Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 420

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
ममट्टी की सुगंध नामक कहानी संग्रह संपामदत कर उर्षा राजे सक्सेना ने युनाइटेड मकं गडम के कथाकारों को पहली बार एक संगमठत मंच प्रदान मकया । वे `पुरवाई ' पमत्रका की सह-संपामदका हैं । उर्षा राजे सक्सेना के सामहत्य पर भारत में एम . मफल . की जा चुकी है । उर्षा राजे सक्सेना की नवीनतम पुस्तक मिटेन में महन्दी ने पहली बार यू ॰ के ॰ में महन्दी भार्षा और सामहत्य को एक ऐमतहामसक पररपेक्ष्य में रखने का प्रयास मकया है । उनकी इस पुस्तक का भारत एवं मिटेन में समान स्वागत हुआ है ।
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उर्षा वमाा मिटेन मे बसी भारतीय मूल की लेखक है । राजधानी लंदन की चहल-पहल से दूर यॉका जैसे छोटे शहर में रहते हुए सामहत्य साधना में लगी हुई उर्षा वमाा का रचना संसार छोटा है , पर वह मानव मनोमवज्ञान से सुपररमचत एक मसद्धाथा लेमखका हैं । उनकी मसमद्ध का आधार मानवीय करुिा और अन्याय के प्रमत तीका मवरोध का भाव है । उनकी कमवताएं तथा कहामनयां सजीव और सस्पंद हैं , मजनमें प्रश्न है , पीड़ा है और एक ईमानदार पारदशी अमभव्यमक्त है । सामहत्य अमृत , समकालीन भारतीय सामहत्य , आजकल , कथन , कादमम्बनी आमद पमत्रकाओं में आपकी कमवताएं तथा कहामनयां छपती रहती हैं । आप `पुरवाई ' में समीक्षा कॉलम मलखती हैं । उनके द्वारा संपामदत कहानी संग्रह सांझी कथा यात्रा की काफ़ी चच ा रही है ।
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कादंबरी मेहरा का नाम मिटेन के उन प्रवासी कथाकारों के साथ मलया जाता हैं मजन्होंने मपछले दशक में अपनी उपमस्थमत से समस्त महंदी सामहत्यकारों का ध्यान अपनी ओर खींच । उनके लेखन की शुरुआत वारािसी के ' आज ' अखबार से हुई और बाद में वे स्कू ल व कॉलेज की सामहमत्यक गमतमवमधयों से जुडी रहीं ।
अंग्रेजी सामहत्य से स्नातकोत्तर उपामध लेने के बाद वे लंदन चली गयीं जहां अध्यापन को अपना कायाक्षेत्र बनाया और 25 वर्षों तक इससे जुडी रहीं ।
अवकाश प्रामप्त के बाद अब मफर से कहानी और उपन्यास की दुमनया में प्रवेश मकया है । ' कु छ जग की ' शीर्षाक से उनका एक कहानी संग्रह भी प्रकामशत हुआ है ।
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जन्म- १ जनवरी , १९३४ को उत्तर प्रदेश के उन्नाव मज़ले के नईमपुर गाँव में एक कायस्थ पररवार में उनका जन्म हुआ था । कीमता चौधरी का मूल नाम कीमता बाला मसन्हा था ।
मशक्षा- उन्नाव में जन्म के कु छ बरस बाद उन्होंने पढ़ाई के मलए कानपुर का रुख़ मकया । १९५४ में एम . ए . करने के बाद ' उपन्यास के कथानक तत्व ' जैसे मवर्षय पर उन्होंने शोध भी मकया ।
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017