Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 105

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN: 2454-2725
ईदगाह की ओर जाने वाली टोमपयाँ नजर आने लगती है । और इधर अपनी मवपन्नता से बेखबर हाममद के गाँव का छोटा सा दल चला जा रहा था । ईदगाह स्थल पर नीचे पक्का फशा मजस पर जामजम मबछा हुआ है । यहाँ सब बराबर है । लाखों मसर एक साथ सजदे में झुकते हैं । और मफर एक साथ खड़े होते हैं । मानों लाखों बमत्तयां एक साथ प्रदीप्त हो और बुझ जाए ।
नमाज खत्म हो गई है । लोग आपस में गले ममल रहे हैं । तब ममठाइयों, झूलों और मखलौनों की दुकानों पर बच्चों के हुजूम इक्कठे हो जाते हैं । कोई महंडौला लेता है । कोई हाथी, घोड़े की पीठ पर चक्कर काट रहा है ।
( झूलों के बाद बारी आती है मखलौनों की ।)
महमूद( मसपाही की और हाथ बढाता है ।) – खाकी वदी लाल पगड़ी, कं धे पर बन्दुक रखे हुए ।
मोहमसन मभश्ती पसंद करता है । – कमर झुकी हुई । ऊपर मशक का एक हाथ मुहं से ढके हुए ।
नुरे को वकील से प्रेम हुआ है ।
सभी दो-दो पैसे के मखलौने है । और हाममद के पास कु ल तीन पैसे है । और ऐसे मखलौने मकस काम के जो हाथ से छु टते ही चूर हो जाए ।
( सभी अपने-अपने मखलौनों की मवशेर्षता बताते है । और उनके द्वारा मकये जाने वाले काम भी)
हाममद मखलौनों की मनंदा करता है । परन्तु भीतर ही भीतर उसका बालपन ललचा भी रहा है ।
( मखलौनों के बाद सब ममठाई की दुकान पर हाममद को मचढाने का अमभनय करते हैं ।)
मोहमसन( रेउडी मदखाते हुए ।)- हाममद रेउडी ले जा खुशबूदार है ।
हाममद जानता है । सभी उदार नहीं है । मफर भी हाथ बढाता है ।
मोहमसन हाथ बढ़ा कर पुन: ले लेता है । बच्चे तामलयाँ बजाते हैं ।
मोहमसन – अच्छा अबकी जरुर देंगे ।
हाममद( प्रमतउत्तर में) – रखे रहो क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं! ममठाई कौन बड़ी नेमत है! मकताबों में मकतनी बुराइयां मलखी हुई हैं!
मोहमसन – मदल में कह रहे होंगे ममले तो खा लें ।
( ममठाई की दुकान के बाद कु छ दुकाने लोहे, मगल्ट तथा नकली गहनों की है । लड़कों को यहाँ कोई आकर्षाि नहीं मदखाई देता । वे आगे बढ़ जाते हैं । परन्तु हाममद वही ँ मठठक जाता है । उसे तवे से रोमटयाँ उतारती दादी की याद आती है । हाथ का जलना आमद ।)
हाममद( मठठक कर सोचते हुए ।) – दादी को मचमटा ले जाकर दे तो उनके हाथ नहीं जलेंगे । और घर में एक काम की चीज भी हो जाएगी ।
( बाकी बच्चे शरबत की दुकान पर शरबत पी रहे हैं ।) हाममद( दुकानदार से) – यह मचमटा मकतने का है?
दुकानदार( हाममद मक ओर देखता है । और अके ला पाकर बोलता है ।) – यह तुम्हारे काम का नहीं है ।
हाममद( पुन: दुकानदार से) – मबकाऊ है या नहीं? Vol. 3, issue 27-29, July-September 2017. वर्ष 3, अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017