रहबर जी ने उल्लेख मकया है मक माओत्सेतु
ंग को
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माक्सावादी मवचारधारा को , उन्होंने भारतीय पररप्रेक्ष्य
में आत्मसात मकया , इन्होंने इसे आँख मू
ंदकर नहीं ,
बमल्क व्यवहार की कसौटी पर परखकर इन्हें जो सही
और साथाक लगा , उसी का समथान मकया , अन्यथा
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पाटी मवभामजत होने के बाद मैंने पढ़ा , उसने मलखा है-
‘‘ संस्कृ मत मवहीन सेना मन्द बुमद्ध सेना है , वह शत्रु को
नहीं नहीं हरा सकती । हमारी क्रांमत के मलए हमें दो
तरह के मसपामहयों की जरूरत है । बन्दूक के मसपाही
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Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . |
वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017 |