Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725
आबादी स्त्री की नई छमव प्रस्तुत कर लेखक मकस तरह ममहला सशमक्तकरि की प्रमक्रया को मजबूत बना रहा है; इसकी ओर संके त मकया । तो कु छेक शोधामथायों ने समाज में उपेमक्षत तबका दमलत की व्यथा कथा के माध्यमसे लेखक मकस तरह इनकी मस्थमत में बदलाव चाहता है इसकी ओर संके त मकया है । योगा के क्षेत्र में शोध काया कर गीता एवं भागवतपुराि के आचरिीय तत्वों की खोज कर मूल्य मशक्षा की राष्ट्रीय नीमत में सहायता की है । कलाएँ संस्कृ मत की संरक्षक होती हैं । संस्कृ मत को बचाना है तो कला को बचाना जरुरी है यह मनष्ट्कर्षा देते हुए एक प्रमतभागी ने कलाकार( वादक) के प्रमत सम्मान की भावना मवकमसत करने की ्टमसे से प्रयास मकया है । महामवद्यालय के छात्रों पर संगीत के प्रभाव का अध्ययन कर एक प्रमतभागी ने संगीत के प्रभाव के करि छात्रों में आये पररवतानों को रेखांमकत मकया है ।
उपयु ाक्त मवमवध संकायों के मवमवध मवर्षयों के शोध काया का अवलोकन करने के बाद मनष्ट्कर्षात: यह कहा जा सकता है मक इन शोधकायों के उद्देश्य मनमित ही राष्ट्रीय नीमत में सहायक हो सकते हैं । तुलनात्मक शोध काया भी हो रहे हैं; पर इस काया में अमधक स्पसेता आना आवश्यक है । तुलनात्मक शोध काया की मनमित मदशा अभी स्पसे होना आवश्यक है । तुलनात्मक शोध काया राष्ट्रीय सांस्कृ मतक एकता को बढ़ावा देनेवाले होते हैं । वतामान समय अंतर अनुशासनीय ज्ञान शाखाओं का समय है । इन २३ शोधकायों में इसका अभाव मदखाई मदया है । सामहत्य पर अनुसंधान हो रहे हैं परंतु भार्षाओं का अध्ययन
नहीं हो पा रहा । भार्षावैज्ञामनक शोधकायों की कमी भी खलती है । इस पररयोजना के शोधकतााओं का संबध सामहत्य से होने के कारि अन्य संकायों में मकस तरह के शोध काया होना अपेमक्षत है यह बताने में शोधकत ा असमथा हैं । यह इस शोधकाया की सीमा भी है । इस पररयोजना का लक्ष्य बहुत सीममत है । शोधकतााओं ने अपने शोधकाया में पररकल्पनाएँ मलखी है या नहीं और उद्देश्य एवं मनष्ट्कर्षा स्पसे रूप से मदए गए हैं या नहीं; के वल इसी का अध्ययन करना है ।
सनष्ट्कषक:
यह पररयोजना यू. जी. सी. – एच. आर. डी. सी मशमला द्वारा आयोमजत १२४ वे उन्मुखी कायाक्रम में समम्ममलत प्रमतभामगयों के शोधकाया में पररकल्पनाएँ, उद्देश्य, मनष्ट्कर्षा स्पसे रूप में मदए जा रहे हैं क्या यह देखने से संबमधत है । अनुसंधान प्रमवमध से संबंमधत तथा अंतर अनुशासनीय यह शोध बहुत कम समय में पूरा मकया गया है । शोध मवर्षय बहुत सीममत है । मजस समूह का अध्ययन करना है वह के वल ३१ लोगों का समूह है । परंतु इस छोटे से समूह की सबसे अमधक सशक्त बात यह है मक यह समूह करीब – करीब भारत के व्यापक महस्से का प्रमतमनमधत्व करता है । ११ राज्यों से जुड़े प्रमतभागी, ९ राज्यों में कायारत हैं और १६ मवर्षयों से संबंमधत हैं; यह इस छोटे से समूह की मवशेर्षता है । यह एक दुलाभ योग है ।
शोधकाया के प्रारंभ में यह अनुमान लगाया गया था मक शोधकत ा पररकल्पना के स्वरूप को नहीं समझता और न वह अपने शोध प्रबंध में स्पसे रूप से पररकल्पनाएँ दे पाता है । प्रश्नावली के आधारपर यह कहा जा सकता है मक यह बात १९. ०४ प्रसतित िच है । यह औसत भी कम नहीं है । अत: यह औसत कम करने की ्टमसे से प्रयास करने होंगे । मवमभन्न ज्ञान शाखाओं में इसका औसत कम
Vol. 3, issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017