Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 2

संपादक की कलम से...
विगत अप्रैल माह में भारतीय संविधान वनम ाता बाबा साहब डॉ. भीमराि की 125िीं जयंती को सम्पूर्ा विश्व में मनाया गया. हमारा समाज आज अनेक सामावजक और राजनैवतक विसंगवतयों के विषम दौर से गुजर रहा है । समाज के प्रत्येक क्षेत्र में जीिन मूल्य आज हाविए पर पह ुँच गए हैं । ितामान में नैवतक मूल्यों में हो रहे विचलन को समझने औऱ उसके वनराकरर् के वलए डॉ अम्बेडकर का नैवतक दिान उपयोगी सावबत हो सकता है । हमें बाबा साहब के जीिन संघषा से उपजे उनके विचारों को आत्मसात करने की आिश्यकता है. सामावजक न्यायस सामावजक समानता तब तक नहीं आ सकती जब तक देि का बहजन समाज अपने अवधकारों के प्रवत सचेत न हो. यवद देि की अवधकतम आबादी को हजारों िषों के िोषर् की दीिारों को ध्िस्त करना है तो आिाज़ उठानी होगी िक्त आए तो लड़ना भी होगा. बाबा साहब ने सम्पूर्ा समाज को एक वदिा दी उनके वदखाए रास्तों पर यवद हम सही अर्थों में चले तो वनवित ही एक स्िस्र्थ समाज का स्िप्न हकीकत में बदल सकता है.
जनकृ वत अंतरराष्ट्रीय पवत्रका का अप्रैल अंक हम बाबा साहब की 125िीं जयंती पर उन्हें समवपात कर रहे हैं. इस अंक में बाबा साहब के जीिन, उनके विचारों पर के वन्ित आलेखों को प्रकावित वकया गया है इसके सार्थ-सार्थ विवभन्न समावजक विषयों पर के वन्ित रचनाओं एिं लेखों को स्र्थान वदया गया है. हम जनकृ वत के माध्यम से वनरंतर प्रयास करते हैं वक सामावजक पहलुओं पर चच ा करते रहें और एक स्िस्र्थ समाज के वनम ार् में योगदान देते रहे.
धन्यिाद!
कु मार गौरव ममश्रा
जनकृ ति( तिमर्श कें तिि अंिरराष्ट्रीय मातिक Vol. 2, issue. 14, April 2016
साहिहययक हवमर्ष( कहवता, नवगीत, क समीक्षा) कहवता िंदना गुप्ता( कतििा), र्ैलेन्द्ि चौहान( कति क्ांति( कतििा), प्रोतमला काज़ी( कतििा), पंक नाम देि( कतििा), तमतिलेर् कु मार राय( क हेमलिा यादि( कतििा), गीिा पंतडि( कतिि कं धिे( कतििा), अरतिंद भारिी( कतििा), अ अटल राम चिुिेदी( कतििा), िौरभ गुप्ता‘ नी
किानी मााँ कै िी हो: िुरेखा र्माश( कहानी) िेल्िमेन: र्ोभा जैन( कहानी) तमितिट: िुर्ांि िुतप्रय( कहानी)
लघुकथा औरिें: डॉ. पुष्ट्पलिा( लघुकिा) पगला: प्रदीप कु मार िाह( लघुकिा)
पुस्तक समीक्षा डॉमतनक की िापिी( उपन्द्याि)- तििेक तमश्र िुम कौन( काव्य िंग्रह- रमतिका गुप्ता): िमी कु छ गद्य.. कु छ पद्य( काव्य िंग्रह- ििलीमा मातलर् महापुराि- िुर्ील तिद्धािश: िमीक्षक तमट्टी का िातहत्य( काव्य िंग्रह- लि कु मार बस्िी( उपन्द्याि- इंिज़ार हुिैन): िमीक्षक- अ ईश्वर की चौखट पर( काव्य िंग्रह- र्ैलेंि चौह
ग़ज़ल जािेद उस्मानी( ग़ज़ल) महेर् कटारे िुगम( ग़ज़ल) डॉ. डी. एम. तमश्रा( ग़ज़ल)