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अपराधी मुस्लिम तो चुप क्यों विपक्ष

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र्तमान समय में भारतीय राजनीति पुनः , उस दौर में पहुंच रही है , जहां सत्ा पक्ष पर घात लगाने के लिए विपक्ष खुल कर सांप्रदायिक राजनीति कर रहा है । विशेष रूप से मुस्लम मत प्रापर करने के उद्ेशय से विपक्षी दल उस मामलों पर चुप हो जाते है , जिन मुद्ों , विषयों या घटनाओं पर उनहें मुखर होकर जनता के बीच आना चाहिए । आशचय्त तो तब और होता है , जब यही विपक्षी दल उन घटनाओं पर भारत बंद करने के लिए सड़क पर आ जाते हैं , जो घटनाएं बाद में रची हुई पायी जाती हैं । उत्र प्रदेश में विपक्ष का यही चेहरा एक बार फिर उस समय दिखाई दिया है , जब लखीमपुर-खीरी जिले में दलित वर्ग की बेटियों की बर्बरता के साथ हतया कर दी गयी । चूँकि मरने वाली मरने वाली बेटियां दलित वर्ग की थी , तो घटना के बाद विपक्ष के नेता योगी सरकार के विरुद्ध विषवमन करने के लिए एकजुट हो गए । परनरु विपक्ष के नेताओं के ्िर दो दिन बाद उस समय बदल गए , जब घटना में शामिल पांच मुस्लम अपराधियों के विरुद्ध पुलिस ने कार्रवाई प्रारमभ कर दी । दलित बेटियों की हतया में मुस्लम अपराधियों की संलिपररा सामने आने के बाद समपूर्ण विपक्ष चुप होकर बैठ गया । दलित कलयार के खोखले दावों का कडुवा सच भी विपक्ष की चुपपी के साथ सामने आ गया ।
ऐसा मात्र उत्र प्रदेश के सनदभ्त में ही नहीं देखा जाना चाहिए । राज्थान , झारखणड , बिहार , पसशचम बंगाल , कर्नाटक से लेकर केरल तक , ऐसा शायद ही कोई राजय होगा , जहां मुस्लम ततिों की संलिपररा दलित वर्ग के विरुद्ध होने वाली घटनाओं में न पायी जा रही हो । कट्टरता की जमीनी ्रर पर वा्रतिक काली सच्ाई यही है कि देश भर में दलित उतपीड़न की अधिकतर में घटनाओं में मुस्लम ततिों की भूमिका ही मुखय रूप से सामने आती है । ऐसा शायद ही कोई राजय
होगा , जहां मुस्लम और दलित वर्ग की आबादी की बसावट एक-दूसरे के नजदीक न हो । नगर से लेकर ग्ाम ्रर तक दलित वर्ग के लोग जिन क्षेत्रों में निवास करते हैं , मुस्लम वर्ग भी सुनियोजित तरीके से अपने रहने की वयि्था में जुट जाता है । जब मुस्लम वर्ग की आबादी बढ़ जाती है , उसके बाद दलित वर्ग पर दबाव बनाकर उनहें मतांतरण के लिए बाधय किया जाता है । यह सिलसिला पिछले कई दशकों से जारी है । इसका दुषपरिणाम दलितों के विरुद्ध उतपीड़न की अब बढ़ते मामलों के रूप में देखा जा सकता है । विपक्षी दलों की नकारातमक राजनीति और घटनाओं का चयन करने की मानसिकता के कारण दलित उतपीड़न की तमाम घटनाएं ्थानीय ्रर पर ही सिमट कर रह जाती हैं ।
दलित उतपीड़न की घटनाओं में मुस्लम ततिों की संलिपररा उजागर होने के बाद विपक्ष का चुप हो जाना- यह कोई अचछा संकेत नहीं है । इससे यह भी पता चलता है कि मीम-भीम , भाई-भाई और तथाकथित दलित- मुस्लम गठजोड़ के पीछे भी केवल मतांतरण का खेल है और खेल का उद्ेशय येन-केन-प्रकारेण दलित वर्ग के लोगों को भ्रमित करके उनका मतांतरण करना है । कथित दलित-मुस्लम गठजोड़ की मुहिम 2014 के बाद से लगातार चलायी जा रही है , जिसे विपक्ष के अधिकांश नेता परोक्ष-अपरोक्ष रूप से अपना समर्थन दे रहे हैं । चीन उपासक वामपंथी इसका प्रचार-प्रसार कर रहा है , जिसके पीछे उनकी मानसिकता हिनदू धर्म पर आघात करने के लक्य को प्रापर करना है । मुस्लम वर्ग में राषट्र एवं समाज विरोधी कट्टरता को पोषित कर रहे ततिों से निपटने के लिए अब यह अतयंर आवशयक हो गया है कि आम जनता भी विपक्ष की भूमिका का मूलयाङ्कन करने के लिए ्ियं भी आगे आये , जिससे कट्टरता के उस हथियार से निपटा जा सके , जो दलित वर्ग पर बार-बार आघात कर रहा है ।
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