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हिन्दू समाज को खंडित करने का नया दांव है जाति गणना
जनगणना की मांग करने वाले नेताओं की जानकारी के लिए यह आवशयक है कि वह भलीभांति जान ले कि वर्तमान भारत सरकार जातिगत
के गजट में केवल हिन्दू समाज में जातियों की कुल संखया कितनी है ? इन नेताओं के कल्पना से ्परे साढ़े छह हजार जातियां एवं उन जातियों की उ्प जातियां लगभग ्पचास हजार से अधिक है । ऐसे में ्पचास हजार से अधिक जातियों या उ्पजातियों को उनकी संखया के आधार ्पर कया , कैसे और कितना आरक्षण दिया जा सकेगा .?
जाति गणना की रर्पोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से बिहार में मुखयमंत्ी नितीश कुमार से लेकर अनय जाति गणना समर्थक राजनीतिक दल हर्ष-उललास से ्परर्पदूण्त प्रतितरिया वयकि करने में वयसि हैं । जाति गणना की रर्पोर्ट आने के बाद से राजय के अंदर अलग-अलग जातियों ने लामबंद होना प्रारमभ कर दिया है । राजनीतिक दल अलग-अलग जातियों के आधार ्पर जाति सममेलन कराने की तैयारी करने लगे हैं । राजय सरकार के मंत्ी एवं जनता दल ( यदू ) नेता अशोक चौधरी भीम सममेलन के आयोजन के नाम ्पर तो बाहुबली नेता आनंद मोहन राज्पदूि सममेलन के आयोजन के लिए सतरिय हैं । बेगदूसराय में भदूतमहार सममेलन होने जा रहाहै तो ब्ाह्मण नेता भी ब्ाह्मणों का सममेलन कराने की तैयारी करने लगे हैं । चुनावी गणित के लिए त्पछड़ा वर्ग की कई जातियां अ्पनी-अ्पनी जाति के लोगों को एकजुट कर रही हैंI सभी जातियां आगामी लोकसभा चुनाव में अ्पनी-अ्पनी हिससे्ारी लेना चाहती हैं । राजय में बन रही ससरतियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कथित राजनीतिक हितों के लिए जाति गणना के मुद्े ्पर केंद्र सरकार ्पर दबाव बनाने में जुटे तव्पक्षी दलों के लिए भविषय में बनने वाली ससरतियां अचछी नहीं होंगी और हर जाति अ्पने-अ्पने ढंग से सत्ा में भागीदारी के नाम ्पर दबाव बनाने की ्पदूरी कोशिश करेगी । ऐसे में जो सामाजिक तनाव ्पैदा होगा , उसका अंतिम ्परिणाम अराजकता और हिंसा के रू्प में ही सामने आएगा , जिससे तन्पटना आसान कार्य हो होगा ।
जाति गणना के नाम ्पर बिहार ने राजनीतिक अवयवसरा और अराजकता की उस रणनीति को ्पोषित किया है , जिस रणनीति के तहत प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी को सत्ा से हटाने के लिए त्पछले नौ वरषों से साजिश और षड्ंत्ों को रचा जा रहा है । आगामी लोकसभा चुनाव से ्पहले जाति गणना को तव्पक्षी दल का एक बड़ा मुद्ा बना रहे हैं । जाति गणना के नाम ्पर इसलातमक शसकियों के साथ ही चर्च लॉबी भी सतरिय हो चुकी है और चीन , ्पाकिसिान सहित अनय भारत विरोधी शसकियां भी अ्पना ्पदूरा जोर लगा रही हैं । यह सभी एकजुट होकर जाति गणना के नाम ्पर देश को असि-वयसि करने की फ़िराक में हैं । बिहार जैसे उस राजय में जहां लालदू प्रसाद यादव , राबड़ी देवी और फिर नीतीश कुमार जैसे त्पछड़ी जाति के नेताओं ने 32 वरषों तक राज किया , वहीं अब यही नेता त्पछड़ों के त्पछड़ा रह जाने का राग अला्प रहे हैं । स्पषट है कि
