आशा
चाह े धाराओ ं के वेग म� त ू बहा दे मुझ,े
या पावक के तज
से झलसा
दे मुझ,े
चाह े काटँो ं क� सेज पे सुला दे मुझ,े
या रा�ो ं क� �कावट मोड़ दे मुझ,े
चाह े बफ� क� चादर� जमा दे मुझ,े
या लोह े क� जं जीर� पहना दे मुझ,े
चाह े �स�ु के गत � म� ो ं न डू बा दे मुझ,े
या पव�त के बोझ से ो ं न दबा दे मुझ,े
मगर, बारंबार तझ
े यँ ू लाघँ जाऊंगा,
अगर आशाओ ं के पतवार त ू थमा दे मुझ
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बालमुच
गो�वदा
����, वष� ����