eMag_June 2023_DA | Page 3

laikndh ;

ईसाई-मुस्लिम धर्म अपनाने वाले दलितों को आरक्षण क्ों ?

ns

श के उच्चतम न्या्यालय में धर्म-परिवर्तन करके ईसयाई और इस्लाम धर्म अपनयाने वयाले दलितों को अनुसूचित जयालत के तहत आरक्षण देने सम्बन्धी ्यालिकया लंल्बत है । इस ्यालिकया पर आगयामधी जुलयाई मयाह में सुनवयाई होने कया दयावया भधी लक्या जया रहया है । ्यालिकया के विरोध में उच्चतम न्या्यालय में दिए गए हलफनयामे में केंद्र सरकयाि ने दलित मुससलमों और दलित ईसयाइयों को अनुसूचित जयालत कया दजया्म दिए जयाने कया विरोध लक्या है । केंद्र सरकयाि ने कहया है कि हिनदू दलित ईसयाई और मुससलम धर्म इसलिए अपनयाते हैं , क्ोंकि उनहें ऐसया लगतया है कि ईसयाई ्या मुससलम धर्म अपनयाने से उनहें छुआछूत से मुसकत मिल सके । चूंकि ईसयाई और मुससलम धर्म में जयालत व्वस्था जैसया कुछ नहीं होतया है । इसलिए दलित ईसयाई और दलित मुससलमों को अनुसूचित जयालत के अंतर्गत आरक्षण नहीं लद्या जया सकतया है । सयामयालजक न्याय और अधिकयारितया मंत्रालय द्यािया दयालिल किए गए हलफनयामे में केंद्र सरकयाि ने कहया है कि अनुसूचित जयालत्ों के आरक्षण और पहियान कया उद्ेश् सयामयालजक और आर्थिक पिछड़ेपन से परे है । अनुसूचित जयालत्ों कधी पहियान एक विशिष्ट सयामयालजक कुप्र्या पर केंद्रित है और संविधयान ( अनुसूचित जयालत ) आदेश-1950 मंस पहियाने गए वगगों तक सधीलमत है ।
लवियाि लक्या जयाए तो ईसयाई और मुससलम धर्म अपनया चुके दलितों को आरक्षण देने कधी मयांग कहीं से भधी सहधी नहीं लगतधी है और इस मयांग के पधीछ़े हिनदू धर्म कया विघ्टन और ियाजनधीलतक उद्ेश् पूरे करने कया षड्ंत् सपष्ट रूप से लदियाई देतया है । यह षड्ंत् कयांग्ेस कधी पूर्ववतती सरकयाि ने हधी ििया ्या और इसके लिए न्यायमूर्ति रंगनया् मिश्रा आयोग कधी रिपो ्ट को आधयाि ्बनया्या ग्या । धयालम्मक और भयाषया्धी अलपसंख्कों के लिए रंगनया् मिश्रा आयोग ने 2007 में अपनधी रिपो ्ट में ईसयाई त्या मुससलम धर्म में परिवर्तित होने वयाले दलितों के लिए अनुसूचित जयालत के अंतर्गत आरक्षण देने कधी सिफयारिश कधी ्धी । आयोग ने दयावया लक्या ्या कि दलित ईसयाइयों और मुसलमयानों को अपने धर्म कधी उच्च जयालत के सदस्ों से भेदभयाव कया सयामनया करनया पडतया है । इसलिए ईसयाई और इस्लाम धर्म अपनयाने वयाले दलितों को अनुसूचित जयालत कधी श्ेणधी से ्बयाहर रखनया समयानतया कधी संवैधयालनक गयािं्टधी कया उललंघन है । इसके सया् हधी ईसयाई और इस्लाम धर्म में धर्मांतरित होने वयाले दलितों को अनुसूचित जयालत कया दजया्म नहीं देने से , वह सयामयालजक-आर्थिक और शैक्षिक रूप से पधीछ़े रह गए हैं त्या उनहें लशक्षया एवं रोज़गयाि के अवसरों में आरक्षण तक पहुंच से वंचित लक्या ग्या है । लेकिन इन सिफयारिशों को लयागू करने से मनया करते हुए रंगनया् मिश्रा आयोग कधी हधी सदस् सचिव आशया दयास ने उन दलितों को अनुसूचित जयालत कया दजया्म देने कधी सिफ़ारिश पर विरोध लक्या ्या , जो इस्लाम ्या ईसयाई धर्म स्वीकयाि कर लेते हैं । इस सम्बनध में सदस् सचिव आशया दयास ने अपनया
