नह था बक ये जमीन से कट हुई थी। मंिदर म
बालाजी क िदन म तीन बार दशन होते ह!। पहला
दशन िव$व%प कहलाता है, जो सुबह क समय होता
है। दूसरा दशन दोपहर म और तीसरा रात क समय
होता है। ित)पित बालाजी की या*ा क क+छ िनयम
भी ह!। िनयम क अनुसार ित)पित क दशन करन
से पहले किपल तीथ पर 0ान करक किपले$वर
क दशन करना चािहए। िफर वकटाचल पवत पर
जाकर बालाजी क दशन करना चािहए। इसक बाद
प5ावती देवी क दशन करने की परंपरा है।
ये मंिदर िजतना हैरान करने वाला है उससे कह
7यादा हैरान कर देने यहां से जुड़ी बाकी चीज। माना
जाता है िक मंिदर म मौजूद सभी ितमा: से समु;ी
लहर< की आवाज सुनाई पड़ती है। यही नह इस
मंिदर म रोजाना 3 लाख ल@ साद क िलए बनाए
जाते ह! और इAह बनाने क िलए यहां क कारीगर तीन
सौ साल पुरानी पारंपCरक िविध का इEतेमाल करत
ह!। इAह बालाजी मंिदर की गुFत रसोई म बनाया
जाता है और यह गुFत रसोईघर पोटH क नाम से जाना
जाता है।
ी वकटवर नेशनल पाक
यिद आप झाड़दार पेड़< का सौAदय िनहारना चाह
रहे ह! तो Jी वकटK$वर नेशनल पाकL इसक िलए
बेहतरीन जगह है। यहां पेड़< क बजाय रंग-िबरंगी
झािड़यां भी ह! और खास बात है िक पेड़< की ऊOचाई
आमतौर पर दस मीटर से 7यादा नह है। बाघ और
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May, 2019
तदुए तो यहां ह! ही साथ ही िहरण, गौर, भालू, सूअर,
लोमड़ी, भेिड़या और जंगली क+Yे भी काफी संdया म ह!।
Eवतं* %प से घूमने वाले चीतल, सांभर और काले िहरण<
क झुeड को देखकर आप हैरान हो जाएंग। इसक अलावा
बंदर< की एक अलग जाित बोिनट भी यहां का मुdय
आकषण है। यह नेशनल पाकL 352.62 वग िकलोमीटर
म फjला है। पहले यह एक अkयारeय था लेिकन ित)पित
जैसे िसl तीथ Eथल क पास म होने क कारण इस
ित)पित क मुdय देवता Jी वकटK$वर का नाम िदया गया
है। यहां )कने की भी अmछी WयवEथा है तो अगर आप
चाह तो एक रात यहां भी िबता सकते ह!।
तालकोना झरना
तालकोना झरना आंP देश क मशहूर झरन< म से एक
है। जो यह यहां क िचYूर िजले म Jी वकटK$वर नेशनल
पाकL म है। इसकी ऊOचाई करीब 270 फीट है। अगर आप
एक बार यहां पहुंच गए तो यहां से वापस लौटने का मन
नह करेगा। कZित आपको अपने िबक+ल करीब लगेगी।
चंदन क पेड़< और औषधीय पौध< क कारण तालाकोना
झरने का पानी औषिध क जैसा माना जाता है। यहां पर
अलग-अलग जाितय< क प!थर, िगलहरी, रंग-िबरंगी
िततिलयां और पaी देखने को िमलते ह!। यहां हCरयाली
क अलावा गुफाएं भी ह!। इस aे* को साल 1989-1990
क बीच बायोEफयर Cरजव क %प म घोिषत कर िदया
गया था। यहां पास म भगवान िसधे$वरा Eवामी मंिदर ह
यहां आने वाले 7यादातर पयटक मंिदर म भी दशन करन
जाते ह!।
चारमीनार
चारमीनार आंP देश और तेलंगाना क िवभाजन स
पहले यहां का सबसे बड़ा पयटन Eथल माना जाता था।
हालाांिक, हैदराबाद म Eथत चारमीनार अब तेलंगाना की
सीमा म आता है, लेिकन आप आंP देश आए ह! तो इस
मीनार को देखे िबना वापस न जाइए। माना जाता है िक
शहर क संEथापक मोहQमद क+ली क+तुब शाह ने िकसी
महामारी को रोकने क िलए शहर क बीच म चौकोर
आकार का िवशाल भवन बनवाया था। Rेनाइट से बनी
चार 48.7 मीटर ऊOची मीनार और उनक भWय मेहराब
क कारण इसका नाम चारमीनार है। कमल क पYे की
संरचना जो िक क+तुब शाह क भवन< म बार-बार योग
होने वाली आकZित थी, हर मीनार क तल को संभालती
है। साल 1889 पर चार< मीनार< पर घिड़यां लगाई गई
थ जो आज भी लगी ह!। यहां घूमते हुए आप इितहास क
अवशेष< को वतमान से िमलता देखकर हैरान हो जाएंग।
क+तुब शाह क समय म पहली मंिजल पर मदरसा हुआ
करता था। दूसरी मंिजल पर प$चम की ओर एक मEजद
थी। शाम क समय मेहराब म रोशनी की जाती थी तो
इसकी खूबसूरती म जैसे चार चांद लग जाते थे। मीनार
क ऊपर से शहर का भWय नजारा िदखता है और वहा
जाने क िलए भारतीय पुरात_व सव`aण िवभाग से िवशेष
अनुमित लेनी होती है। यह Eमारक सभी िदन खुला रहता
है। मीनार म दो बालकनी ह! जोिक छोटK नाजुक गुंबद<
और बाहरी दीवार< पर महीन नbकाशी से िमलकर बनी
ह!। क+ल िमलाकर ये भारत-इEलामी वाEतुकला का एक
बिढ़या उदाहरण है।