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नेपाल की पहली दलित महिला सीडीओ बनीं सीता परियार
कडे संघर्ष से मुख्य जिला अधिकारी बनने में पाई सफलता जातिवाद के सामाजिक संकट का डट कर किया सामना
दलित आंदोलन पलरिका ब्यूरो
,
क \ दलित परररतार में लडकी के रूप में जन्मी सीतता परियतार के लिए जीवन जन्म से ही बेहद संघर्ष भरता रहता । जताकतरताद के सतामताकजक संकट कता सतामनता करते हुए इससे लडने की दिशता में आज वह कताम करने के लिए दृढ़ है । 44 सताल की सीतता परियतार एक कसरकल सरवेंट हैं , जोकि नेपताल की पहली दलित मुख्य जिलता अधिकतारी
बनी हैं । नेपताल में दलित लंबे समय से सरकतार के अंगों से दूर रहे हैं , विशेषकर सिविल सेरताओं में केवल कुछ ही हैं । नेपताल के राष्ट्रीय मतानरताकधकतार आयोग की एक रिपोर्ट भी दशता्वती है कि सरकतारी तंत्र में दलित समुदताय कता प्रतिनिधितर न्यूनतम है । अपनता नयता कताय्वभतार संभतालते हुए सीतता ने कहता है कि अपने कर्तवयों कता पतालन करते हुए वह यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिकत प्रयतास करेंगी कि किसी को
भी उसकी जताकत के कतारण भेदभतार कता सतामनता न करनता पड़े ।
समाज का दोहरा व्िहार
नेपताल की पहली दलित महिलता मुखय जिलता अधिकतारी बनीं सीतता परियतार नेपताल के कतासकी जिले के भोरले में अपने मतातता-पितता की पतांचवीं संततान के रूप में जन्म लियता । सीतता ने अपने शुरुआती दिनों से ही भेदभतार कता अनुभव करनता
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