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प्रा्वधानचों से लेकर आम लोगचों के लिए लागू किए गए श्वशधक व्यवस्ाओं के बारे में भी इस हे्पलाइन ्टोल-फ्ी नंबर ‘ 14566 ’ पर फोन करके जानकारी ली जा सकेगी और उसके अनुरूप अपने अधिकारचों की मांग भी की जा सकेगी ।
पूररे दरेश का एक हरेल्पलाइन
खास तौर से अनुसूचित जातियचों तथा अनुसूचित जन जातियचों पर होने्वाले अतयाचार को रोकने के उद्ेशय से बनाए गए ‘ अनुसूचित जातियचों तथा अनुसूचित जनजातियचों ( अतयाचार रोकथाम ) अधिनियम- 1989 ’ को उचित तरीके से लागू किया जाना सुशनलशचत करने के लिए जारी गए इस ्टोल-फ्ी हे्पलाइन नंबर पर पूरे देश में किसी भी दूरसंचार ऑपरे्टर के मोबाइल या लैंडलाइन नंबर से ्वॉयस कॉल या ्वीओआईपी कॉल के द्ारा दलित ्व आशद्वासी समाज के लोग अपनी समसयाएं ्व शिकायतें दर्ज करा सकते हैं । नेशनल हे्पलाइन अगेंस्ट एट्रोशस्टी ( एनएचएए ) का ्टोल-फ्ी हे्पलाइन नंबर और इसका ्वेब आधारित से्र सश्व्थस पो ्टल लॉनच करने के क्म में केनद्रीय सामाजिक नयाय और अधिकारिता मंरिी डॉ . ्वीरेनद्र कुमार ने इसके बारे में श्वसतार से जानकारी दी ।
भरेदभाव समाप्त करना है प्ारमिकता
डॉ . ्वीरेनद्र कुमार ने बताया कि ्वेब आधारित से्र सश्व्थस पो ्टल के रूप में भी उपलबध एनएचएए दलित ्व आशद्वासी समाज के लोगचों के साथ जातिगत ्व सामाजिक सतर पर होने्वाले भेद-भा्व को समापत करने तथा सभी को सुरक्ा प्रदान करने के मकसद
से बनाए ्व लागू किए गए अतयाचार रोकथाम अधिनियम- 1989 तथा नागरिक अधिकारचों की रक्ा ( पीसीआर ) अधिनियम , 1955 के श्वशभन्न प्रा्वधानचों के बारे में लोगचों को जागरूक बनायेगा । साथ ही उन्होंने बताया कि एनएचएए यह सुशनलशचत करेगा कि दलित ्व आशद्वासी समाज के लोगचों द्ारा इस ्टोल-फ्ी हे्पलाइन नंबर या ्वेब आधारित से्र सश्व्थस पो ्टल पर दर्ज कराई गई सभी शिकायतें एफआईआर के रूप में भी पंजीकृत की जाएं और पीड़ित ्वग्थ को यथाशीघ्र हरसंभ्व मदद ्व राहत मुहैया कराई जाए ।
सभी समस्ाओं का त्वरित समाधान
इसके अला्वा यह भी पूरी ततपरता ्व कड़ाई से सुशनलशचत कराया जाएगा कि एनएचएए के माधयम से दर्ज कराई गई सभी पंजीकृत शिकायतचों की जांच की जाए और अधिनियम में दी गई समय-सीमा के अंतर्गत दायर सभी अभियोग पत्रों पर निर्णय के लिए मुकदमा चलाया जाये । एनएचएए पर शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्ा में पूरी पारदर्शिता भी सुशनलशचत की गई है और पीड़ित पक् की पूर्ण संतुष्टि के लिए दर्ज कराई गई हर शिकायत के लिए एक डॉके्ट नंबर दिया जाएगा जिसके माधयम से दर्ज शिकायत पर होने ्वाली कार्थ्वाई की लस्शत ऑनलाइन देखी जा सकती है । यानी समग्ता में देखें तो दलित ्व आशद्वासी समाज के लोगचों को समाज में भेदभा्वरहित माहौल उपलबध कराने और बराबरी का हक दिलाने के लिए हुई यह पहल सभी समसयाओं का त्वरित समाधान है । �

हेल्‍पलाइन की विशेषताएं :

शिकायत समाधान : पीसीआर अधिनियम , 1955 तथा पीओए अधिनियम 1989 के गैर-अनुपालन संबंधी पीडि़त / शिकायतकर्ता / एनजीओ से प्राप्‍त प्रत्‍येक शिकायत के लिए एक डॉके ट नंबर दिया जाएगा । ट्ैकिं ग प्रणाली : शिकायतकर्ता / एनजीओ द्ारा शिकायत करी स्थिति ऑनलाइन देखी जा सकती है । अधिनियमयों का स् र्चालित परिपालन : पीडि़त से संबंधित अधिनियमयों के प्रत्‍येक प्रार्िान करी निगरानी करी जाएगी और संदेश / ई-मेल के रूप में राज्‍य / के न्‍द्रशासित दरियान् र्यन अधिकारिययों को कम्‍युनिके शन / याद दिलाकर परिपालन सुनिश्चित किया जाएगा । जागरूकता सृजन : किसी भी पूछताछ का जर्ाब आईर्ीआर तथा ऑपरेटरयों द्ारा हिन्‍दी , अं ग्ेजी तथा क्ेत्ीय भाषाओं में दिया जाएगा । राज्‍ययों / के न्‍द्रशासित प्रदेशयों के लिए डैश-बोर्ड : पीसीआर अधिनियम , 1955 तथा पीओए अधिनियम , 1989 लागू करने के लिए बनी के न्‍द्र प्रायोजित योजना के तर््ज़न को लागू करने में उनके कार्य प्रदर्शन को लेकर डैश-बोर्ड पर ही राज्‍ययों / के न्‍द्र शासित प्रदेशयों का के पीआई उपलब्‍ध कराया जाएगा ।
iQjojh 2023 19