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मोदी सरकार : कथनी और करनी की एकरूपता
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भी तक पूर्वरतती सत्तारूढ़ दलों की कथनी और करनी के अंतर कता ही परिणताम रहता कि रतामचरितमतानस की और कोई चौपताई किसी को यताद हो यता नता हो लेकिन रताजनीतिक यता चुनतारी चचता्व चलने पर हर किसी की जिब्हा पर अकसर तकियता कलताम के रूप में यह बतात आ जताती थी कि ' कोऊ नृप होहिं हमें कता हताकन ।' रताजनीतिक दलों के प्रति आम जनमतानस में निरताशता की परताकताष्ठा को प्रदर्शित करने रताली यह बतात इसलिए भी अकसर सुनताई देती थी कयोंकि विकतास और सुधतार की बतातें तो सभी दल करते थे लेकिन सत्ता प्रतापत होने के बताद रतायदों की पोटली को खूंटी पर टतांग कर पूरे कताय्वकताल में सिर्फ सरकहत , परररतार हित और दलगत रताजनीतिक हितों को सताधने पर ही उनकता ध्यान केन्द्रित रहतता थता । आम जनतता की पीड़ा को समझनता और उनकी समस्याओं को दूर करनता सत्ताधतारियों की प्रताथमिकतता में शताकमल रहनता अपरताद के तौर पर शतायद ही कभी कहीं देखता गयता हो । लेकिन जनतता की विवशतता थी कि एक ओर नतागनताथ और दूसरी ओर सतांपनताथ के बीच में से किसी एक कता चयन करने के अलतारता उसके पतास दूसरता कोई विकलप ही नहीं थता ।
कथनी और करनी के अंतर कता इससे बड़ा उदताहरण और क्या हो सकतता है कि गरीबी हटताओ कता नतारता देकर गतांधी — नेहरू परररतार की चतार पीढ़ियों ने पंचतायत से लेकर पताकल्वयतामेंट तक दशकों तक एकछत्र अखंड रताज कियता लेकिन गरीबी दूर करने के लिए किसी ठोस कताय्वयोजनता पर अमल करने कता दिखतारता करनता भी आवशयक नहीं समझता । परिणताम सररूप आजतादी के बताद गरीबी , बेरोजगतारी और भूख एवं कुपोषण के कतारण होने रताली असतामयिक मौतों की समस्या लगताततार विकरताल होती चली गई । इसकी सबसे बडी मतार स्वाभताकरक से दलितों , वंचितों , शोषितों
और अनुसूचितों को ही झेलनी पडी जो सत्ता की अनदेखी के कतारण अपने आस्तितर की रक्षा के संघर्ष से उबर ही नहीं पताए । हतालतांकि इस वर्ग ने कतांग्ेस के विकलप के तौर पर सरजतातीय नेतताओं को अपनता एकजुट समर्थन देकर आगे बढ़ताने की पहलकदमी अवशय की लेकिन इसके नतीजे में भी उन्हें धोखता ही मिलता और जिसे इन्होंने अपनता नेतृतर की बतागडोर सौंपी उसने इन्हें मतात्र वोटबैंक बनता कर रख दियता और इनके हितों को सुरकक्त करने के स्थान पर वह सरकहत , परररतार हित और दलगत रताजनीतिक हितों तक ही सीमित रहता । चताहे वह यूपी की बसपता हो , बिहतार की लोजपता यता महताराष्ट्र की आरपीआई । इन दलों ने अनुसूचितों के समर्थन से सत्ता कता सुख भोग करने के दौरतान अपने मतदतातताओं के हितों की रक्षा के लिए कोई बड़ा कदम उ्तायता हो ऐसता एक भी उदताहरण शतायद ही कहीं देखने , कहने यता सुनने को मिलतता हो ।
