Grasshopper Summer Vacation Getaways | Page 12

नह था बक ये जमीन से कट हुई थी। मंिदर म बालाजी क िदन म तीन बार दशन होते ह!। पहला दशन िव$व%प कहलाता है, जो सुबह क समय होता है। दूसरा दशन दोपहर म और तीसरा रात क समय होता है। ित)पित बालाजी की या*ा क क+छ िनयम भी ह!। िनयम क अनुसार ित)पित क दशन करन से पहले किपल तीथ पर 0ान करक किपले$वर क दशन करना चािहए। िफर वकटाचल पवत पर जाकर बालाजी क दशन करना चािहए। इसक बाद प5ावती देवी क दशन करने की परंपरा है। ये मंिदर िजतना हैरान करने वाला है उससे कह 7यादा हैरान कर देने यहां से जुड़ी बाकी चीज। माना जाता है िक मंिदर म मौजूद सभी ितमा: से समु;ी लहर< की आवाज सुनाई पड़ती है। यही नह इस मंिदर म रोजाना 3 लाख ल@ साद क िलए बनाए जाते ह! और इAह बनाने क िलए यहां क कारीगर तीन सौ साल पुरानी पारंपCरक िविध का इEतेमाल करत ह!। इAह बालाजी मंिदर की गुFत रसोई म बनाया जाता है और यह गुFत रसोईघर पोटH क नाम से जाना जाता है। ी वकटवर नेशनल पाक यिद आप झाड़दार पेड़< का सौAदय िनहारना चाह रहे ह! तो Jी वकटK$वर नेशनल पाकL इसक िलए बेहतरीन जगह है। यहां पेड़< क बजाय रंग-िबरंगी झािड़यां भी ह! और खास बात है िक पेड़< की ऊOचाई आमतौर पर दस मीटर से 7यादा नह है। बाघ और 10 g May, 2019 तदुए तो यहां ह! ही साथ ही िहरण, गौर, भालू, सूअर, लोमड़ी, भेिड़या और जंगली क+Yे भी काफी संdया म ह!। Eवतं* %प से घूमने वाले चीतल, सांभर और काले िहरण< क झुeड को देखकर आप हैरान हो जाएंग। इसक अलावा बंदर< की एक अलग जाित बोिनट भी यहां का मुdय आकषण है। यह नेशनल पाकL 352.62 वग िकलोमीटर म फjला है। पहले यह एक अkयारeय था लेिकन ित)पित जैसे िसl तीथ Eथल क पास म होने क कारण इस ित)पित क मुdय देवता Jी वकटK$वर का नाम िदया गया है। यहां )कने की भी अmछी WयवEथा है तो अगर आप चाह तो एक रात यहां भी िबता सकते ह!। तालकोना झरना तालकोना झरना आंP देश क मशहूर झरन< म से एक है। जो यह यहां क िचYूर िजले म Jी वकटK$वर नेशनल पाकL म है। इसकी ऊOचाई करीब 270 फीट है। अगर आप एक बार यहां पहुंच गए तो यहां से वापस लौटने का मन नह करेगा। कZित आपको अपने िबक+ल करीब लगेगी। चंदन क पेड़< और औषधीय पौध< क कारण तालाकोना झरने का पानी औषिध क जैसा माना जाता है। यहां पर अलग-अलग जाितय< क प!थर, िगलहरी, रंग-िबरंगी िततिलयां और पaी देखने को िमलते ह!। यहां हCरयाली क अलावा गुफाएं भी ह!। इस aे* को साल 1989-1990 क बीच बायोEफयर Cरजव क %प म घोिषत कर िदया गया था। यहां पास म भगवान िसधे$वरा Eवामी मंिदर ह यहां आने वाले 7यादातर पयटक मंिदर म भी दशन करन जाते ह!। चारमीनार चारमीनार आंP देश और तेलंगाना क िवभाजन स पहले यहां का सबसे बड़ा पयटन Eथल माना जाता था। हालाांिक, हैदराबाद म Eथत चारमीनार अब तेलंगाना की सीमा म आता है, लेिकन आप आंP देश आए ह! तो इस मीनार को देखे िबना वापस न जाइए। माना जाता है िक शहर क संEथापक मोहQमद क+ली क+तुब शाह ने िकसी महामारी को रोकने क िलए शहर क बीच म चौकोर आकार का िवशाल भवन बनवाया था। Rेनाइट से बनी चार 48.7 मीटर ऊOची मीनार और उनक भWय मेहराब क कारण इसका नाम चारमीनार है। कमल क पYे की संरचना जो िक क+तुब शाह क भवन< म बार-बार योग होने वाली आकZित थी, हर मीनार क तल को संभालती है। साल 1889 पर चार< मीनार< पर घिड़यां लगाई गई थ जो आज भी लगी ह!। यहां घूमते हुए आप इितहास क अवशेष< को वतमान से िमलता देखकर हैरान हो जाएंग। क+तुब शाह क समय म पहली मंिजल पर मदरसा हुआ करता था। दूसरी मंिजल पर प$चम की ओर एक मEजद थी। शाम क समय मेहराब म रोशनी की जाती थी तो इसकी खूबसूरती म जैसे चार चांद लग जाते थे। मीनार क ऊपर से शहर का भWय नजारा िदखता है और वहा जाने क िलए भारतीय पुरात_व सव`aण िवभाग से िवशेष अनुमित लेनी होती है। यह Eमारक सभी िदन खुला रहता है। मीनार म दो बालकनी ह! जोिक छोटK नाजुक गुंबद< और बाहरी दीवार< पर महीन नbकाशी से िमलकर बनी ह!। क+ल िमलाकर ये भारत-इEलामी वाEतुकला का एक बिढ़या उदाहरण है।