Basant 10 Feb 3013 | Page 34

सुरेश चौधरी

अतिथि रचना

स्वागतम स्वागतम नव बसंत सु-स्वागतम

पीत पीत वसुंधरा पोषित नव कुसुम अनुपम |

नव-किसलय नव्-पल्लव वासित उपवन नूतन

नव हर्ष आनंदित नव प्रिया उर –तरु मिलन |

पक्षी विचर रहे शुभ व्योम पर हर्षातिरेक

चंहु दिशा नवोत्कर्ष छाया विशेष अभिषेक |

उन्मत पंकज मकरंद रस निपात अति मधुर

अनंग वृन्द चोष चोष पिबम स्वर कामातुर |

नील व्योम स्फटिक रजनीश संग तारांगन

चंहु ओर अति उमंग अनुराग प्रीत प्रांगन |

मिलन मधुर आलिंगन मधुर मधुरा रस पान

प्रेयसी की प्यास मधुर बसंत हुई सुख खान |

ख़ुशी अनन्त है, नयन चपल अयन दिगंत है

ह्रदय प्रियंत है, आये कन्त हैं, बसंत है |

अमिय रस रसवंति, हरी-भरी धरा बसंती

पुष्प पुष्प रच रहे चित्र विचित्र लाजवंती |

ऋतुराज क्षुब्ध हो करे युवा आह्वाहन

छोड़ बसंती आलिंगन कर देश भावालिंगन |

अंतराल के विकट प्रहरी करे गुंजित देश

क्षितिजपट पर अरुणिमा लिए ‌‌‌‌वयूष विशेष |

प्रातः की लालिमा ले सुप्त राष्ट्र जगाना है

बसंत तो फिर मने अनाचार मिटाना है |

युगदृष्टा समावेष्ट जग केशरिया वसना

त्याग फाग रंग इस वर्ष हो राष्ट्र चेतना |