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राष्ट्रपति श्रीमिरी द्रौपदरी मुर्मू : एक औपचारिकता शेष

जूदा राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ekS

का कार्यकाल 24 जुलाई को
संपन्न होने जा रहा है , उससे पहले हरी देश को अपना नया प्रथम नागरिक चुन लेना है । यद्यपि इस पद के लिए होने वाले मतदान में जनता करी सरीधरी भागरीदाररी नहीं होिरी है , लेकिन राष्ट्रपति को लेकर लोगों में कौतूहल बहुत होता है । लोग योगरिम और निर्विवादित वरक्िति को इस पद पर देखना चाहते हैं । इस कसौटरी पर परखें तो भाजपा करी अगुवाई में सत्ारूढ़ राजग गठबंधन ने श्रीमिरी द्ौपदरी मुर्मू् के रूप में जो प्रतराशरी दिया है वह ना केवल योगरिम और निर्विवाद हैं बल्क झारखंड करी राजरपाल रहने के मथर अपनरी निष्पक्षता और प्रशासनिक कुशलता भरी सिद्ध कर चुकरी हैं । यहरी कारण है कि जब भाजपा अधरक्ष श्री जेपरी नड्ा ने श्रीमिरी द्ौपदरी मुर्मू् को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया तो भाजपा के धुर विरोधियों करी वाणरी पर भरी विराम लग गया और श्मिरी मुर्मू करी उम्मीदवाररी के विरोध में कहीं से भरी एक भरी शबद सुनाई नहीं पडा ।
द्ौपदरी मुर्मू जरी को सर्वानुमति से देश का अगला राष्ट्रपति चुनने करी अपरील भाजपा के राष्ट्ररीय अधरक्ष श्री जेपरी नड्ा ने भरी करी है और भारत का आम जनमानस भरी उनके नाम करी घोषणा से प्रफुल्लि है । ऐसा इसलिए ्रोंकि श्रीमिरी मुर्मू का अपना वरक्िति और कृतिति हरी नहीं बल्क उनके विरोध में खड़े श्री यशवंत सिंनहा करी एक अवसरवादरी नेता करी छवि भरी है जिसके कारण आज स्थति ऐसरी हो गई है कि उनके सांसद पुत्र भरी उनके पक्ष में मतदान करने करी स्थति में नहीं हैं । दूसररी ओर श्मिरी मुर्मू के
समर्थन में केवल राजग के घटक दल और गुटनिरपेक्ष दल हरी नहीं बल्क झामुमो और शिवसेना जैसे दल भरी एक के बाद एक लगातार सामने आ रहे हैं जो ना केवल मुखर विरोधरी दल कांग्ेस के समर्थन से झारखंड और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों मे सरकार बनाये बल्क जिनहोंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष करी ओर से श्री यशवंत सिनहा को उम्मीदवार बनवाने में बड़ी भूमिका निभाई । अब स्थति यह होिरी जा रहरी है कि श्री यशवंत सिंहा के समर्थन में मतदान करने वाले दल उंगलियों पर गिने जाने भर करी गिनिरी में हरी बच गए हैं जबकि श्मिरी द्ौपदरी मुर्मू को समर्थन देने करी घोषणा करने करी होड मचरी हुई है ।
भारिरीर लोकतंत्र के लिए यह किसरी उतसि से कम नहीं कि देश में राष्ट्रपति का चुनाव होने जा रहा है । सन 1950 से यदि हम देखें , तो यह राष्ट्रपति पद के लिए 17वां चुनाव होगा । इसमें अब तक दो बार हरी देश में निर्विरोध राष्ट्रपति बने हैं । साल 1950 में राजेंद् प्रसाद को अकेले हरी आगे किया गया था और उसके बाद 1977 में नरीलम संजरीि रेड्डी बिना लड़े हरी विजेता घोषित हुए थे । आदर्श स्थति तो यहरी है कि विभिन्न दलों के बरीच राष्ट्रपति पद को लेकर आम सहमति बने , लेकिन साल 1967 और 1969 में 15-15 उम्मीदवारों ने भागर आजमाया था । उसके बाद यह अच्छी बात है कि आठ राष्ट्रपति चुनावों में मात्र दो-दो उम्मीदवार हरी रहे हैं । इसका सरीधा अर्थ है कि राष्ट्रपति पद के लिए कुल मिलाकर राजनरीतिक दलों ने एक गरिमा बनाए रखरी है , जिससे ि्िुि : लोकतंत्र को हरी शक्ि मिलिरी है । साल 2017 के चुनाव में
राजग के उम्मीदवार श्री रामनाथ कोविंद को 65 फरीसदरी के कररीब वोट मिले थे , लेकिन इस बार जो माहौल बना है उसमें श्मति द्ौपदरी मुर्मू के विरोध में खड़े यशवंत सिनहा को समर्थन देने से मना करने वालों करी संखरा इतनरी अधिक दिखाई पड रहरी है कि यह चुनाव पूररी तरह एकतरफा हो गया है और श्मिरी मुर्मू करी जरीि वोटों के मामले में बडा रिकार्ड बनाने करी ओर अग्सर है । स्थति यह है कि श्री यशवंत सिनहा को इकाई के अनुपात से अधिक वोट मिलने करी संभावना दूर — दूर तक नहीं दिखाई दे रहरी है ।
ऐसे में विपक्ष के लिए भरी यहरी बेहतर होगा कि अपनरी दुर्गति कराने और संखराबल करी कमजोररी का प्रदर्शन करके अपने जमरीनरी कार्यकर्ताओं का दिल और आतमतिशिास तोडने के बजाय गरिमापूर्ण तररीके से वे श्रीमिरी मुर्मू सररीखे सुयोगर उम्मीदवार के पक्ष में समर्थन करी घोषणा कर दे । इससे ना केवल विपक्षरी दलों करी छवि , गरिमा और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगरी बल्क विशि मंच पर भरी भारत करी प्रतिष्ठा में चार चांद लग जाएगा । संसार में यह संदेश प्रसारित होगा कि भारिरीर लोकतंत्र इतना शक्िशालरी और ्पंतदि है कि इसमें किसरी के भरी साथ किसरी भरी तरह के भेदभाव करी कोई संभावना नहीं है । देश में राष्ट्रपति को बहुत आदर भाव से देखा जाता है । अब यह राजनरीतिक दलों पर निर्भर है कि वे श्मिरी द्ौपदरी मुर्मू के रूप में ऐसे उम्मीदवार के पक्ष में सर्वानुमति से समर्थन वर्ि करें , ताकि देश का यह सिवोच्च पद और भरी गरिमामय हो जाए ।
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