Jan 2023_DA | Page 13

को अलग करतरी है । क्या इस सत्य को कोई नकार सकता है कि भाज्पा को जब अ्पने बल ्पर देश का राष्ट्रपति चुनने का मौका मिला तो उसने देश को जो दो राष्ट्रपति दिए वह दोनों हरी अनुसूचित समाज से आते हैं ? क्या इस तथ्य भूला्या जा सकता है कि वह भाज्पा के समर्थन वािरी डॉ वरी्परी सिंह करी हरी सरकार थरी जिसने अनुसूचित समाज के लिए भगवान के बराबर का दर्जा रखने वाले बाबा साहेब डॉ ररीमराव आंबेडकर को भारत रत्न कद्या ? ्यह भाज्पा करी हरी सरकार है जिसने अ्पने अब तक के आठ साल के का्य्भकाल में बाबासाहेब को लेकर कई बड़े काम कक्ये । 15 जन्पथ करी जिस जमरीन को कांग्रेस ने जंगल बनने के लिए छोड़ कद्या था , भाज्पा ने उस ्पर डॉ . आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर जैसा भव्य इमारत बनवा्या । 26 अिरी्पुर रोड ; जहां बाबासाहेब का ्परिनिर्वाण हुआ था ,
भाज्पा ने वहां ररी डॉ . अंबेडकर राष्ट्री्य समारक बनवा्या । वह भाज्पा करी नरेनद्र मोदरी सरकार हरी थरी जिसने अ्पने ्पहले का्य्भकाल में हरी सववोच् न्या्याि्य द्ारा एट्ोकसटरी एकट को कमजोर किए जाने के प्रयास का संवेदनशरीिता के साथ संज्ञान लेते हुए डटकर प्कतकार कक्या और संसद के द्ारा संविधान संशोधन करके इस कानून को ्पहले से ररी अधिक मजबूत कर कद्या । उसने मकान , अनाज और शौचाि्य जैसरी िरीजें जो देश के हर नागरिक का हक है , देने करी ्पहल करी और अ्पने इन कामों के बूते भाज्पा ने दलितों के ररीतर ररी सबका साथ सबका विकास के संदेश को कद्या ।
सामने आ रहा सच , खुल रहा कच्ा — चिट्ा अंग्रेजरी में एक कहावत है “ Action speaks
जो अ्पने द्ारा शासित सूबे में दलितों ्पर होने वाले अत्याचार के मामलों को दबाने , कछ्पाने और दफनाने में जुटरी रहतरी हैं जबकि कुछ के लिए मूल मंत् है कि ' न्या्य सबको , तुष्टिकरण किसरी का नहरी ।' इस लिहाज से देखें तो इतिहास में कररी ऐसा नहीं देखा ग्या कि किसरी कांग्रसरी मुख्यमंत्री ने अ्पने राज्य में हुए अनुसूचितों ्पर अत्याचार के मामले को लेकर संघर्ष करने के लिए सामने आने करी ्पहल करी हो । अलबत्ता अशोक गहलोत जैसे मुख्यमंत्री तो सार्वजनिक रू्प से कहते दिखे हैं कि कांग्रेस शासित राज्य में होनेवािरी नाइंसाफरी को उजागर करने के लिए ्पाटटी के शरीि्भ नेता को आने करी आवश्यकता हरी क्या है । जाहिर है कि दलगत राजनरीकत का ्यहरी नजरर्या और दृष्टिकोण अनुसूचितों को झेलनरी ्पड़ रहरी गैर — बराबररी , उत्परीड़न , अत्याचार और भेदभाव करी असिरी जड़ है । जिस दिन सररी
बेशक इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती है कि दलितों पर अत्ािार हर सूबे में हो रहा है । जातिगत आधार पर उनके साथ भेदभाव हर राज्य में हो रहा है । दलगत राजनीति के कारण उनके हक और हितों की अनदेखी हर प्रदेश में हो रही है । लेकिन , सत् यह भी है कि दलितों के नाम पर मगरमच्छ के आं सू बहाने और बिना शोर — शराबा किए दलितों को सम्ान और स्ादभमान के साथ आगे आने का मौका देने में कु छ अं तर तो होता ही है ।
louder than words ” ्यानरी " काम बोलता है , बातें नहीं "। इस लिहाज से देखें तो आदर्श मसथकत वह होतरी है जिसमें कथनरी और करनरी में कोई अंतर ना हो , बमलक दोनों में ्पूररी तरह एकरू्पता और समरू्पता हो । लेकिन , मसला ्यह है कि कथनरी और करनरी राजनरीकत में एक समान हो नहीं ्पातरी । कहने को तो बड़री — बड़री बातें सररी कहते हैं । अनुसूचितों को उनका अधिकार दिलाने और अन्या्य के विरुद्ध उनहें हर सतर ्पर सहारा , सह्योग और न्या्य दिलाने करी बातें तो सररी कहते हैं । लेकिन कुछ ्पार्टि्यां हैं
्पार्टि्यां तेरा — मेरा से ऊ्पर उठकर हमारा करी बात करने लगेंगरी उसरी दिन दलितों और अनुसूचितों करी सररी जातिगत समस्याओं ्पर ्पूर्ण विराम लग जाएगा । इस बात को देश का दलित समाज अब अच्छी तरह समझ ग्या है । ्यहरी वजह है कि वह जातिवादरी राजनरीकत करने वाले षिेत्री्य दलों और लुभावनरी एवं चिकनरी — चु्पड़री बातें करनेवाले राष्ट्री्य सतर करी ्पार्टि्यों को आईना दिखाकर सिरे से ठुकरा रहा है । वह गोलबंद होता दिख रहा है उस नेतृतव के साथ जो कहने में कम और कुछ कर दिखाने में अधिक ्यकरीन करता है । �
tuojh 2023 13