आज़ाद
हर आज़ाद प�रदे ं को देखकर यँ ू लगता था,
िक आज़ादी भी ा खूब होगी,
म� जीना,
ा इस तरह �पजर
व -व पर दाना-पानी �मलत े रहना,
उसी के इं तज़ार म� िदन काटने प�त े ह,�
सामने घडी के काटंे आगे बढ़त े रहत े ह,�
बीच-बीच म� इं सान आकर कु छ कह जात े ह,�
अपना मनोरंजन कर टी.वी. म� लग जात े ह.�
खुला छू ट जाए,
रोज़ दआ
करता �ँ िक काश! �पजरा
खुली हवा म� सैर हो जाए,
कोई सं गी-साथी �मल जाए,
पे�ो ं से फल, �ील से पानी �मले,
मनमौजी होकर यह जीवन चले.
एक िदन वह दआ
�ई,
कबल
तकलीफ से ही सही पं खो ं को हवा नसीब �ई,
उ�ना थोडा मु��ल था, जस
े अब भी कै द म� था,
पर �ािहश पूरी तो �ई .
अिदती मोहता
२७८२, व�� २०१०
खुले गगन म� म� चल प�ा,
यहा-ँवहा ँ साथी ढं ू ढ़ता रहा,
जहा ँ िदखे वही ँ चल िदया,
और कु छ ही देर म� िफर �शक� म� बं ध गया,
�बन जाल क� �शक� उनके साथ जीने क�,
उसी रा� े जहा ँ वे जाएं ,
दाना वही ँ जहा ँ वे चाह,�
वृ वही जो उनको भाए.
िफर एक िदन ऐसा आया,
बवे
भयं कर तफ़
ान आया,
सारे घरौदे ं �त�र-�ब�र हो,
प ी समूह का अतं नज़र आया.
उन �गरी �ई टह�नयो ं के नीचे,
मौत से ल� रहा था म�,
अके ला था, �शक� म�,
एक तफ़
ान लगा माहौल बदलने म�,
पर आज़ाद था, हा,ँ अब सचमुच आज़ाद था म�.