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क्या सरकार की तरफ से वैक्सीन मैंडेटरी है

क्या कानून है वैक्सीन लगवाने को लेकर

यदि आप इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं तो आप सही जगह पर है

क्योकि वैक्सीन आपको लगाना है और यह आपका हक़ कि आप जाने वैक्सीन के बारे में और उससे रेलेटेड क़ानून के बारे में

क्योंकि सरकार की तरफ से वैक्सीन को मैंडेटरी नहीं किया गया है लेकिन सरकारी संस्थाओं के कुछ अफसर अपनी साख या अपने रुतबे के चक्कर में लोगों को यह दिखा रहे हैं कि टीका हर व्यक्ति के लिए मैंडेटरी है क्योंकि लोगों को जो भी बातें सुनाई देती है ऑर्डर दिखाई देते हैं वह सरकारी तत्वों की तरफ से होते हैं और यह सरकारी तत्व इस तरह के फरमान लोगों पर जारी कर देते हैं की आम लोगों को लगने लगता है कि वैक्सीन मैंडेटरी है

उदाहरण के तौर पर ले तो दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी एक फरमान जारी किया है कि दिल्ली सरकार में काम करने वाले लोगों के लिए की उन्हें वैक्सीन लगवानी पड़ेगी अगर वह वैक्सिंग लगा कर नहीं आते हैं तो उन्हें ऑफ ऑफिस में घुसने नहीं दिया जाएगा देखने से आपको लगता होगा कि तुगलकी फरमान है

इस बात को सुप्रीम कोर्ट कहता है सरकार के बड़े नुमाइंदे कहते हैं कि टेके को किसी पर जबरदस्ती से नहीं लगाया जाना चाहिए।

लेकिन यह तुगलकी फरमान देने से पहले क्या यह फरमान देने वाली सरकार है या कोई सरकारी अफसर या कोई ऑर्गेनाइजेशन यह क्यों भूल जाती हैं देश में कानून व्यवस्था है लोगों के कुछ मौलिक अधिकार भी है। यहां तक कि डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने भी कह दिया है कि 15 अक्टूबर तक तो आप लोग ऑफिस में अलाउड है लेकिन 16 अक्टूबर से आप लोग को बगैर वैक्सीन लगवाए ऑफिस में अलाव नहीं किया जाए यह जो डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी है क्या यह संविधान से ऊपर है क्या यह किसी कानून के दायरे में नहीं आती हैं

लेकिन भारतीय कानून के संविधान में अगर अनुच्छेद 21 को देखा जाए तो लोगों के मूल अधिकारों का हनन हो रहा है कोई नहीं देख रहा कि व्यक्ति की राइट ऑफ़ चॉइस क्या है वह क्या चाहता है जब सरकार एंड डब्ल्यू एच ओ सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, यह कह रहा है कि वैक्सीन मैंडेटरी नहीं है वह स्वेच्छा से इंसान लगवा सकता है तो यह कुछ एजेंसियां या कुछ लोग कैसे कह सकते हैं

जी हां कुछ कंपनियां कह सकते हैं वह अपने नए कानून और कानून के विरुद्ध जाकर ,वह भी लिखित में, आर्डर बनाकर लोगों पर कैसे लागू कर सकते हैं

मैंने बिल्कुल नहीं कह रहा हूं कि आप वैक्सीन मत लगाइए वैक्सीन आपकी इच्छा है आपको अच्छी लगती है आपको अच्छी नहीं लगती है यहां मेरी कोई व्यक्तिगत मत नहीं है लेकिन मैं यहां पर संविधान के खिलाफ जा रहे संविधान के ही लोग, सरकारी लोग, ऐसे लोग जिनके सहारे संविधान चलता है, अगर वही लोगों के खिलाफ जाकर, राइट चॉइस जो व्यक्ति का होता है उसके खिलाफ जाकर कुछ कार्य करेंगे तो लोगों को परेशानी होना लाजमी है.