BISWAS Nov 1 Issue 18 | Page 158

"वैक्सीन सर्टीफ़िकेट" या "वैक्सीन पास्पोर्ट" या "वैक्सीन"-आधारित "डिजिटल हेल्थ कार्ड" असली हो या नक़ली - ये आपको, आपके बच्चों को, आने वाली नस्लों को, पूरे समाज को हमेशा के लिए ग़ुलाम बनाएगा।

"वैक्सीन सर्टीफ़िकेट"/ "वैक्सीन पास्पोर्ट"/ "वैक्सीन"-आधारित "डिजिटल हेल्थ कार्ड" व्यवस्था दुनिया के सभी संविधानों का ख़ात्मा कर रही है और लोकतंत्र का समूल विनाश कर रही है।

भारत में संवैधानिक व्यवस्था और लोकतन्त्र मरणासन्न है।

बची खुची सामाजिक/सांस्कृतिक स्वतंत्रता भी ख़त्म हो जाएगी "वैक्सीन सर्टीफ़िकेट"/ "वैक्सीन पास्पोर्ट"/ "वैक्सीन"-आधारित "डिजिटल हेल्थ कार्ड" से।

"वैक्सीन पास्पोर्ट" दरअसल फ़ाशिस्ट "न्यू वर्ल्ड ऑर्डर" का प्रवेश पत्र है जो व्यक्ति की सामाजिक/सांस्कृतिक पहचान को ख़त्म करके उस पर एक दमघोंटू डिजिटल जेल के क़ैदी की पहचान थोपता है।

"वैक्सीन पास्पोर्ट" व्यवस्था से बनाई जा रही डिजिटल जेल यदि पूरे समाज पर थोप दी गई तो इस जेल से भाग निकलने का कोई रास्ता नहीं बचेगा।

इस समय सम्पूर्ण विश्व में जो जन-आंदोलन चल रहे हैं वो दरअसल आर पार की लड़ाई है इस शैतानी "वैक्सीन पास्पोर्ट" व्यवस्था के ख़िलाफ़।

भारत में भी आज करोड़ों लोगों को ये बात समझने की ज़रूरत है कि "वैक्सीन पास्पोर्ट" व्यवस्था हम सब की ग़ुलामी और मौत का सामान है।

इस व्यवस्था को पूरे समाज पर थोपे जाने से पहले रोक लो - वर्ना ग़ुलामी और मौत हमारा भाग्य है।

नक़ली "वैक्सीन सर्टीफ़िकेट" बनवाना या बनवाने की सलाह देना मूर्खतापूर्ण और अनिष्टकारी है।

कपिल बजाज

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कपिल बजाज