eMag_May 2021_Dalit Andolan | Page 27

को भी नष्ट कर क्द्या ग्या । घ्टना में कई दक्लत बुरी तरह घा्यल हुए । घ्टना के बाद पुक्लस की भूक्मका पर भी प्रश्न खड़़े हुए । सथानी्य क्नवाक्स्यों का आरोप है क्क पुक्लस कार्रवाई करने की जगह क्नशषरि्य बनी रही । इसी का लाभ उठाकर मुशसलम गुंडों ने घर में घुसकर उपद्रव क्क्या । इतना ही नहीं , ग्ामीणों का आरोप है क्क मुशसलम गुंडों ने पुक्लस के सामने ही डॉ आंबेडकर की प्रक्तमा को तोडा था ।
प्रदेश में मुशसलम समुदा्य के लोगों द्ारा दक्लतों के घर में घुसने , छ़ेड़छाड़ , उतपात , क्हंसा से जुडी ्यह कोई पहली घ्टना नहीं है । प्रदेश में मुख्यमंरिी ्योगी आक्दत्यनाथ द्ारा सत्ा संभाले जाने के बाद कई ऐसे मामले सामने आ चिुके
हैं । हर घ्टना के पीछ़े देखा जा्ये तो मूल कारण दक्लत वर्ग की जनता द्ारा मुशसलम समाज के
वचि्यसव को असवीकार करना ही रहा है । हैरत का क्वर्य ्यह है क्क दक्लत समाज के सर्वकल्याण का दावा करने वाले राजनेता , संघठन , बुक्द्धजीवी सक्हत अत््य सभी पक् उतपीड़न की उन घ्टनाओं पर चिुपपी साध कर बैठ जाते हैं , क्जनमें आरोपी मुशसलम संप्रदा्य के पाए जाते हैं । देश के सभी राज्यों में दक्लत उतपीड़न के मुशसलम आरोक्प्यों के समबत्ध में न तो कोई तीखी प्रक्तक्रि्या होती है और न ही कोई सड़क पर उतर कर धरना- प्रदर्शन करता है ।
दक्लत-मुशसलम गठजोड़ के नाम पर " ज्य भीम-ज्य मीम " के नारे लगाने वाले 2014 में केंद्र में प्रधानमंरिी नरेंद्र मोदी के नेतृतव में भाजपा सरकार का गठन होने के बाद से प्र्यास क्क्ये जा रहे है । इस राग को हवा देने का काम वह वामपंथी संगठन और वामपंथी बुद्विजीवी कर रहे हैं , क्जनके क्लए भारत की एकता और अखंडता कोई मा्यने नहीं रखती है । इन अभी का एकमारि लक््य केंद्र एवं राज्य की भाजपा सरकार को क्गराकर ्येन-केन प्रकारेण अपनी सत्ा का्यम करना है । भाजपा को क्मल रहे दक्लत समाज के समर्थन को खतम करने के क्लए मुशसलम और ईसाई क्मशनरर्यां भी तेजी से सक्रि्य हैं । ्यह सभी दक्लत समाज को बरगलाकर उन्हें मुशसलम समुदा्य के साथ क्मल कर ्या ईसाई धर्म अपनाकर अपने भक्वष्य सुधारने का भ्रक्मत प्रचिार कर रहे हैंI दक्लतों का धर्मपरिवर्तन ज्य भीम-ज्य मीम नारे का वह क्छपा हुआ एजेंडा है , जो अब दक्लत समाज को भी समझ आने लगा है । ्यही कारण है क्क दक्लत समाज की जो जनता समाज तोड़ने वालों के एजेंड़े के समझ कर क्वरोध करती है , उसे मुशसलम गुंड़े क्नशाना बनाकर दबाव बनाने की कोक्शश में जु्ट जाते हैं ।
दक्लत-मुशसलम गठजोड़ का राग कोई न्या राग है , बशलक सवतंरिता से पहले भी दक्लतों को क्हंदुओं से अलग कर इसलाम की ओर लाने के प्र्यास हुए । डॉ . आंबेडकर ने इन प्र्यासों को खारिज क्क्या और वासतव में क्हंदू समाज के बहुत बड़े रक्क बने । वो्ट बैंक के आधार पर ्यक्द गौर क्क्या जाए तो भारती्य मतदाताओं की
आबादी में दक्लतों का अनुपात 16.6 प्रक्तशत है ्यानी वह देश में मुशसलमों से बड़़े वो्ट बैंक हैं । मुशसलमों की तरह दक्लतों ने कभी इस क्लहाज से एकजु्ट मतदान नहीं क्क्या क्क अमुक दल को क्जताना है ्या अमुक को हराना है । ्यही वजह है क्क एक बार क्िर दक्लत वो्ट को एकजु्ट करके मुशसलमों के साथ क्मलकर वो्ट करने के क्लए संभावनाएं बना्यीं जा रही हैं । ्योजना ्यह है क्क दक्लतों का अक्धकांश वो्ट क्कसी भी तरह क्हत्दू क्वरोधी पाक््ट्ड्यों की और मोड़ा जा सके । बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने आजीवन कठोर परिश्रम व कष्ट उठा कर दक्लत समाज का भक्वष्य संवार क्द्या ।
भारत के संक्वधान क्नमा्यता बाबा साहब ने हमेशा उममीद जताई थी क्क भारत में सरकारें संक्वधान का पालन करते हुए क्बना पंथ का भेद क्कए हुए , क्बना जाक्त का भेद क्कए हुए चिलेंगी । लेक्कन ऐसा नहीं हो पा्या , परिणामसवरूप दक्लत वर्ग की जनता क्वकास की दौर में बहुत पीछ़े छोड़ दी ग्यी । लेक्कन 2014 के बाद शसथक्त्यों में आमूलचिूल परिवर्तन होना प्रारमभ हुआ , जब केंद्र में सत्ा संभाल कर मोदी सरकार ने क्बना क्कसी भेदभाव के सभी को समानता का अक्धकार देने के उद्े््य से काम प्रारमभ क्क्याI भाजपा साकार की क्वकासवादी राजनीक्त और एजेंड़े का बड़ा लाभ गरीब दक्लत , क्पछड़़े और वनवासी वर्ग की जनता को क्मला हैI ऐसे में दक्लत वर्ग को क्कस तरह से भाजपा के क्वरोध में खड़ा क्क्या जाए ? दक्लत-मुशसलम गठजोड़ का एकमारि लक््य इससे ज्यादा कुछ नहीं है । दक्लत वर्ग की जनता ्यह समझने लगी है क्क मुशसलम ्या ईसाई समाज के साथ जाने पर न तो उनका वास्तविक कल्याण होगा और न ही उन्हें कोई क्वशेष लाभ क्मलने वालाI गठजोड़ के क्लए क्क्ये जाने वाले दावे क्सि्फ एक धोखे से ज्यादा कुछ नहीं है । दक्लत जनता की बदलती हुई सोचि भाजपा क्वरोधी शक्तियों के क्लए तनाव का क्वर्य बन रहा है और इसका परिणाम दक्लत जनता के साथ हो रही घ्टनाओं के रूप में देखा जा सकता है । �
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