Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
की होती थी । लोग उन्हें ‘ दासीपुत्र ’ कह कर पुकारते थे , जो एक गाली थी ।
राजदरबारों में गमिका रखने का भी चलन था । गमिकाओं की सामामजक मस्थमत दामसयों से अच्छी होती थी । उनसे उत्पन्न पुत्र भी समाज में सम्मान की मनगाह से देखा जाता था । गमिकाओं का ‘ गमिकामभर्षेक ’ भी होता था ।
उच्चकु ल की मस्त्रयाँ अपने सेवक सेमवकाओं के साथ अच्छा बत ाव करती थीं । आज की अपेक्षा उस समय की मस्त्रयाँ कम ही थीं , जो शराब आमद का सेवन करती थीं , पुरुर्षों को धोखा देती थीं । आज तो यह सारी चीजें फै शन हो गयी हैं । अगर कोई स्त्री इस प्रकार के काया करती पायी भी जाती थी तो वह समाज की नजरों में मगर जाती थी और घर के लोग भी उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे ।
संक्षेप में कहा जा सकता है मक- आज के समाज और उस समय के समाज में बहुत ज्यादा अन्तर नहीं था । जो बुराईयाँ आज समाज में मवद्यमान हैं , उस समय भी वही थी बस उनके प्रमतशत में आज वृमद्ध हुई है । समाज उन चीजों को कभी भी महत्त्व नहीं मदया जो असामामजक हैं । आज आवश्यकता है समाज में समदयों से चली आ रही इन रुमढयों को समाप्त करने की और मलंग भेद ममटाने की ।
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017