मामले की गंभीरता को समझना जरूरी
विनय के परिवार का कहना है कि घटना के बाद गिरफ्ार किए गए सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया है और वे गांव में अपना फरमान चला रहे हैं । विनय के पिता चंद्शेखर शिवप्ादासरा ने बताया कि अगर भेदभाव की प्रथा को समाप्त नहीं किया जा सकता तो उनके बेटे के नाम पर सरकारी योजना का नाम रखना बेकार है । उन्ोंने कहा कि गांव के वार्षिक मंदिर महोत्सव को इसमें दलितों के भाग लेने के डर की वजह से रद्द कर दिया गया था । वहीं , सामाजिक कल्ाण विभाग के अधिकारियों का का कहना है कि उन्ें महोत्सव रद्द होने की जानकारी नहीं थी । चंद्शेखर ने कहा , ‘ गांव में हुई हर बुरी चीज के लिए हमारे परिवार को जिम्ेदार ठहराया जाता था और हमें अलग-थलग कर दिया गया । अगर हमें किसी तरह की आपातकालीन मदद की जरूरत भी होती तो हमें मदद नहीं मिलती ।’ चंद्शेखर के पिता को राज्य सरकार की ओर से एक लाख रुपये की आर्थिक मदद मिली थी और इस राशि से उनकी योजना कार धोने की दुकान खोलने की है । उन्ोंने कहा कि मियापुर गांव में उनकी जमीन को सुरलषित रखने और उसके बदले येलबुर्गा में वैकल्ल्पक जमीन मिलने के लिए सरकार से मदद के प्रयास भी असफल रहे । उन्ोंने कहा , ‘ मैं सरकारी अधिकारियों के सामने दोबारा गुहार नहीं लगाऊं गा क्ोंकि मैं इससे थक गया हं ।’ एक सामाजिक कल्ाण विभाग के अधिकारी ने दावा किया कि उन्ें येलबुर्गा में जमीन दिलाने और घर का निर्माण कराने में मदद के प्रयास किए जा रहे हैं ।
पांच लोगों को गिरफतार किया । परर्वार को गां्व लाया गया । मामला पूरी तरह सरे सुलझा लिया गा । तीन दिन पहिरे मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी पहुंचरे और उन्होंनरे योजना शुरू करनरे का ऐलान किया । ल्वनय के पिता चंद्रशरेखर लश्वपपा दसर नरे बताया कि ्वह राजय में असपृ्यता उन्मूलन के लिए शुरू किए जा रहरे काय्षक्म का स्वागत करतरे हैं ।
' गांव के लोग कहते हैं शनि '
चंद्रशरेखर नरे कहा , ' हालांकि , हम चाहतरे हैं कि किसी भी बच्चरे या परर्वार को इस तरह की यातना न झरेिनी पड़े । अधिकारियों नरे कार्ष्वाई की िरेलकन लोगों की मानसिकता बदलनरे की जरूरत है । अगर कोई बच्चा हमाररे पास आता भी तो माता-पिता उसरे यह कहतरे हुए जोर-जोर सरे डांटतरे थिरे कि हम गां्व के लिए ' शनि ' हैं । हमाररे समुदाय के लोगों नरे भी दूरी बनाए रखी । हमनरे महसूस किया कि इस मानसिकता को
कोई भी सरकार या अधिकारी नहीं बदल सकता है और हम पुलिस या अन्य ल्वभाग की सुरक्ा चौबीसों घंट़े नहीं मांग सकतरे । ल्वनय के पिता चंद्रशरेखर लश्वपपादासरा नरे कहा , " मरेररे बरेट़े के नाम पर एक सरकारी काय्षक्म का नाम रखनरे सरे कुछ नहीं बदिरेगा , इस कुप्रथा ( असपृ्यता ) को खतम किया जाना चाहिए ।" बता दें कि मियापुर में 1,500 लोगों की आबादी है जिनमें जयादातर गनीगा समुदाय के लोग हैं । इनमें के्वि 91 ग्ामीण , दलित समुदाय के हैं । अब गां्व में नहीं रहना चाहता परर्वार ल्वनय के पिता नरे कहा , ' मरेररे बरेट़े के नाम पर एक अभियान की योजना बनानरे के लिए हम सरकार को िन्य्वाद दरेतरे हैं । िरेलकन , मियापुर में सामाजिक बहिष्कार सरे पररेशान होकर , हम 22 दिसंबर , 2021 को मरेरी पत्ी ललिता के गृह नगर , यरेिबर्ग तालुक में कुडागुंटी गां्व चिरे गए । तीन महीनरे पहिरे उसनरे एक और बच्चरे को जन्म दिया । हम ्वापस कु्तगी चिरे जाएंगरे ।
जिला प्शासन नरे आलथि्षक मदद दी है और ्वह कु्तगी में कार धुलाई केंद्र स्थापित करनरे की तैयारी कर रहरे हैं । 5 लाख रुपयरे का ऋण स्वीककृत किया गया है और हमाररे पास व्यवसाय के लिए उपकरण हैं ।'
लोगों को ब़ीर फै लाई जाएग़ी जागरूकता
कोपपि के डिपटी कमिश्नर सुरलकर ल्वकास किशोर नरे बताया कि प्शासन नरे डॉ . आंबरेडकर लड्वरेिपमेंट कॉरपोररेशन सरे 75,000 रुपयरे मुआ्वजा और 1 लाख रुपयरे की ससबसडी मंजूर की है । हालांकि परर्वार नरे पुलिस शिकायत दर्ज करनरे में संकोच किया , हमनरे पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया । हम परर्वार को ककृलर भूमि की मंजूरी की भी प्लक्या कर रहरे हैं । इस बीच , हम असपृ्यता के बाररे में जागरूकता पैदा कर रहरे हैं । हमें उममीद है कि ल्वनय समरसय योजना इसरे खतम करनरे में मदद कररेगी ।
ebZ 2022 15