eMag_July2021_Dalit Andolan | Page 19

को तार-तार करते हुए 1975 में आपातकाल लगा दिया ।
25 जून 1975 की आधी रात के बाद पूरे देश को जेल में तबदील कर दिया गया । आम जनता के मौलिक अधिकार खतम कर दिए गए ।
लोकनायक जयप्काश नारायण , मोरारजी देसाई , अटल बिहारी वाजपेयी , लालकृषण आडवाणी समेत विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया । नानाजी देशमुख , जार्ज रनाांडीज जैसे नेताओं को भूमिगत होना पड़ा । राषट्रीय ्ियंसेवक संघ समेत अनेक सामाजिक- सां्कृतिक संगठनों पर पाबंदी लगा दी गई ।
देश यह देखकर अचिंभित रह गया कि कैसे इंदिरा गांधी ने निजी सत्ा की महतिाकांक्षा के आगे संविधान को तिलांजलि दे दी । बिना सरकार की मिजी के कोई भी मीडिया संस्थान कुछ छाप नहीं सकता थिा । पत्कारों को झुकने के लिए मजबूर कर दिया गया । कुछ अपवादों को छोड़ दें तो सभी मीडिया संस्थान कांग्ेस के मुखपत् की तरह काम कर रहे थिे । इसी संदर्भ में लालकृषण आडवाणी ने कहा थिा कि ‘ मीडिया तो रेंगने लगी , जबकि उसे केवल झुकने को कहा गया थिा ।’
अगर हम आपातकाल की जड़ों की तरफ देखें तो इसके पीछे लोकतंत् विरोधी सोचि बड़ा कारण नजर आती है । कुशासन और भ्रष्टाचार से देश भर में उपजा जनांदोलन इंदिरा गांधी के लिए पहले से परेशानी का सबब थिा । जिन घटनारिमों में हाईकोर्ट के आदेश ने इंदिरा गांधी के चिुनाव को रद किया , उसे वह ्िीकार नहीं कर पाईं । लोकतंत् मं् ्िीकारोशकि का साहस होना नितांत जरूरी है । मेरा मानना है कि आपातकाल न तो किसी अधयादेश से आता है और न ही यह किसी घटना के कारण आता है , बशलक इसकी जड़ें तानाशाही की मानसिकता में होती हैं ।
आपातकाल के बीचि हुए आम चिुनावों में जनता ने कांग्ेस को हार को मुंह दिखाया । इसके बावजूद कांग्ेस ने इस देश के लोकतंत् को चिुनौती देने की कवायद बंद नहीं की । आज बात-बात पर अभिवयशकि की ्ििंत्िा का दिखावटी राग अलापने वाली कांग्ेस पाटजी को राजीव गांधी सरकार द्ारा लाया गया ‘ मानहानि बिल ’ नहीं भूलना चिाहिए । सत्ा के लोभ और अहंकार में कांग्ेस पाटजी ने आजादी के बाद के इतिहास में अनेक ऐसे कार्य किए , जो लोकतंत्
की नयूनतम मर्यादा को खंडित करने वाले हैं ।
वा्िि में , जिस पाटजी के मूल में लोकतंत् रचिा-बसा न हो , वह पाटजी देश को लोकतंत् कैसे दे सकती है ? दशकों तक लोकतांतत्क मूलयों की दुहाई देकर शासन करने वाली कांग्ेस की संरचिना ही वंशवाद की बुनियाद पर टिकी है । यही वंशवाद कांग्ेस की तानाशाही वयि्थिा के मूल में है , जिसकी अनेक उपजों में से एक आपातकाल थिा ।
देश में सशकि लोकतंत् वही नेतृति एवं राजनीतिक पाटजी दे सकती है , जिसके तरियाकलाप , आंतरिक बुनावट और कार्यशैली लोकतंत् की बुनियाद पर आधारित हों । इन सभी मानकों पर भारतीय जनता पाटजी ही शत-प्तिशत खरी उतरती है । भाजपा की पंचितनषठाओं में एक निषठा लोकतंत् है । लोकतंत् की इसी भावना को नरेंद्र मोदी सरकार पिछले सात िषगों से विभिन्न नीतियों एवं योजनाओं के माधयम से चिरिताथि्श कर रही है । जहां एक ओर संघीय ढांचिे को मजबूती देते हुए देश में राजयों की भागीदारी को बढ़ाया गया , वहीं दूसरी ओर गरीबों को दर्जनों योजनाओं द्ारा देश के विकास की मुखयधारा में लाया गया । आज लोकतंत् की सभी इकाइयां एक दूसरे के पर्पर सहयोग , समनिय िथिा संतुलन के साथि चिल रही हैं ।
नयायपालिका को जहां आि्यकता दिखाई पड़ती है , वह पूरी ्ििंत्िा के साथि समय- समय पर सरकार का मार्गदर्शन करती रहती है । इसके अतिरिकि मीडिया को भी अपना काम करने की पूरी आजादी है । बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान सभा के अपने आखिरी भाषण में राजनीतिक लोकतंत् के साथि सामाजिक लोकतंत् की आि्यकता बताई थिी । आज प्धानमंत्ी नरेंद्र मोदी जी के नेतृति में बाबा साहब के विचिारों के अनुरूप ही लोकतंत् आगे बढ़ रहा है । भारत के लोकतंत् की जड़ें इतनी गहरी हैं कि मुझे वि्िास है कि भविषय में कांग्ेस की तरह कोई भी दल या नेता देश के प्िातांतत्क मूलयों से खिलवाड़ करके आपातकाल जैसी परिस्थिति उतपन्न करने का साहस नहीं करेगा ।
( साभार ) tqykbZ 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 19