सममेलन के दो सत्ों में चलता गयता । पहले सत् कता, जो 12.11.1930 और 1.12.1931 के बरीच हतुआ थता, कतांग्ेस ने बक्हष्कार क्कयता थता । द्वितरीय सत्, में कतांग्ेस ने गतांधरी जरी के नेतृत्व में क्हस्सा क्लयता, जो 7.9.1930 के लेकर 1.12.1931 तक चलता थता । पहले गोलमेज सममेलन में आंबेडकर ने एक राष्ट्रभकत के रूप में तथता दक्लत वर्गों के सबसे बड़े क्हतैषरी रूप में अपनरी अक्भवयसकत देते हतुए कहता क्क भतारत में सभरी असपृशय " ्वहतां ्वत्णमतान दरतरकताररी सरकतार को जनतता करी सरकतार, जनतता के क्लए और जनतता. द्वारता चतुनरी हतुई सरकतार " के द्वारता बदलने के क्लए कताय्ण कर रहे हैं । उन्होंने एक ऐसे संक््वधतान करी मतांग करी क्जसमें एक उत्रदतायरी तथता प्रक्तनक्धत्व करने ्वतालरी सरकतार करी व्यवस्था हो और जो लोगों को स्वरीकताय्ण हो । उन्होंने कहता " मतुझे इसकता भय है क्क इस बतात को पयता्णपत रूप से नहीं समझता गयता है क्क कोई भरी संक््वधतान जो बहतुसंखय लोगों को स्वरीकताय्ण नहीं है, सतुचतारू रूप से कताय्ण कर सकेगता । ्वह समय कभरी ्वतापस न आने के क्लए चलता गयता है, जब आप चयन करते थे और भतारत को उसे स्वरीकतार करनता पड़तता थता । अगर आप चताहते है क्क इसकता क्नमता्णण अच्छी तरह से क्कयता जता सके तो आइए तर्क कता सहतारता न लेकर लोगों करी स्वरीकृक्त को हम अपने नए संक््वधतान करी कसलौिरी मतानें ।
दक्लत ्वग्ण के नेतता के रूप में उन्होंने उनको रताजनरीक्तक शसकत प्रदतान कता इस प्रकतार शबदों में आग्ह क्कयता । हमें अकसर यह समरण करतायता जतातता है क्क दक्लत ्वग्ण के लोगों करी समस्या एक सतामताक्जक समस्या है और इसकता समताधतान रताजनरीक्त में न होकर, कहीं और क्छपता हतुआ है । हम इस दृसषिकोण कता कड़ा क््वरोध करते हैं । हमतारता यह क््वचतार है क्क दक्लत ्वग्ण के लोगों करी समस्या कता समताधतान तब तक नहीं हो सकेगता जब तक क्क स्वयं उनके हताथ में रताजनरीक्तक शसकतयतां प्रदतान नहीं करी जतातरी है ।
आंबेडकर दूसरता गोलमेज सममेलन शतुरू होने से पू्व्ण गतांधरी जरी से क्मले थे । महतादे्व देसताई ने रिकताड्ट क्कयता है क्क बैठक के पश्चात गतांधरी जरी को दूसरे गोलमेज सममेलन में भताग लेने हेततु
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