Hybrid Hues '15-'17 AIIMS, New Delhi | Page 128

आशा चाह े धाराओ ं के वेग म� त ू बहा दे मुझ,े या पावक के तज से झलसा दे मुझ,े चाह े काटँो ं क� सेज पे सुला दे मुझ,े या रा�ो ं क� �कावट मोड़ दे मुझ,े चाह े बफ� क� चादर� जमा दे मुझ,े या लोह े क� जं जीर� पहना दे मुझ,े चाह े �स�ु के गत � म� ो ं न डू बा दे मुझ,े या पव�त के बोझ से ो ं न दबा दे मुझ,े मगर, बारंबार तझ े यँ ू लाघँ जाऊंगा, अगर आशाओ ं के पतवार त ू थमा दे मुझ 126 बालमुच गो�वदा ����, वष� ����