दशकों तक शांत रहने के बाद सिर्फ चुनावी लाभ के लिए राजय में कराई गई जाति गणना एक राजनीतिक षड्ंत् और प्र्पंच का ही हिससा है ।
सच यह भी है कि प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी की विकासवादी राजनीति का कोई तोड़ तव्पक्षी दल निकाल नहीं ्पाए हैं । त्पछले नौ वर्ष के दौरान प्रधानमंत्ी मोदी की नीतियों , कार्यप्रतरिया एवं समयबद्ध विकास प्रतरिया से जाति-वर्ग भेद की ससरतियों में आमदूलचदूल ्परिवर्तन हुआ है । केंद्र की मोदी नेतृतव वाली सरकार दलित , त्पछड़ा , गरीब , वनवासी वर्ग की जनता के कलयाण के लिए काम कर रही है , जिससे इन वगषों की सामाजिक- आर्थिक ससरतियों में ्परिवर्तन देखा जा रहा है । विकास और कलयाणकारी कायषों से राजनीतिक आधार ्पर जो ्परिवर्तन हुआ है , उसका ्परिणाम देश भर में भाज्पा के बढ़ रहे समर्थन के रू्प में देखा जा सकता है । तव्पक्षी दलों के लिए यही सबसे बड़ी चिंता है । इसीलिए जाति गणना को तव्पक्षी दल हवा दे रहे हैं ।
जाति गणना के लिए कांग्ेस खुल कर मैदान में है । कांग्ेस नेता राहुल गांधी से लेकर अनय नेता जाति गणना के लाभ बताकर हाल ही में हैदराबाद में हुई कांग्ेस कार्यसमिति की बैठक में जाति गणना ्पदूरे देश में कराए जाने का प्रसिाव भी ्पारित करा लिया । लेकिन कांग्ेतसयों के ्पास इस प्रश्न का उत्र नहीं है कि आखिर उनके ्पदूव्तजों ने 1931 में जाति गणना का विरोध कयों किया था ? कांग्ेस नेताओं के ्पास इस प्रश्न का भी उत्र नहीं है कि आखिर इंदिरा गांधी ने जात-्पांत के नाम ्पर वोट कयों नहीं मांगा ? बिहार में 84 प्रतिशत दलित , त्पछड़ा एवं वनवासी वर्ग की हिससे्ारी बताने वाले राहुल गांधी ने राजय के मुसलमानों को त्पछड़ी जाति में कयों और किस तरह शामिल कर लिया है ? इसका उत्र तव्पक्ष का नेता नहीं देना चाहेगा ।
वासिव में देश को ्पुनः खंडित करने के लिए जाति गणना के ्पक्ष में माहौल बनाने और तव्पक्षी नेताओं को अ्पना मोहरा बनाकर देशी-विदेशी शसकियां तेजी से सतरिय हुई हैं । सभी की योजना जाति गणना के नाम ्पर देश भर में अराजकता फ़ैलाकर प्रधानमंत्ी मोदी को सत्ा से हटाना है । देश विरोधी , संस्कृति विरोधी और सनातन विरोधी तव्पक्षी गठबंधन भारत को ्पुनः कई दशक ्पीछे ले जाने का षड्ंत् रचते हुए भारत के गौरवशाली इतिहास को बदलने के लिए एकजुट हैं । जातिगत गणना को ऐसे अंतिम दांव के रू्प में देखा जा सकता है जो आम जनता को कुशासन , बेरोजगारी , लचर कानदून-वयवसरा और भ्रषटाचार से जुड़े मुद्ों से भटका कर जातियों में उलझाना चाहता है । ऐसे में इसे राजनीतिक लाभ के लिए बांटने और तोड़ने की एक कुसतसि साजिश कहना कही से भी गलत नहीं होगा । इसीलिए आम जनता को सतर्क रहना होगा । साथ ही भारत और हिन्दू समाज को खंडित करने की साजिशों का मुंहतोड़ उत्र देने के लिए भी आगे आना होगा कयोंकि आम जनता ही चुनाव में भारत विरोधी ततवों को जवाब दे सकती है ।
flracj & vDVwcj 2023 3