तो ये अधिकारी किस कानून के आधार पर तरह-तरह के फतवे जारी कर रहे हैं? आपदा प्रबंधन अधिनियम भी किसी जिला कलेक्टर को लोगों का राशन बंद करने का अधिकार नहीं देता है. नागरिकों के मौलिक अधिकारों के साथ इस तरह के खेल पूरी तरह से असंवैधानिक हैं. सवाल एक टीकाकरण का नहीं है, बल्कि प्रशासन के अधिकारी, आम आदमी के मूल अधिकारों को किसी भी कारण से फ्रीज कैसे कर सकते हैं? और मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री इसे बढ़ावा क्यों देते हैं !! निरंकुशवाद, जिसे दमनशाही कहा जा सकता है, वह इससे भिन्न नहीं हो सकती!
पैसा और पद आज राज्य में आदमी को अंधा कर रहा है. वैक्सीन निर्माताओं ने शुरू में कहा था कि वैक्सीन केवल 20 रुपये में दी जा सकती है, लेकिन बाद में जब वही वैक्सीन 400 रुपये में खरीदी गई, तो लगता है कि इसमें बड़ी कमीशनखोरी हुई है! और आश्चर्य की बात यह कि इस महा-भ्रष्टाचार पर कोई कुछ बोल ही नहीं रहा है!
वृद्धावस्था में मरना दुख की बात नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, आम लोगों का जीवन कठिन होता जा रहा है. इसे कैसे नियंत्रित किया जाए? यही असली सवाल है.
लेखक:
प्रकाश पोहरे
संपादक : दैनिक देशोन्नती तथा हिंदी दैनिक राष्ट्रप्रकाश,,
98225 93921
आपदा प्रबंधन अधिनियम भी किसी जिला कलेक्टर को लोगों का राशन बंद करने का अधिकार नहीं देता है.