eMag_April2022_DA | Page 50

fo ' ks " k

रिपोर््टर बदलते समाज , भ्रष्टाचार , सरकार के अधूरे वादों , गरीबों और महिलाओं की कहावन्यां सुनाती थीं । खबर लहरर्या नामक अखबार बुंदेलखंडी भाषा में 2002 से वचत्ककूर् समेत बुंदेलखंड के कई जिलों से प्रकाशित होता था । हालांकि , 2015 में ्यह बंद हो ग्या । तब से लेकर अब तक मोबाइल पोर््टल पर खबर लहरर्या संचालित है । इस पूरी र्ीम में महिलाएं ही काम करती हैं । खबर लहरर्या के लिए इसके संसरापक एनजीओ निरंतर को ्यूनेसको वकूंग सेजोंग लिट्ेसी सममान 2009 से सममावनत वक्या ग्या था ।
खबर लहरियञा की कहञािी कक्ितञा की जुबञािी
वचत्ककूर् के कु ूंजनपुर्वा गांव के एक दलित मध्यमवर्गीय परिवार की कविता ( 30 ) की शादी 12 साल की उम्र में हो गई थी । वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाई थीं । बाद में उनहोंने एक एनजीओ की मदद से पढ़ाई शुरू की । साल 2002 में उनहोंने एनजीओ द्ारा शुरू किए गए अखबार खबर लहरर्या में बतौर पत्कार के रूप में काम शुरू वक्या । धीरे-धीरे अखबार का प्रसार बढ़ने लगा । कविता का कहना है कि हम पर दवाब डाला जाता था कि महिला होकर हमारे खिलाफ खबर छापती हो । बडे अखबारों ने हमारे खिलाफ कुछ नहीं
निकाला तो आपने कैसे निकाला । शा्यद इसीलिए अखबारों में बाईलाइन खबरें नहीं दी जाती थीं , जिससे खबर के लेखक के बारे में पता न चल सके । बुंदेलखंड में प्रकाशित अखबार खबर लहरर्या भारत का एक मात् अखबार था , जिसे सिर्फ दलित महिलाएं संचालित करती थीं । आठ पन्नों के अखबार खबर लहरर्या में महिला रिपोर््टर बदलते समाज , भ्रष्टाचार , सरकार के अधूरे वादों , गरीबों और महिलाओं की कहावन्यां सुनाती थीं । खबर लहरर्या नामक अखबार बुंदेलखंडी भाषा में 2002 से वचत्ककूर् समेत बुंदेलखंड के कई जिलों से प्रकाशित होता था । हालांकि , 2015 में इसका प्रकाशन बंद हो ग्या । लेकिन तब से लेकर अब तक मोबाइल पोर््टल पर खबर लहरर्या संचालित है । इस पूरी र्ीम में महिलाएं ही काम करती हैं । खबर लहरर्या के लिए इसके संसरापक एनजीओ निरंतर को ्यूनेसको वकूंग सेजोंग लिट्ेसी सममान 2009 से सममावनत वक्या ग्या था ।
सिनेमञा के पददे पर उतरी सत्करञा
थॉमस और सुसषमत घोष द्ारा वनदवेवशत " राइवर्ंग विद फा्यर " दलित महिलाओं द्ारा संचालित भारत के एकमात् समाचार पत् ' खबर लहरर्या ' की कहानी है । इस डॉक्युमेंट्ी में
मुख्य रिपोर््टर मीरा के नेतृति वाले दलित महिलाओं के महतिाकांक्ी समूह की कहानी को दिखा्या ग्या है , जो प्रासंगिक बने रहने के लिए वप्रंर् से वडवजर्ल माध्यम में ससिच करती हैं । स्मार्टफोन और उनहें परिभाषित करने वाले साहस और दृढ़ विशिास के साथ , खबर लहरर्या के पत्कार अपने क्ेत् में अन्या्य की जांच और दसतािेजीकरण करते हैं । वे सरानी्य पुलिस बल की अक्मता पर सवाल उठाते हैं , जाति और लिंग हिंसा के शिकार लोगों की सुनते हैं और उनके साथ खडे होते हैं । धमकी का सामना करते हैं और अपने समाज के मानदंडों को चुनौती देते हैं जो उनकी ्यात्ा में अन्या्य को का्यम रखते हैं । संसरान की कविता देवी ने बता्या कि अवध क्ेत् में भी इसका प्रकाशन वक्या जाता था । इसका उद्ेश्य महिलाओं को आतमवनभ्थर और जागरूक बनाना है । कूंपनी ने इस पर आधारित फिलम का निर्माण दिलली की बलैक वर्कर् कूंपनी ने वक्या है । इसकी शूवर्ंग वचत्ककूर् बांदा और बुंदेलखंड के कई जिलों में हुई है ।
खबर लहरियञा की कहञािी से दुनियञा रोमञांचित
ऑनलाइन बातचीत के दौरान फेमिनिस्ट आइकॉन ्लोरर्या स्टीनम ने फिलम को " वासतविक जीवन " से प्रेरित होने के लिए सराहा । उनहोंने कहा , ' भारत मेरा दूसरा घर है । मैं कॉलेज के बाद दो साल तक वहां रही । हम ( अमेरिका और भारत ) दुवन्या के दो सबसे बडे , सबसे विविध लोकतंत् हैं । हमें एक-दूसरे की जरूरत है , और एक-दूसरे से सीखने की जरूरत है ।" वैराइर्ी ने फिलम को " भारत की पत्कारिता के गौरव के लिए उतसाहजनक , प्रेरणादा्यक श्धिांजलि " कहा । हॉलीवुड रिपोर््टर ने अपनी समीक्ा में लिखा , " फिलम की अंतरंगता और तातकावलकता की भावना दर्शकों को ऐसा महसूस कराती है कि वह खुद उन पत्कारों के साथ ग्ाउंड रिपोर्टिंग कर रहे हैं ।" वहीं वाशिंगर्न पोस्ट ने इसे " सबसे प्रेरक पत्कारिता फिलम " कहा । �
50 दलित आं दोलन पत्रिका vizSy 2022