BISWAS Nov 1 Issue 18 | Page 146

हरित क्रान्ती

एक अभिशाप यां क्रान्ती?

भारत में हरित क्रांति उस अवधि को संदर्भित करती है जब भारतीय कृषि अधिक उपज देने वाले बीज की किस्मों, ट्रैक्टर, सिंचाई सुविधाओं, कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग जैसे आधुनिक तरीकों एवं प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण एक औद्योगिक प्रणाली में परिवर्तित हो गई थी।

जिस तरा खाने की वस्तुओँ मे कीटनाशक बड़ते गए, उसी तरह हमारी बिमारीयां भी बड़ती गई। कैंसर, डाएबिटीज़ और अन्य कई बिमारीयां इन्ही की देन है।

हमे सवस्थ रहने के लिए कीटनाशकों की नही बल्कि सवस्थ आहार की जरुरत है। कया सरकार ने कभी इन कीटनाशकों पर रोक लगाई है? जो सरकार खुद हमें दिन रात यह ज़हर खिला कर बिमार कर रही है, वो हमें आज की बिमारी से बचा कयों रही है? कभी सोचा है?

जो सरकार आपके मोहल्लों में शराब के ठेके एवं तम्बाकु खुलेआम बेचने का लाईसेंस उपलब्द करा रही है, उसको आपके स्वास्थ्य की चिंता कब से होने लगी... कबी सोचा है?

सरकार आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य के बारे में कभी नही सोचेगी इसलिए आप खुद सोचे और भगवान के दिए आहार को चुने और खुदके स्वास्थ की चिंता खुद करें।

Hormones के साथ छेड़छाड़ की जा रही है, GMO खाद्द पदार्थ बनाए जा रहे है जो गंभीर बिमारीयों को पैदा कर रहे हैं। तो सवाल यह है कि हम खाएं क्या?

जो भी खाने की वस्तु कुदरती तौर पर पैदा हो (जैसे की फल, सबजीया) उसे वैसा ही खाया जाएं तो काफी हद तक इन गंभीर बिमारीयों से बचा जा सकता है क्पोकि इनमें phytonutrients पाए जाते है जो आपके शरीर की आपूर्ती को पुरा करते हैं और आपकी बिमारीयों को reverse करने की क्षमता रखते हैं।

Dr.Pankaj Sital

हरित क्रान्ती

Dr.Pankaj Sital

B.A.M.S (Ayurvedacharya)

Medical Nutritionist

Member I.N.O