्टैंड बताना थिा । मसलिे की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार इस मारलिे पर जलदबाजी नहीं नहीं करना चाहती है । इसीचलिए केंद्र सरकार ने आयोग का गठन किया है । यह आयोग मारलिे का अधयययन करने के बाद केंद्र सरकार को अपनी सिफारिश देगा । आयोग का कार्यकालि दो वर््म का होगा ।
जानकारी हो कि संवैधानिकv ( अनुसूचित जाति ) आदेश-1950 ( समय-समय पर संशोधित ) के अनुसार अनुसूचित जाति ( एसी ) का दर्जा केवलि हिंदू , सिख और बौद्ध धर्म मानने वालिे वयसकर को चरलिरा है । पिलिे तो सिर्फ हिंदू धर्म को ऐसा दर्जा चरलिरा थिा । बाद में इसमें सिख और बौद्ध धर्म को इसमें जोड़ा गया थिा । लिेकिन मुस्लिम और ईसाई संगठन
धराांतरित दचलिर को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग करते आ रही है । लिगभग डेढ़ दशक से भी अधिक समय से उच्चतम नयायालिय में यह मारलिा चलि रहा है । डॉ मनमोहन सिंह के नेतृतव वालिी कांग्ेस सरकार ने 2004 में आचथि्मक रूप से चपछिड़डे वगषों के कलयाण की सिफारिश की थिी । इसके चलिए पूर्व CJI रंगनाथि मिश्ा की अधयक्षता में राषट्ीय धार्मिक और भार्ाई अलपसंखयक आयोग का गठन किया गया थिा । 2007 में रंगनाथि मिश्ा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थिी कि अनुसूचित जाति का दर्जा पूरी तरह से धर्म से अलिग कर दिया जाए । लिेकिन तत्कालीन सरकार ने इस सिफारिश को यह कहकर खारिज कर दिया थिा कि इसकी जमीनी आधार पर अधययन की
पुसषट नहीं हुई है ।
भाजपा सहित सभी हिंदूवादी संगठन मुस्लिम और ईसाई धर्म अपनाने वालिे दचलिरों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने का लिगातार विरोध कर रहे हैं । माना जा रहा है कि इससे भारत में धर्म परिवर्तन और तेजी से बढ़ेगा । मोदी सरकार इस मारलिे पर बहुत िड़बड़ी नहीं करना चाहती है । इसीचलिए केंद्र सरकार ने आयोग का गठन किया हैं । यह आयोग ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने वालिे दचलिरों की सामाजिक , वित्तीय एवं शैक्षिक स्थितियों के साथि ही अनुसूचित जाति का दर्जा देने की स्थित में होने वालिे प्रभाव का आकलिन करेगा । साथि आयोग यह भी पता करेगा कि देश में धराांतरित दचलिरों की वा्रचवक संखया कितनी है । �
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