eMag_Feb 2023_DA | Page 45

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जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध प्रधानमंत्ी मोदी ने ष्दया जनजातीय समुदायों को सम्ान

अर्जुन मुंडा

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रत दुनिया का एक अनूठा देश है , जहाँ 700 से अधिक जनजातीय समुदाय के लोग शन्वास करते हैं । देश की ताकत , इसकी समृद्ध सांसकृशतक श्वश्वधता में निहित है । जनजातीय समुदायचों ने अपनी उतकृष्ट कला और शि्प के माधयम से देश की सांसकृशतक श्वरासत को समृद्ध किया है । उन्होंने अपनी पारंपरिक प्रथाओं के माधयम से पया्थ्वरण के सं्वध्थन , सुरक्ा और संरक्ण में अग्णी भूमिका निभाई है । अपने पारंपरिक ज्ञान के श्विाल भंडार के साथ , जनजातीय समुदाय सतत श्वकास के पथ प्रदर्शक रहे हैं । राषट्र निर्माण में जनजातीय समुदायचों द्ारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को मानयता देते हुए , हमारे संश्वधान ने जनजातीय संसकृशत के संरक्ण और अनुसूचित जनजातियचों के श्वकास के लिए श्विेष प्रा्वधान किए हैं ।
अंग्रेजों करे खिलाफ हुए जनजातीय क्ांतिकारी आंदोलन
जनजातीय लोग सरल , शांतिप्रिय और मेहनती होते हैं , जो मुखयतः ्वन क्ेरिचों में लस्त अपने शन्वास स्ान में प्राकृतिक सद्भाव के साथ रहते हैं । ्वे अपनी पहचान पर ग्व्थ करते हैं और स्मान के साथ जी्वन वयतीत करना पसंद करते हैं । औपशन्वेशिक शासन की स्ापना के दौरान ब्रिटिश राज ने देश के श्वशभन्न समुदायचों की स्वायत्तता के साथ-साथ उनके अधिकारचों और रीति-रर्वाजचों का अशतक्मण करने ्वाली
नीतियचों की शुरुआत की । ब्रिटिश राज ने लोगचों और समुदायचों को पूर्ण अधीनता स्वीकार करने के लिए कठोर कदम उठाए । इससे श्विेष रूप से जनजातीय समुदायचों में जबरदसत आक्ोि पैदा हुआ , जिन्होंने प्राचीन काल से अपनी स्वतंरिता और श्वशिष्ट परंपराओं , सामाजिक प्रथाओं और आर्थिक प्रणालियचों को संरशक्त रखा था । जल निकायचों सहित संपूर्ण ्वन पाररलस्शतकी तंरि , जनजातीय अर्थव्यवस्ा का मुखय आधार था । ब्रिटिश नीतियचों ने पारंपरिक भूमि-उपयोग प्रणालियचों को तहस-नहस कर दिया । उन्होंने जमींदारचों का एक ्वग्थ तैयार किया और उनहें जनजातीय क्ेरिचों में भी जमीन पर अधिकार दे दिया । पारंपरिक भूमि व्यवस्ा को काशतकारी व्यवस्ा में बदल दिया गया और जनजातीय
समुदाय असहाय काशतकार या बं्टाईदार बनने पर मजबूर हो गए । अनयायपूर्ण और शोषक प्रणाली द्ारा करचों को लागू करने तथा उनकी पारंपरिक जीश्वका को प्रतिबंधित करने के बढते दमन के साथ कठोर औपशन्वेशिक पुलिस प्रशासन द्ारा ्वसूली और साहूकारचों द्ारा शोषण ने आक्ोि को और गहरा किया , जिससे जनजातीय क्ांशतकारी आंदोलनचों की उग् शुरुआत हुई ।
आजादी करे आंदोलन में शहीदों की लंबी श्ृंखला
जनजातीय आंदोलनचों और प्रशतशक्या्वादी तरीकचों की कुछ श्विेषताएं एक जैसी थीं , हालांकि ्वे देश के अलग-अलग भागचों में फैली हुई थीं ।
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