Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 263

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
भी वह चुपचाप सहन करती है । उसकी मगरती सेहत के प्रमत वह ध्यान ही नहीं देता है । जैसे वह इंसान नहीं बच्चे पैदा करने की मशीन हो । औरत की सेहत के प्रमत हर जगह लापरवाही बरती जाती है । “ अपनी मगरती सेहत का इलाज वे नीम हकीमों के जररये खुद कराती रहतीं , बाउजी ने तो उसके पैदा होने के बाद अम्मा की तरफ़ मुड़कर कभी देखा नहीं । कभी-कभी अम्मा के कमरे से हताश फु सफु साहट उभरी ‘ हम से मतलब ही क्या उस रांड नसा रहते आपको । एक मदन हम पैर मघस के मर जाएँगे ... ब्याह लाना उसे ही ।’ उत्तर में वही दहाड़ , “ कल की मरती हो तो आज मर ले । तूने मदया ही क्या हमें ? चार-चार छोररयों के मसवा । तीन तो जस-तस ब्याह दीं ।” वे दाँत मकटमकटाते ...“ अब ये चौथी ... इसे तो मैं कु ँ ए में ही फें क आऊँ गा । अब और करजा लेना मेरे बस का नहीं ।” 24 यह कहानी स्त्री की मानमसक प्रताड़ना के साथ- साथ शारीररक प्रताड़ना की कहानी है जहाँ मपता ही अपनी पुत्री का शोर्षि करता है । घर में मपता के साथ अंमतमा को असुरक्षा महसूस होने लगती है । वह दरवाजा बंद मकये रहती है मफर भी उस घृमित कृ त्य से बच नहीं पाती , अंत में शोर्षि के प्रमत मवद्रोह मदखाती है । मपता से बचने के मलए अंमतमा अपनी कोहनी से तेज प्रहार करती है उसके बाद मपता कभी मबस्तर से उठ नहीं पाते । मस्त्रयाँ ना घर में खुद को सुरमक्षत महसूस करती है ना बाहर । दोनों ही जगह शोर्षि की मशकार होती है । स्त्री को देह मात्र ही मान मलया गया है । देह के भीतर वह इंसान भी है यह कोई नहीं समझता । बलात्कार जैसे मघनौने कृ त्य से न जाने मकतनी मस्त्रयों को मकतने संबंधों के बीच गुजरना पड़ता है । इस यातनादायक स्मृमत को लेकर वह खुद में घुटती रहती है । कहानी में अंमतमा मपता की मृत्यु के बाद भी उस संबंध के प्रमत शुष्ट्क हो जाती है । मपता
के मरने का न उसे सुख था , न दुःख था , न शोक था , न उल्लास था । “ उसके मपछले घावों के खुरंट अभी हरे ही थे ... वह अपमान और पीड़ा दोनों की भयावह और मघनौनी कल्पना से मसहर गई । मन में मछपे क्रोध की एक मचंगारी सुलग कर पुरे वजूद को दावानल की तरह सुलगाने लगी । उसने अपनी कोहनी से पूरे दमखम के साथ उसकी पसमलयों पर वार मकया । वह चीख़ कर वहीं बैठ गया । तब का जो मबस्तर से लगा तो मफर ... उठा ही नहीं ।” 25 यह कहानी अपने पीछे सवाल छोड़ती है कब पुत्र-पुत्री में भेदभाव खत्म होगा , कब एक पुत्री व पत्नी को घर में सम्मान ममलेगा । कब उसके ररश्तेदार उसका शोर्षि करना बंद कर देंगे , कब दहेज़ की प्रथा बंद होगी । अंमतमा टूटकर मबखर जाती है । जहाँ उसका अके लापन है उसका ददा है उसके घाव है । वह नमसिंग कॉलेज में दामखला लेना चाहती है तामक यातना गृह से भाग जाये ।
‘ पॉमजमटव ’ कहानी दो एड्स रोमगयों की कहानी है । मजसमें पुरुर्ष स्त्री से मसफा दैमहक सुख चाहता है और वह प्यार भरे सपने सजाती है जहाँ कोई उसे बेहद चाहे । वह अपना बच्चा चाहती है जो उसका अपना हो । वह माँ बनना चाहती है , अपने होने वाले बच्चे के नए सपनों के साथ खुश है परंतु पुरुर्ष मपता नहीं बनना चाहता । वह मजम्मेदारी से भागता है । एक-दो पुरुर्ष पहले भी उसके जीवन में आये वे प्यार से भरे पूिा नहीं थे मकं तु अब की बार मजस पुरुर्ष ने प्रवेश मकया वह तो उसकी मजंदगी को ही मौत की ओर ले जाने लगा । उसकी मजंदगी में आया उसे रोग मदया और भाग गया । मजस वक्त दोनों को एक दुसरे के साथ की जरुरत थी , प्यार की जरुरत थी । पुरुर्ष को अपने तलाकशुदा पत्नी व बच्चे याद आये । वह अपनी बची मजंदगी उन अपनों के साथ गुजरना चाहता है और जो तीन साल स्टैला के साथ मबताये
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017