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एक-दूसरे के कं धे पर बैठकर लड़ेगा विपक्ष
2024
में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव के लिए हताश कांग्ेस ने एक बार फिर गठबंधन तैयार किया है । 26 विपक्ी दलों के साथ मिलकर कांग्ेस ने प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी को चुनाव में परासत करने के सवप्न देखना प्रारमभ भी कर दिए हैं । कांग्ेस की रणनीति का उत्तर देने के लिए भाजपा ने अपने नेतृतव वाले एनडीए का विसतार करके गठबनधन में 38 राजनीतिक दलों को शामिल किया है । एनडीए गठबंधन की पहली सफल बैठक में सभी दलों ने समवेत ढंग से यह सपष्ट कर दिया है कि कट्टर भ्रष्टाचार में लिपत विपक्ी गठबंधन को स्टीक और मुंहतोड़ उत्तर चुनाव मैदान में दिया जाएगा ।
संयुकत विपक् में शामिल 26 दलों में वह दल भी हैं , जिनकी 11 राजयों में सरकार में है । भाजपा शासित राजयों की अपेक्ा इन विपक्ी राजयों में भ्रष्टाचार की कलई आए-दिन खुल कर सामने आ रही है । हालत यह है कि विपक्ी सरकार में शामिल नेता ही अपनी सरकारों की पोल खोल रहे हैं । इसका साक्ात उदाहरण राजसथान में देखा जा सकता है , जहां कई नेताओं को उनके पदों से सिर्फ इसलिए बर्खासत कर दिया गया कयोंकि उनहोंने सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना सार्वजानिक रूप से की । ऐसे में भलीभांति समझा जा सकता है कि विपक्ी गठबंधन की कथित एकता जयादा दिन तक संभव नहीं है । विपक्ी एकता का केंद्रबिंदु बनने वाले नितीश कुमार और लालूप्रसाद जैसे नेता अभी से मुंह फुलाने लगे हैं और उनहें लग रहा है कि अब सवतनत् रूप से निर्णय लेने के सथान पर उनहें कांग्ेस नेता राहुल गांधी के लनददेशन में ही काम करना होगा । ऐसा ही अरविंद केजरीवाल के साथ भी है । अपनी शततों की पूर्ति करवाकर वह विपक्ी गठबंधन का हिससा तो बन गए , लेकिन उनके कारण सवयं कांग्ेस में दिलली से राजसथान तक कलह और विरोध के हालात बनते जा रहे हैं । पश्चम बंगाल में तृणमूल के साथ कांग्ेस लगातार संघर्ष कर रही है तो केरल में कांग्ेस और वामपंथियों का ्टकराव किसी से छिपा नहीं है । लेकिन यह सभी लोकसभा चुनाव के लिए एकजु्ट होकर एक गठबंधन में
शामिल हैं और सभी का सपना है कि येन-केन-प्रकारेण मोदी सरकार को सत्ता से दूर किया जाए ।
उधर विपक्ी उठाप्टक से निप्टने के साथ ही मोदी सरकार लगातार दलितों , पिछड़ों , गरीबों और वनवासियों के उतथान के लिए अपना काम कर रही है । किसी भी मानव समाज में सरकार की सववोच्च प्राथमिकता महिलाओं का सममान , सुरक्ा और विकास होता है , जिससे एक समावेशी समाज का निर्माण हो सके । इसके साथ ही विकास प्रलरिया के रिम में बच्चों का विकास भी अतयलधक महत्व रखता है । बच्चे ही भविषय में देश के नियंता के रूप में अपना योगदान देते हैं । विकास प्रलरिया में बच्चों एवं महिलाओं के योगदान को दृष्टि में रखते हुए सवयं प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी का यह मानना है कि बदलते भारत में महिलाओं की भूमिका का लगातार विसतार हो रहा है । नए भारत के विकास चरि में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है । इसके बाद भी देश के विभिन्न राजयों में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के वीभतसव समाचार सामने आ रहे हैं । यह घ्टनाएं कानून-वयवसथा से जुडी एजेंसियों पर गंभीर प्रश्न तो उठाती हैं , परनतु यह घ्टनाएं मानव समाज के गिरते सतर को भी दर्शाती हैं ।
समाज को यह समझना ही होगा कि महिलाओं के बिना किसी भी समाज की कलपना नहीं की जा सकती है । भारत की प्राचीन संस्कृति में महिला को सववोच्च सथान देकर उसे देवी की तरह पूजय कहा गया है । महिला का सममान ही समाज की वह शशकत है , जो निरंतर विकास प्रलरिया को बनाए रखती है । हाल ही में हुई घ्टनाओं में शामिल ततवों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करके समाज को यह संदेश तो दिया जा सकता है कि कानून इसे बदाखा्त नहीं करेगा , लेकिन यह समसया सिर्फ कानून तक सीमित नहीं है । इसलिए समाज के साथ समाज के अनय सदसयों को यानी हम सभी को विचार करना होगा कि महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को किस तरह से रोका जा सकता है ? इसके आलावा सुसभय समाज के लिए कोई और रासता नहीं है I
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