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अिञाउद्ीन खिलजी से लड़ते हुए इन वनिञावसयों ने बलिदञान दियञा थञा ।
आवदिञावसयों को गैर हिनदू बतञाने कञा झूठ पञांच दशक पहले गढ़नञा प्रञारमभ कियञा गयञा थञा I 70 एवं 80 के दशक के दौरञान ईसञाई मिशनरी ने यह अफिञाह फैिञाई कि सञारे आवदिञासी मूलतः ईसञाई हैं कयोंकि यह ही इस देश के मूल वनिञासी हैं और हिनदू उन आयषों के वंशज हैं , जिनहोंने इस देश पर कब्ज़ा कियञा । लेकिन इसकञा वनिञासी नेतञा कञावत्यक उरञांव ने बहुत ही कड़ञा और कञारगर विरोध कियञा । उनहोंने कहञा कि पहले इस बञात को निश्चत करे कि बञाहर से कौन आयञा थञा ? यदि हम यहञां के मूििञासी हैं तो फिर हम ईसञाई कैसे हुए कयोंकि ईसञाई पनथ तो भञारत से नहीं निकिञा । यदि हम बञाहर से आये ईसञाईयत को लेकर , तो फिर आर्य यहञां के मूििञासी हुए । और यदि हम ही बञाहर से आये तो फिर ईसञा के जनम से हज़ञारों वर्ष पूर्व हमञारे समुदञाय में निषञादरञाज गुह , शबरी , कणप्पा आदि कैसे हुए ? उनहोंने यह कहञा कि हम सदैव हिनदू थे और रहेंगे ।
आदिवासियों को गैर हिन्ू बताने का झूठ पांच दशक पहले गढ़ना प्रारम्भ किया गया था I 70 एवं 80 के दशक के दौरान ईसाई मिशनरी ने यह अफवाह फै लाई कि सारे आदिवासरी मूलतः ईसाई हैं क्ोंकि यह ही इस देश के मूल निवासरी हैं और हिन्ू उन आययों के वंशज हैं , जिन्ोंने इस देश पर कब्ा किया ।
उसके बञाद कञावत्यक उरञांव ने बिनञा किसी पूर्व सूचनञा एवं तैयञारी के भञारत के भिन्न-भिन्न कोनों से वनिञावसयों के पञाहन , वृद्ध तथञा टञानञा भगतों को बुिञायञा और यह कहञा कि आप अपने जनमोतसि , वििञाह आदि में जो लोकगीत गञाते हैं उनहें हमें बतञाईए । फिर वहञां सैकड़ों गीत गञाये गए I इन गीतों में यही वर्णन वमिञा कि यशोदञा
जी बञािकृष्ण को पञािनञा झुिञा रही हैं , सीतञा मञातञा रञाम जी को पुष्पवाटिकञा में निहञार रही हैं , कौशल्या जी रञाम जी को दूध वपिञा रही हैं , कृष्ण जी रुषकमणी से परिहञास कर रहे हैं , आदि आदि । सञाथ ही यह भी कहञा कि हम एकञादशी को अन्न नहीं खञाते , जगन्नञाथ भगिञान की रथयञात्रा , विजयञादशमी , रञामनवमी , रक्षाबनधन , देवोत्थान पर्व , होली , दीपञाििी आदि बड़े धूमधञाम से मनञाते हैं । कञावत्यक उरञांव ने कहञा कि यहञां यदि एक भी वयषकत यह गीत गञा दे कि मरियम ईसञा को पञािनञा झुिञा रही हैं और यह गीत हमञारे परमपरञा में प्रञाचीन कञाि से है तो मैं भी ईसञाई बन जञाऊंगञा । उनहोंने यह भी कहञा कि मैं वनिञावसयों के उरञांव समुदञाय से हूँ । हनुमञानजी हमञारे आदिगुरु हैं और उनहोंने हमें रञाम नञाम की दीक्षा दी थी । ओ रञाम , ओ रञाम कहते कहते हम उरञांव के नञाम से जञाने गए । हम हिनदू ही पैदञा हुए और हिनदू ही मरेंगे ।
कञावत्यक उरञांव ने वनिञासी समञाज को ईसञाई पञादरियों के चंगुल से बचञाने के लिए लगञातञार प्रयञास कियञा I लेकिन अब एक नई चञाि भी चली जञा रही है । कञावत्यक उरञांव के नञाम से नकली पुसतकें प्रकञावशत करञाकर यह बतञाने की कोशिश की जञा रही है कि आवदिञासी हिनदू नहीं हैं । इसी तरह बिरसञा मुंडञा के नञाम से मुंडञा धर्म की कलपनञा भी हिञा मे तैर रही है । वनिञावसयों के धर्मांतरण को रोकने के लिए नए-नए षड्ंत् रचे जञा रहे हैं । स्वामी लक्मणञाननद की उड़ीसञा में और शान्ति कञािी जी महञारञाज की वत्पुरञा मे हतयञा कर दी जञाती है । गुजरञात के डञांग मे आवदिञावसयों कञा ईसञाईकरण रोकने िञािे स्वामी असीमञाननद को बिनञा कोई अपरञाध के लिए िषषों जेल मे सड़ञा दियञा गयञा । इसके विपरीत अर्बन नकसिी सुधञा भञारद्वाज के लिए मिशनरी एजेंट वृन्दा ग्ोिर कोर्ट मे जञाती है और गिरफ्तारी रुकिञा देती है । ऐसे में अब हमें यह विचञार करनञा ही पड़ेगञा कि ईसञाई संगठनों कञा धर्म परिवर्तन िञािञा खेल कब तक चलेगञा ? क्या हम इस पर अंकुश लगञा पञाएंगे ? यञा फिर ईसञाई संगठन इसी तरह धमञा्यनतरण करञाकर हिनदू समञाज को कमजोर करते रहेंगे ? �
iQjojh 2024 41