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राहुल गांधी : एक गपोड़ शंख जनता जानती है सब सच
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जपा विरोधी दलों को 2014 के बाद से गलत और झूठे आरोप लगाने की ऐसी आदत हो गयी है , जो छूट ही नहीं रही है । पिछले लगभग दस वर्ष के दौरान प्रधानमंत्ी मोदी और उनकी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए गए , लेकिन उन आरोपों की सच्ाई अंत में सामने आ ही गई । गलत आरोपों का सच सामने आने के बाद जनता के समक्ष अपमानित होकर भी विपक्ष को समझ नहीं आया है । विशेषरूप से कांग्ेस के नेता राहुल गांधी इस मामले में सबसे आगे हैं । जनता से लेकर नयायालय तक में राहुल गांधी को अपने कई गलत एवं झूठे आरोपों पर सफाई भी देनी पड़ी और माफ़ी भी मांगनी पड़ी , इसके बावजूद राहुल गलत , झूठे और तथयहीन आरोप लगाकर जनता को भ्रमित करने में सबसे आगे हैं । एक बार पुनः राहुल गांधी ने अपनी लद्ाख यात्ा के दौरान कथित तौर पर सिानीय जनता का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि चीन ने उनकी चारागाह वाली जमीन हथिया ली हैI ऐसा पहली बार नहीं है । राहुल गांधी ऐसे दावे पहले भी कर चुके हैं और करते आ रहे हैं कि भारत की भूमि पर चीन ने अपना कब्ा कर लिया है । राहुल के इन दावों के पीछे कोई सतय नहीं है और न ही उनके दावे जमीनी सतर पर सही ठहरते हैं । इसके बावजूद वह जनता को भ्रमित करने और प्रधानमंत्ी मोदी को गलत एवं कमजोर दिखाने के लिए ऐसे दावे करते आ रहे हैं । अपनी कुंठा और तनाव के कारण राहुल न सिर्फ प्रधानमंत्ी पर प्रश्न चिंह लगाते हैं , बल्क सेना को कठघरे में खड़ा करके वह सेना का मनोबल गिराने का भी काम करते हैं । देश की जनता को भलीभांति याद है कि डोकलाम विवाद के समय राहुल विदेश मंत्ालय की जानकारी के बिना चीनी राजदूत से मिलने चले गए थे और जब इस मुलाकात की जानकारी सबके सामने आई तो उनहोंने यह दावा किया था कि वह वसतुलसिवत जानने के लिए चीनी राजदूत से मिले थे । इससे यह समझा जा सकता है कि देश में वह चीन के एजेंडे को हवा दे रहे हैं ।
राहुल गांधी की समझ कया है , कितनी है और वह कितने गैरजिममेदार हैं ? यह उसका उदाहरण है । कांग्ेस नेता राहुल का आचरण इसीलिए ऐसा है , कयोंकि उनहें सत्ा और शासन संचालन के तौर-तरीकों का कोई अनुभव नहीं है । वह एक अनुभवहीन और नाकारा और गपोड़ शंख नेता की तरह का आचरण 2014 से लगातार करते आ रहे हैं । सत्ा न मिलने की कु ंठा उनके दिमाग पर हावी हो चुकी है और प्रधानमंत्ी मोदी की विकासवादी राजनीति से भारत के लगातार ऊंचे हो रहे कद के कारण वह मानसिक रूप से विक्षिपत होते जा रहे हैं । चीन के मुद्े पर राहुल यह बताने की हिममत
अब तक नहीं जुटा पाए हैं कि 2008 में बीजिंग यात्ा के दौरान सोनिया गांधी और राहुल ने चीन की कमयुवनसट पाटटी से कया और कयों समझौता किया था ? उनके पास इस प्रश्न का उत्र भी नहीं है कि आखिर चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन को चंदे के नाम पर बड़ी रकम कयों और किसलिए दी ? राहुल के पास इस प्रश्न का उत्र भी नहीं है कि जवाहरलाल नेहरू के समय चीन ने किस तरह पहले तिबबत को हड़पा और फिर 1962 के युद्ध में भारत की 45,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कैसे कबजा कर लिया ? वासति में देखा जाए तो नेहरू की गलतियों के कारण ही भारत की भूमि को चीन ने हथिया लिया था और ततकालीन नेहरू सरकार चीन के विरुद्ध कोई भी कदम उठाने में असफल हुई थी । पूर्व प्रधानमंत्ी नेहरू के निर्णयों पर विचार करने के सिान पर राहुल लगातार ऐसी हरकतें और बयान देते आ रहे हैं , जो उनके मानसिक सतर को सार्वजनिक करते हैं ।
2014 में सत्ा संभालने के बाद से ही प्रधानमंत्ी मोदी के नेतृति वाली केंद्र सरकार चीन के अतिक्रमणकारी रवैये के विरुद्ध डटकर खड़ी है और चीन को उसी की भाषा में जवाब भी दे रही है । चीन से पैसा खाकर चीन की तरफदारी करने वाली कांग्ेस सहित अनय विपक्षी दल को यह रास नहीं आ रहा है । मुद्ों के अभाव से पीड़ित कांग्ेस और विपक्षी दल लगातार यह चेषटा करते आ रहे हैं कि चीन के मामले में मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाए और इसके लिया गलत एवं तथयविहीन आरोप लगाना उनकी प्रवृवत् और चररत् बन चुका हैI वासति में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्ेस और उनके सहयोगियों के मधय यह होड़ मची हुई कि कौन प्रधानमंत्ी मोदी पर गलत और झूठे आरोप लगाकर जनता को अपने भ्रमजाल से फंसा सकता है । लेकिन राहुल से लेकर कांग्ेस के अनय नेता एवं उनके सहयोगी दल यह भूल रहे हैं कि झूठ पर खड़ी ईमारत का आलसतति जयादा समय तक नहीं रहता है और सच को छिपा कर रखा भी नहीं जा सकता है । देश की जनता राहुल से लेकर अनय विपक्षी नेताओं की असलियत को भलीभांति समझ चुकी है और उनके कारनामों की चर्चा हर कोई कर रहा है । इसीलिए देश की जनता एक बार फिर 2024 के चुनाव में ऐसे ततिों को अचछी तरह सबक सिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार है । आगामी चुनाव के बाद ऐसे नेता शायद ही राजनीति के मैदान में दिखाई देंगे , जो अंध मोदी विरोध के कारण अपनी सारी सीमाओं को लांघ रहे हैं और यह समझने के लिए तैयार नहीं कि अपनी हरकतों से वह राषट्ीय हितों को चोट पहुंचा रहे हैं ।
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