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हिन्दू धर्मावलम्बियों पर थोपे गए दुर् गुणों को ददूर करने से आएगा रार्राज
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श आनंदित है । मन और मष्त््क में प्रसन्नता ्का ज्ार उमड़ रहा है । हिन्दू धर्मावलम्बियों ्की आस्ा , श्रद्ा और विश्ास ्की विजय हुई है । अयोधया में लगभग पांच सौ वर्ष ्का वनवास भोगने ्के बिाद भगवान श्रीराम पुनः विराजमान हुए हैं । भगवान श्रीराम ्की जनमभदूदम पर भवय मंदिर ्के निर्माण ्का स्प्न एवं सं्कलप पदूरा हुआ है । गर्भगृह में भगवान श्रीराम ्की भावभीनी मुस्कान और नेत्ों में प्रसन्नता ्का भाव हर द्कसी ्को मंत्मुगध ्कर रहा है । प्राण प्रतिष्ा ्के साथ ही हिन्दू जनमानस भगवान श्रीराम ्को स्यं महसदूस ्करते हुए राममय हो गया है । मंदिर ्का निर्माण और प्राण प्रतिष्ा समारोह से वह सभी धनय हो गए हैं , जिनहोंने पांच सौ ्रषों त्क राम मंदिर ्के लिए संघर्ष द्कया , अपना बिदलिान दिया और नयाय ्के लिए दर- दर भट्कते रहे । सदियों से जो स्प्न खुली आंखों से देखा जा रहा था , वह स्प्न सा्कार होने ्की अनुभदूदत ्को अंतर्मन में सभी महसदूस ्कर रहे हैं । आंखों में ख़ुशी ्के आंसदू रो्कने पर भी नहीं रु्क रहे हैं । अयोधया षस्त जनमभदूदम पर ्केवल भगवान श्रीराम ्के नाम ्का मंदिर ही निर्मित नहीं हुआ है , बिषल्क सनातन हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्ककृति ्के प्राण तत्ों ्की प्रतिष्ा भी हुई है । साथ ही आहत स्ादभमान ्को संबिल भी मिला है ।
अयोधया में मंदिर निर्माण ्के लिए लगभग पांच सौ ्रषों ्का संघर्ष हिन्दू जनमानस ्के धैर्य एवं विश्ास ्को भी सामने रखता है । यह वह समय भी रहा , जबि भगवान श्रीराम ्के लिए गरीबि , दलित , पिछड़ा , वनवासी समाज ्के साथ ही हर वर्ग ्के लोग सड़्क से ले्कर नयायालय त्क ए्कजुट हो्कर साथ खड़े रहे । विशेष रूप से दलितों , पिछड़ों एवं वनवासी समाज ने सदियों त्क अपने प्रभु ्के लिए संघर्ष द्कया । यह ए्क ऐसी उपलब्ध भी ्कही जा स्कती है , जो अबि त्क विश् में द्कसी भी संस्ककृति या समाज ने हासिल नहीं ्की थी । विश् ्के अने्क हिससों में आकांताओं ने धर्मस्लों ्को न्ट ्कर्के अपना ्क््ा तो द्कया , पर ए्कमात् भारत ही ऐसा उदाहरण है , जहां सनातन हिन्दू समाज ने अपने धर्म एवं संस्ककृति ्के ्केंद्र ्को पुनः हासिल द्कया है और वह भी नयायसंगत ढंग से । मंदिर निर्माण रो्कने ्के लिए विघ्न-संतोषियों
ने अपने-अपने ढंग से ्कई तरह ्की चालें चली , हर तरह ्के ह््कंडे अपनाए गए , भगवान श्रीराम ्को ्काल्पनिक बिताया गया । इस्के बिावजदूि रामभकतों ्का धैर्य नहीं टूटा और न ही ्कभी निराशा ्का भाव मन में आया ।
अयोधया में भगवान श्रीराम ्की पुनर्प्रतिष्ा युग परिवर्तन ्का सप्ट सं्केत भी दे रही है । नई ऊर्जा एवं नए उतसाह ्के साथ हर तरफ असीम संतोष ्का भाव है । ्रषों त्क जीर्ण-शीर्ण टाट ्के नीचे और लोहे ्के सीखचों ्के अंदर बिैठे प्रभु राम ्के लिए रामभकत ्कभी हताश नहीं हुए । रकतपात हुआ , सनातनियों ने अपने प्राणों ्का बिदलिान द्कया , नयायालय में गवाह-सबिदूत-बिहस ्का दौर लम्बे समय त्क जारी रहा । इस्के बिावजदूि द्कसी ने भी हार नहीं मानी और धैर्य ्के साथ प्रभु राम ्की प्रतीक्ा ्की । अबि भवय मंदिर में भगवान श्रीराम अपनी जनमभदूदम में विराजमान हो गए हैं । प्रभु राम ्के अयोधया में विराजमान होने से भारत में भावी रामराज ्की आहट सुनाई दे रही है । सनातन हिन्दू समाज बििल रहा है , ए्कजुट हो रहा है , रा्ट्र ्की चेतना ्का विसतार हो रहा है ।
तयाग , तपसया , मर्यादा , अनुशासन ्के साथ ही सामादज्क समरसता रामराज ्का मदूल है । सभी ्के ्कलयाण और सभी ्को नयाय सुदनषशचत ्करना ही रामराज ्का मंत् है । अयोधया में भगवान श्रीराम ्की प्राणप्रतिष्ा ्के साथ ही भारत ए्क नई यात्ा पर चल पड़ा है । यह यात्ा आगामी ्रषों में भारत ्को पदूणमा द््कदसत रा्ट्र बिनाने ्के सं्कलप ्को दसद् ्करने ्के लिए प्रार्भ हुई है । भवय मंदिर ्का निर्माण सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों ्के सांस्ककृदत्क पुनर्जागरण ्के रूप में भी देखा जा स्कता है । यह आशा भी है और विश्ास भी है द्क आने वाला समय सनातन धर्मावलम्बियों में वयापत उन दुर् गुणों ्को समापत ्करने में सक्म होगा , जो दुर् गुण विदेशी आकांताओं ने अपनी मतांधता ्के लिए बिलपदू्मा्क थोपे थे और जिन्के ्कारण भेदभाव , अशपृशयता जैसी समसया पैदा हुई । आकांताओं ्का राज समापत हो चु्का है । ऐसे में सनातन हिन्दू समाज अपने दुर् गुणों ्को िदूर ्कर्के वास्तविक रामराज ्के आदर्श ्को सामने रखेगा , जो भारत ्को विश् गुरु ्के रूप में प्रतिष््त ्करेगा ।
tuojh 2024 3