Education in Delhi Schools: Rhetoric vs. Reality Delhi-School-Education-Rep-June-2018 | Page 34

ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नह ं जो हम अ छ नौकर न दे सके । हम सब द ल के टूडट कूल म पढ़ाई क बगड़ती हालत से इतने चं तत ह क रात–रात भर सो नह ं सकते । कूल क पढ़ाई इतनी बेकार है क हमारे भ व य म काम नह ं आएगी। कूल का पा य म इतना प र ु ाना और घसा– पटा है क उसे पढ़ने के बाद भी टूडट अनपढ़ ह माना जाता है । कूल ट चर लास म पढ़ाने क बजाए ब च को ाइवेट य श न के दलदल म धकेल दे ते ह। कूल और य श न के बाद भी जो टूडट दसवीं (10th) या बारहवीं (12th) लास भी पास कर लेता है उस पहल लास क पढ़ाई भी नह ं आती। ऐसे दसवीं और बारहवीं तक के टूडट न तो अ छ तरह हंद भाषा जानते ह न ग णत। और इंि लश भाषा म तो बहुत ह ब र ु ा हाल है । कुछ तो ठ क तरह से बोल भी नह ं पाते । या यह है पढ़ाई? कूल क पढ़ाई के बाद कॉलेज म दा खला बहुत म ि ु कल या असंभव है । कॉलेज क पढ़ाई ख म करन के बाद भी नौकर नह ं है य क कूल और कॉलेज क पढ़ाई इतनी दशाह न है क यह हम एक अ छ नौकर करने के यो य नह ं बना सकती। इसका प रणाम यह है क आज ड ी वाले बेरोजगार क सं या बढ़ती जा रह है और बेरोज़गार एक ख़तरनाक बीमार क तरह फैल हुई है । यहाँ तक क भारत सरकार ने अपनी रा य श ा नी त के ा प 2016 (Draft National Education Policy, 2016) म भारत क श ा यव था म इतनी क मयाँ बताई ह क कुछ लोग तो अपने ब च को कूल या कॉलेज म भेजना ह बंद कर दगे । जो वषय हम कूल म पढ़ाए जाते ह, व नौकर लेने म सहायक नह ं ह। सरकार नौक रयाँ न के बराबर ह। बढ़ कंप नय म नौक रयाँ ह ले कन उन नौक रय के लए आधु नक पढ़ाई चा हए जो आम कूल और कॉलेज नह ं दे रहे । आज के आधु नक य ग म नौकर के लए ड ी से यादा कौशल और यो यता क ज रत है । ले कन ऐसा कौशल और यो यता हमार पढ़ाई का ह सा नह ं है । इसका प रणाम यह है क िजसके पास ड ी है , उसके पास नौकर नह ं और िजसने नौकर दे नी है उसे यो य लोग नह ं मल रहे । इस लए हमारा ​ कूल ट चर और सरकार से अन र ु ोध है क वे ज द से सारा पा य म और पढ़ाई का तर का इस तरह से बदल क वह हम नौकर लेने म सहायक हो। इसी तरह कूल म ट चर भी वे रख जाएं जो आधु नक श ा के बारे म प र ू तरह से जानते ह और हम वैसा ह पढ़ाएं जो हम अ छ नौकर लेने या अ छा काम करने म सहायक हो। ध यवाद। ( Signature campaign started in November 2017 ) टूडट का नाम कूल का नाम और पता लास / रोल नंबर सगनेचर Education in Delhi Schools: Rhetoric vs. Reality. Research Report by Rakesh Raman. June 2018. Page 33 of 52