लेकिन , गत आठ सतालों में प्रधतानमंत्री नरेद्रि मोदी की अगुरताई में केद्रि से लेकर अधिकतांश रताजयों में सत्तारूढ़ भताजपता की कथनी और करनी की एकरूपतता कता ही नतीजता है कि अब किसी की जुबतान पर यह बतात नहीं आती कि ' कोऊ नृप होहिं हमें कता हताकन ।' बल्कि मोदी है तो मुमकिन है कि कहतारत केसताथ चुनतार दर चुनतार भताजपता के विजय रथ की लहरताती पतताकता इस बतात कता प्रमताण है कि आम जनमतानस की सत्ता से जुडी अपेक्षाएं पूर्ण हो रही हैं और उसे विकलप खोजने की कोई आवशयकतता नहीं हो रही है । जब पहली बतार प्रधतानमंत्री के तौर पर मोदी ने कताय्वभतार संभतालता तो सपषट शबदों में घोषणता कियता कि उनकी सरकतार दलितों , वंचितों , गरीबों और अनुसूचितों के प्रति समर्पित रहेगी । इस कथनी को करनी में परिवर्तित करते हुए सरकतार ने अब तक जितनी भी योजनताएं आरंभ कीं उसमें इस बतार कता खतास ध्यान
रखता गयता कि उसके लताभताकथ्वयों में सरवोच्च प्रताथमिकतता अनुसूचितों , वंचितों और महिलताओं को मिले । तभी तो बतात जनधन योजनता की करें , उजरलता योजनता की , उजतालता योजनता की , आरतास योजनता की , इंरिधनुष योजनता की , मुद्रा योजनता की यता सरचछ भतारत एवं कौशल भतारत से लेकर स्टार्टअप — सटैंडअप योजनता तक की । हर योजनता में वंचित वर्ग के उत्थान और सशक्तिकरण को ही केद्रि में रखता गयता । यतानी जो कहता , वही कियता । इसमें नता सरकहत देखता , नता परररतार कता हित और नता ही दलगत रताजनीतिक हित । एक ही लक्य सतामने रखकर सत्ता कता संचतालन कियता गयता कि समताज के सबसे निचले पतायदतान पर खड़े वर्ग को कितनी तीब्र गति से मुखयधतारता में आगे लतायता जता सके ।
मतात्र सरकतारी योजनताओं में ही अनुसूचितों के प्रति सरकतार कता समर्पण दिखताई नहीं देतता बल्कि बीते आठ सताल में जब भी जरूरत पडी तो अनुसूचितों कता हित सुरकक्त करने , उनके स्वाभिमतान कता सम्मान करने और समताज में उनको अग्णी स्थान दिलताने के लिए प्रधतानमंत्री मोदी की अगुरताई में भताजपता हमेशता सबसे आगे और कई बतार अकेले खडी दिखताई दी । चताहे सरवोच्च द्यतायतालय द्वारता एट्रोसिटी एकट के प्रतारधतानों को कमजोर करने की पहल के खिलतार संसद की शक्ति कता इसतेमताल करके अनुसूचितों कता हित सुरकक्त करनता पड़ा हो यता फिर बताबता सहब के जीवन से जुड़े स्थानों कता तीर्थसथल के तौर पर पंच तीर्थ के रूप में विकतास करनता हो , भताजपता ने आगे बढ़कर इन सब कार्यों को अंजताम दियता । समताज में अनुसूचितों को अग्णी स्थान व सम्मान दिलताने के लिए कुंभ मेले में सरताईकर्मियों कता श्रद्धापूर्वक पतांव धोने के लिए प्रधतानमंत्री कता आगे आनता हो यता फिर कोरोनता के कतालखंड में किसी गरीब को भूखता नता सोनता पड़े इसके लिए मुफत में अन्न वितरण कता कताय्वक्रम चलताने कता फैसलता करनता हो । यहतां तक कि कोरोनता कता टीकता देने के मतामले में भी पहली प्रताथमिकतता सूची में सरताईकर्मियों को शताकमल करके अनुसूचितों के प्रताण की रक्षा करने में भी सरकतार ने कतई विलंब नहीं कियता । कथनी और करनी की इसी एकरूपतता कता नतीजता है कि जताकतगत चुनतारी रताजनीति की अवधतारणता अब अंतिम सतांसें गिन रही है और सत्ता की जन विशरसनीयतता में लगताततार वृकद् देखी जता रही है ।
twu 2022 3