ग एवं हित के लिए सोशल मीडिया के माध्म से आम जनता को बरगलाने की कोशिश पिछले पांच वर्ष से लगातार जारी है और नागरिकता कानून को ऐसे प्रसतुत किया जा रहा है , जैसे यह अलपसंख्कों के विरुद्ध है , जबकि नए कानून का देश की जनता के कोई समबनध नहीं है । समझना होगा कि नागरिकता संशोधन कानून भारत के तीन पडोसी देशों से आने वाले हिनदू अलपसंख्कों को भारत की नागरिकता देने के उद्ेश् के लागू किया गया है ।
विशेष रूप से मुससिम समुदाय को भ्रमित करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से यह प्रचारित किया जा रहा है कि इस कानून से उनकी नागरिकता समापत कर दी जाएगी , जबकि वासतलवकता में इस कानून का भारत में रहने वाले किसी भी वर्ग से कोई लेना-देना ही नहीं है । ऐसे में मुससिम समुदाय को समझना ही होगा कि कुछ राजनीतिक दल उनके हितों के नाम पर अपने हितों को पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं । इसलिए वह मुससिम समुदाय को नए कानून के नाम पर भड़काने की चेष्टा भी लगातार करते आ रहे हैं । जबकि नया कानून तीन मुससिम बाहुल् देशों ने आने वाले लाखों गरीब दलित-वंचित शरणार्थियों के लिए नई सुबह का नया उजाला लेकर आया है । इसके लिए प्रधानमंत्ी नरेंद् मोदी एवं गृहमंत्ी अमित शाह को साधुवाद ...
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