Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 113

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725
इप्िा िे जुड़े भीष्ट्म िाहनी का सहंदी सिनेमा में योगदान
आसदयय कु मार समश्रा पी-एच. डी. प्रदशानकारी कला( मफल्म और नाटक)
मवभाग महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय महंदी मवश्वमवद्यालय,
वध ा- महाराष्ट्र, मोबाइल-7020848104
की-िडडकि- इप्टा, सांस्कृ मतक, मवचारधारा, नाटक, महंदी मसनेमा िोध िारांि-
के रचमयता,‘ तमस’ मफल्म में‘ हरनाम मसंह’ और‘ मोहन जोशी हामजर हों’ मफल्म में मोहन जोशी की भूममका मनभाने वाले अमभनेता के तौर पर भीष्ट्म साहनी अनेक रुपों में हमारे सामने हैं । उनके इन सभी रुपों को अथाात उनके कृ मतत्व को पढ़कर, सुनकर और देखकर आम इंसान खुद को बुराईयों से दूर करने का जतन मकये बगैर नहीं रह सकता । चीफ की दावत जैसी कहामनयां हमें मां-बाप के प्रमत अपने फजा की याद मदलाती हैं तो‘ तमस’ मफल्म में‘ हरनाम मसंह’ को देखकर पत्थर मदल आदमी भी अंतमान से साम्प्रदामयकता से कोसों दूर भागने की कोमशश करता है ।‘ मोहन जोशी हामजर हों’ में मोहन जोशी के रुप में वह( भीष्ट्म) आम आदमी को पदे पर जीवंत कर देते हैं । वह भारतीय न्याय प्रमक्रया के खचीलेपन और मवलंब से गरीबों को होने वाली धनहामन और जनहामन को मदखाते हैं साथ ही वकीलों की मक्कारी का पदााफाश करने से नहीं चूकते । महंदी मसनेमा में भीष्ट्म जी ने मगनती की ही मफल्में की हैं मकं तु इनकी भूममकाओं ने गागर में सागर भरने का काम मकया है । वतामान सामामजक और राजनैमतक परर्टश्य में भीष्ट्मजी जैसे लेखक और कलाकार की रचनाओंको सामने लाना, उन पर चच ा करना, मवशेर्षकर उनके कृ मतत्यों से छात्रों एवं शोधामथायों का पररचय होना अत्यंत ही अमनवाया और साथाक पहल है ।
महंदी सामहत्य जगत में जब भी महत्वपूिा कहानीकारों, उपन्यासकारों, नाटककारों, जीवनी लेखकों, आत्मकथाकारों और मनबंधकारों की चचाा होती है तो उनमें भीष्ट्म साहनी का नाम बड़े ही सम्मान के साथ मलया जाता है । मवभाजन मवर्षय पर रचनाओं और मसनेमा की कोई महत्वपूिा चचाा भीष्ट्म साहनी द्वारा मलमखत‘ तमस’ उपन्यास की चचाा के मबना पूरी ही नहीं होती । लेखक, अनुवादक, सम्पादक, संगठनकताा, अध्यापक, कलाकार, आंदोलनकारी, बहुभार्षी भीष्ट्म साहनी के व्यमक्तत्व के कई रुप हैं मकन्तु हर रुप में वह ईमानदार, संघर्षाशील, न्याय, भाईचारा, समानता, प्रगमतशील िोध का उद्देश्य- और मानवता के पक्षधर मदखाई देते हैं । उनकी 1- भीष्ट्म साहनी के रंगमंचीय और मसनेमाई सामहमत्यक रचनाएं, इप्टा की मवचारधारा से प्रेररत
योगदान की पड़ताल करना, नाटकों में योगदान, मफल्मों में उनकी अदाकारी, 2- भीष्ट्म साहनी की वैचाररकी को रेखांमकत
संगठनकताा के रुप में उनकी भूममका हमें मशीनी
करना । इंसान से मानवीय होने की प्रेरिा देती हैं । भटकाव, फै सला, चीफ की दावत, चीलें, ओ हरामजादे, वाड. चू जैसी कहामनयां, तमस, बसन्ती, झरोखे, कमड़यां, मेरे साक्षात्कार जैसे उपन्यास और हानूश, कमबरा खड़ा बाजार में, मुआवजे, माधवी जैसे नाटक Vol. 3, issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017