डा. विजय सोनकर शासत्ी
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दिसमबर को डलॉ आंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस है । महापरिनिर्वाण पर राजनषीवतक क्ेत् में भरषी वयग्ता एवं वयसतता दिखनषी सिाभाविक है । आज भारतषीय राजनषीवत में यह सब मानय है कि दलित मतदाताओं को डलॉ आंबेडकर के नाम पर हषी आकर्षित किया जा सकता है । समपूण्व दलित वर्ग डलॉ आंबेडकर के प्रति भरषी कृतज्ञता अर्पित करता है । जाति- उपजाति कषी सषीिाओं से अलग हटकर दलित वर्ग डलॉ आंबेडकर के नाम पर एक दिखता है । ऐसा नहीं है कि डलॉ आंबेडकर हषी एक मात् दलित नेता हुए । बाबू जगजषीिन राम और कांशषी राम जैसे राष्ट्रीय सतर के नेताओं का उदय एवं अवसान हुआ, किनतु डलॉ आंबेडकर का उस नछत् कषी तरह उदय हुआ जिसका प्रकाश दिन-रात कषी सषीिा से परे भारतषीय राजनषीवत पर सर्वदा छाया रहता है ।
डलॉ आंबेडकर का योगदान देश निर्माण से लेकर किसषी देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए उसका आवशयक औजार संविधान के निर्माण तक विस्तृत है । रिजर्व बैंक, विद्ुत एवं जल निगम, श्रम कलयाण एवं रोजगार विभाग, महिला उतथान एवं दलित उतथान के साथ हषी ऐसे कई प्रकार के दर्जनों विभाग बनाने में डलॉ आंबेडकर का हषी योगदान था । आज आवशयकता है कि यह वर्तमान या आने वालषी पषीढ़षी को इसकषी जानकारषी हो कि अवसर तो अनयों को भषी मिला पर अपने असषीवित संसाधनों के बाद भषी किस दलित नेता ने देश और दलित समाज के लिए कया किया? आज देश में योगयतायुकत दलित समाज के लोगों कषी किषी नहीं है । आज दलित वर्ग के बच्चे भषी प्रतियोगिताओं में किसषी से भषी काम नहीं है । उससे अधिक हषी अस्सी-नबबे प्रतिशत अंक प्रापत दलित युवकों को मायूस होते सामानय रूप से देखा जा सकता है ।
आरक्ण योगयता या अयोगयता का नहीं, बसलक प्रतिनिधिति के विषय के रूप में सपषट दिखाई देने लगा है । दलित वर्ग के प्रति निम्न,
हषीन, अयोगय, गिरा हुआ समाज इतयावद जैसषी सथावपत मानसिकता से यदि सेष सथायषी रूप से मुकत हो जाये तो आरक्ण का औचितय समापत हो जायेगा । जब तक दलितों के प्रति उकत सथावपत मानसिकता से देश मुकत नहीं होता, तब तक तो दलित प्रतिनिधिति के लिए आरक्ण का होना आवशयक है ।
आज उच्च नयायायिक सेवाओं में आरक्ण न होने से वह दलितों का नगणय प्रतिनिधिति, दलितों के प्रति भेदभाव एवं उनहें अवसर से
वंचित रखने का सबसे बड़ा उदहारण है । लाखों प्रकरणों को लंबित रखते हुए नयावयक वयिसथा पर भ्रषटाचार का आरोप लगाने वाले एक उच्च नयायालय के दलित नयायाधषीश के विरुद्ध तिरित कार्यवाहषी और उसे भ्रषटाचार कषी जांच हेतु ऊंचषी आवाज से बोलने के लिए गिरफतार
करके जेल में डाल देना कया यहषी गैर दलित नयायाधषीशों का उचित वयिहार है?
डलॉ बषी आर आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस कषी स्मृति में राषट्र निर्माण में डलॉ आंबेडकर के योगदान एवं उनके द्ारा बनाये गए भारत कषी आतंरिक संरचना में सितंत्ता, समानता और बंधुति के संवैधानिक उदघोष को चरित्ाथ्व करने का समबल लिया जाये । डलॉ आंबेडकर के द्ारा आरक्ण के प्रावधानों को योगयता और अयोगयता से न जोड़ते हुए, उसे
प्रतिनिधिति, सहभागिता या सबको अवसर कषी उपलबधता से जोड़कर देखा जाये । ऐसे में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदषी के ' सबका साथ-सबका विकास, सबका विशिास ' के आवाह्न को एक सकारातिक कार्य के रूप देखा जा सकता है । �
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