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एकता के धरातल पर ही सुनहरे भविषय की नींव रखी जा सकती है ।
जममू-क्मीर में अनुचछेद-370 , परमिट तस्टम को वह देश की एकता और अखंडता में बाधक मानते थिे । इसके लिए संसद में उनहोंने कई बार आवाज उठाई । 26 जून 1952 को लोकसभा में जममू-क्मीर पर चिचिा्श में उनहोंने कहा थिा कि एक लोकतांतत्क संघीय राजय में एक घटक इकाई के नागरिकों के मौलिक अधिकार किसी अनय इकाई के नागरिकों से अलग कैसे हो सकते हैं ? वह देश की एकता और अखंडता के प्ति कटिबद्ध थिे । परमिट तस्टम का विरोध करते हुए उनहोंने जममू- क्मीर में बिना परमिट आने का निर्णय किया । अग्ि 1952 में जममू की विशाल रैली में उनहोंने अपना संकलप वयकि किया थिा कि ‘ या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्ापि कराऊंगा या इस उद्े्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूंगा ।’ जममू में प्िेश के साथि ही उनहें हिरासत में ले लिया गया , जिसका देशभर में विरोध हुआ । गिर्िारी के 40 दिन बाद 23 जून 1953 को श्ीनगर के राजकीय अ्पिाल
में रह्यमयी तरीके से भारत माता के महान पुत् डॉ . मुखिजी की मृतयु हो गई । उनके बलिदान पर कई सवाल खड़े हुए , किंतु ततकालीन नेहरू सरकार ने उनहें अनसुना कर दिया थिा । डॉ . मुखिजी की माता योगमाया देवी ने नेहरू को पत् लिखकर जांचि की मांग की । इसे भी सरकार ने अनसुना कर दिया । उनकी गिर्िारी , उनकी नजरबंदी और उनकी मृतयु को लेकर कई ऐसे तथय हैं , जो आज भी अनसुलझे हैं ।
डॉ . मुखिजी का कहना थिा , ‘ एक देश में दो विधान , दो प्धान , दो निशान नहीं चिलेंगे ।’ यह नारा जनसंघ और आगे चिलकर भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए संकलप वाकय बना । दशकों तक यह प्श् लोगों के जेहन में रहा कि आखिर कब डॉ . मुखिजी का एक देश एक विधान , एक प्धान , एक निशान का ्िप्न पूर्ण रूप से साकार होगा । यह एक वैचिारिक लड़ाई थिी । इसमें एक ओर कांग्ेस सहित तुषटीकरण की राजनीति करने वाले कई दल थिे तो दूसरी ओर अपने विचिारों िथिा संकलपों के साथि अडिग भाजपा थिी , जो शुरू से अनुचछेद . 370 को हटाने के लिए संकलपबद्ध रही । जनसंघ का समय हो अथििा भाजपा का
गठन , हमारी विचिारधारा और नीतियों में तनिक भी परिवर्तन नहीं आया । प्धानमंत्ी नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृति एवं दृढ़ इचछारशकि और गृह मंत्ी अमित शाह की रणनीति के कारण अग्ि 2019 में अनुचछेद-370 को हमेशा के लिए खतम कर दिया गया । एक निशान , एक विधान , एक प्धान का जो सपना डॉ . मुखिजी ने देखा थिा , उसे प्धानमंत्ी मोदी ने साकार किया ।
देश की एकता और अखंडता के लिए डॉ . मुखिजी का सिवोच्च बलिदान तब फलीभूत हुआ , जब देश ने अनुचछेद 370 को निर्मूल होते देखा । विचिारधारा के प्ति निषठािान और अडिग एक ऐसे दल की स्थापना डॉ . मुखिजी ने की थिी , जो अपने विचिारों िथिा संकलपों के प्ति दशकों तक एकनिषठ और अडिग रहा है । वे देश के लिए बलिदान हो गए और भारत ने एक ऐसा वयशकिति खो दिया जो देश की राजनीति को एक नई दिशा दे सकते थिे । डॉ . मुखिजी इस धारणा के प्बल समथि्शक थिे कि सां्कृतिक दृशषट से हम सब एक हैं । भारत माता के ऐसे महान सपूत के सिवोच्च बलिदान को नमन करता हूं ।
( साभार )
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