डिसें्ट नो्ट भधी ललिया ्या । इसके ्बयावजूद पुनः रंगनया् मिश्रा आयोग कधी सिफयारिश को लयागू करने के लिए केंद्र सरकयाि पर हर सति से द्बयाव ्बनया्या जया रहया है ।
गौर करें तो भयाितधी् संविधयान में 1950 सम्बन्धी अनुसूचित जयालत सम्बन्धी अधिनियम प्रयािमभ में केवल हिंदुओं को अनुसूचित जयालत के रूप में मयान्तया देने के लिए हधी ्या , जिससे छुआछूत से पैदया होने वयालधी सयामयालजक समस्या कया निदयान लक्या जया सके । इस अधिनियम में 1956 में संशोधन करके सिख धर्म अपनयाने वयाले दलितों को और फिर 1990 में ्बौद्ध धर्म अपनयाने वयाले दलितों को अनुसूचित जयालत में शयालमल करने कधी व्वस्था कधी गई । दोनों संशोधनों को 1955 में कयाकया कयालेलकर आयोग और 1983 में क्रमशः अलपसंख्कों , अनुसूचित जयालत्ों त्या अनुसूचित जनजयालत्ों पर उच्चयालधकयाि प्रयापत पैनल कधी रिपोर्टों से सहया्तया मिलधी ्धी । 1950 कया संवैधयालनक अधिनियम ( 1956 और 1990 में संशोधन के ्बयाद ) यह लनसशित करतया है कि कोई भधी व्सकत जो हिंदू , सिख ्या ्बौद्ध नहीं है , उसे अनुसूचित जयालत कया दजया्म नहीं मिल सकतया है । इस सम्बनध में भयाित के महयापंजधी्क कया्या्मलय ने भधी 2001 में सरकयाि से सपष्ट कर लद्या ्या कि अनुसूचित जयालत के अंतर्गत आरक्षण कर प्रयावधयान अस्पृश्तया कधी प्र्या ( जो कि हिंदू और सिख समुदया्ों में प्रचलित ्धी ) से उतपन्न होने वयालधी सयामयालजक समस्याओं से पीड़ित वर्ग के लिए है । अगर ईसयाई ्या मुससलम धर्म अपनयाने वयाले दलितों को आरक्षण लद्या ग्या तो देश में अनुसूचित जयालत कधी जनसंख्या में तेज वपृलद्ध होगधी । भयाित के महयापंजधी्क के अनुसयाि , 2001 में इस्लाम ्या ईसयाई धर्म में परिवर्तित होने वयाले दलित किसधी एक नपृजयातधी् समूह से नहीं बल्कि अलग- अलग जयालतगत समूहों से सं्बंधित हैं । ऐसे में उनहें अनुच्छेद-341 के खंड ( दो ) के अनुसयाि अनुसूचित जयालत कधी सूिधी में शयालमल नहीं लक्या जया सकतया है , क्ोंकि इस सूिधी में शयालमल किये जयाने हेतु एकल जयातधी् समूह से सं्बंधित होने कधी आवश्कतया होतधी है ।
इसके ्बयावजूद एक ्बयाि फिर ईसयाई और मुससलम धर्म अपनयाने वयाले दलितों को आरक्षण देने कधी मयांग उठया्धी गई है और उच्चतम न्या्यालय कधी पधीठ इस मयामले पर लवियाि कर रहधी है । न्या्यालय ने धयालम्मक और भयाषया्धी अलपसंख्कों के लिये न्यायमूर्ति रंगनया् मिश्रा आयोग कधी रिपो ्ट कया अवलोकन लक्या भधी लक्या है । इससे ऐसया प्रतधीत होतया है कि न्या्यालय इस मयांग कया कहीं न कहीं समर्थन करते हुए अपनया निर्णय देने कधी तै्यािधी में है । अगर ऐसया होतया है तो इसकया स्बसे अधिक नकयाियातमक प्रभयाव भयाित और हिनदू धर्म पर हधी पड़ेगया । सया् हधी जो जल्टल समस्याएं पैदया होगधी , उनकया निदयान भधी कठिन होगया । इसलिए न्या्यालय को यह देखनया हधी होगया कि इस मयांग के पधीछ़े छिपे हुए स्वार्थ क्या हैं ?
twu 2023 3