eMag_June2022_DA | Page 34

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नियंत्रण में है । दंगों में शताकमल सभी लोग अमलतापुरम शहर के लोग प्रतीत होते हैं । सीसीटीवी फुट़ेज के आधतार पर हम आगजनी और पथरतार में शताकमल लोगों की पहचतान करेंगे और उनके खिलतार कडी कतार्वरताई करेंगे ।' बतता दें कि आंध्र में जिले कता नताम बदलने को लेकर लोगों में जमकर रोश थता । लोगों कता ऐसता गुस्सा भडकता कि मंत्री विधतायक के घर तक फूंक दिए गये । इतनता ही नहीं पुलिस और सकूल की गताडी को भी उग् प्रदर्शनकतारियों ने आग के हरताले कर दियता । इस घटनता में कई पुलिसकमती भी घतायल हो गए । वहीं अमलतापुरम में कतानून-वयरस्था की स्थिति को नियंत्रित करने में ‘ विफलतता ’ को लेकर विपक् ने रताजय सरकतार पर निशतानता सताधता है ।
कानून व्िस्ा बनाए रखने की अपरील
अधिकतारी ने लोगों से संयम बरतने कता आग्ह करते हुए युरताओं को असतामताकजक गतिविधियों कता सहतारता नहीं लेने और अपने भविषय को खतरे में डतालने कता कनदतेश दियता . यह पूछ़े जताने पर कि क्या उन्होंने दंगों के पीछ़े लोगों की पहचतान की है , पलतारताजू ने कहता कि उनके पतास कुछ सुरताग हैं , लेकिन अभी भी जतांच की जता रही है ।
दंगों को रताजय में अशतांति पैदता करने के लिए कुछ तताकतों द्वारता एक सताकजश करतार देते हुए , गृह मंत्री तनेती वनितता ने कहता कि उपरिकरयों से सखती से निपटता जताएगता । उन्होंने कहता , “ अमलतापुरम में दंगों के लिए जिममेदतार लोगों को बख्शा नहीं जताएगता । अंबेडकर के नताम पर जिले कता नताम तेदेपता , भताजपता और जन सेनता की मतांग थी । अब वे लोगों को विरोध के लिए उकसता रहे हैं , जो निंदनीय है । दंगों के पीछ़े कता मकसद रताजनीतिक है , ” मंत्री विशररूप ने आरोप लगतायता । अप्रैल में जिलों के पुनर्गठन के बताद यह पहलता मौकता थता जब अमलतापुरम से इस तरह की हिंसक घटनताओं की सूचनता मिली थी । पूरती गोदताररी जिले को पूरती गोदताररी , कताकीनताडता और कोनसीमता जिलों के रूप में विभताकजत कियता गयता थता । अमलतापुरम संसदीय क्ेत्र के सतात विधतानसभता क्ेत्रों में से तीन को अनुसूचित जताकत के लिए आरकक्त कियता गयता है ।
छद्म आंबेडकरवादियों की रहस्यमय खामोशरी
डॉ . आंबेडकर के नताम पर एक जिले कता नतामकरण करने के प्रस्ताव कता इतने बड़े पैमताने पर विरोध होने और व्यापक हिंसता के द्वारता इस
प्रस्ताव को अमल में लताने से रोकने कता प्रयतास किए जताने के बतारजूद राष्ट्रीय सतर पर इस मतामले की कोई खतास चचता्व नहीं होनता दुखद भी है और दुभता्वगयपूर्ण भी । सरताल है कि क्या सिर्फ इसलिए ऐसे मतामले में भी चुपपी की चतादर ओढ़ ली जताएगी कयोंकि कहीं इस पर राष्ट्रीय बहस होने से गैर भताजपता शताकसत रताजय की बदनतामी नता हो जताए और वहतां भताजपता को बढ़त बनताने के लिए रताजनीति करने कता मौकता नता मिल जताए । रनता्व डॉ . आंबेडकर कता नताम भुनताकर दलितों कता हितैषी होने कता दिखतारता करके अपने स्वार्थ की दुकतान चलताने रतालों ने इस मुद्े को तूल कयों नहीं दियता । डॉ . आंबेडकर के नताम कता इतने बड़े पैमताने पर विरोध होतता रहता और तमताम छद्म आंबेडकररतादी चुपपी की चतादर ओढ़कर ऐसे खतामोश रहे जैसे उन्हें कुछ पतता ही नहीं हो । यह खतामोशी बेसबब तो नहीं हो सकती । निश्चित ही डॉ . आंबेडकर के नताम को मजबूती से आगे बढ़ताने से चुपचताप पीछ़े हट जतानेरतालों को यह जरताब देनता चताकहए कि आखिर उन्होंने ऐसता कयों कियता । कयों नहीं वे डॉ . आंबेडकर के नताम के खिलतार उठने रताली आरताज को कुचलने के लिए वे आगे आए ? यह सरताल तो पूछता ही जताएगता । �
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