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कर्नाटक चुनाव और भाजपा
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र्नाटक में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार तंत्र पूरी तरह से सवरिय हो चुका है । राजय में आगामी 10 मई को मतदान होगा । चुनाव को लेकर भाजपा काफी गंभीर है और भाजपा अपनी पूरी ताकत से पुनः सरकार बनाने के लिए प्रयत्नशील है । राजय में अगर भाजपा की सरकार पुनः सत्् संभालती है तो यह एक ऐतिहासिक घटना होगी । भाजपा को मिल रही बढ़त को रोकने के लिए कांग्ेस , जेडीएस सहित अनय विपक्ी दल पूरी कोशिश कर रहे हैं । विशेष रूप से कांग्ेस जहां मुस्लम मतदाताओं को अपने खेमे में करने के लिए पुरजोर कोशिश में हैं , वही जेडीएस अपनी इज्जत बचाने के लिए हर प्रयत्न करने में जुटी हुई है । राजय में चुनावी माहौल के बीच में कई नेता टिकट न मिलने के कारण अपने दल को छोड़कर दूसरे दल में जाकर शरण ले रहे हैं और ऐसे नेता किसी भी तरह से और किसी भी प्टटी से टिकट हासिल करके चुनाव मैदान में उतरने के लिए भागदौड़ में वय्त हैं । इसके बावजूद भाजपा चुनाव परिणाम को लेकर संतुषट है । भाजपा की यह संतुसषट राजय में मौजूद दलित , वनवासी एवं पिछड़े वर्ग से मिल रहे प्रबल समर्थन के कारण है । राजय में मुखय रूप से लिंगायत , वोकालिगग् , दलित , आदिवासी , पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) और मुस्लम बड़े वोट बैंक हैं । लेकिन यहां धय्र देने लायक बिंदु यह है कि कर्नाटक में खटिक जाति को अनय पिछड़ा वर्ग में रखा गया है । दवक्ण भारत में खटिक जाति को कटिका समाज के रूप में जाना जाता है । यह समाज मूल रूप से मांस का वय्पार करने वाले लोग होते है । उत्र भारत में जिनहें खटिक कहा जाता है , उनहें दवक्ण के राजयों मुखयतः कर्नाटक , तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कटिक कहा जाता है ।
खटिक या कातिक समाज को कई राजयों में अनय पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) की सूची में तो 12 राजयों में इनहें अनुसूचित जाति ( एससी ) की श्ेणी में रखा गया है । ि््ति में खटिक जाति भारतीय उपमहाद्ीप के साथ ही दवक्ण एशिया में वय्पक रूप से फैली हुई है । भारत , नेपाल , प्वक्त्र और बांगल्देश में इनकी आबादी है । भारत में यह मुखय रूप से गुजरात , बिहार , उत्र प्रदेश , पश्चम बंगाल , राज्र्र , मधय प्रदेश , तेलंगना , हरियाणा , आंध्र प्रदेश , पंजाब , महार्षट्र , दिलली , झारखंड , तमिलनाडु और कर्नाटक में निवास करते हैं । भारत में अधिकांश खटिक हिंदू हैं , जबकि प्वक्त्र और बांगल्देश में जय्दातर खटिक मुस्लम हैं ।
आरक्ण वयि्र् के अंतर्गत खटिक जाति को कुछ राजयों में अनुसूचित जाति , तो कहीं अनय पिछड़् वर्ग के रूप में सूचीबद्ध किया गया है । गुजरात , बिहार , झारखंड , छत्ीसगढ़ , आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इनहें ओबीसी के रूप में िगटीकृत किया गया है , जबकि उत्र प्रदेश हिमाचल प्रदेश राज्र्र पंजाब हरियाणा महार्षट्र और पश्चम बंगाल में इनहें अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है । ि््ति में भाजपा भी खटिक
जाति की राजनीतिक शक्त का अनुमान लगाने में कहीं पीछे रही है । इसलिए खटिक जाति के प्रतिनिधिति का पर्यापत मौका नहीं मिल पाया , विशेष रूप से दवक्ण भारत में खटिक जाति की राजनीतिक-सामाजिक शक्त को भाजपा अब तक समझने में असफल ही रही है , जबकि उत्र भारत की तरह दवक्ण भारत में भी खटिक जाति किसी से पीछे नहीं है । फिलहाल कर्नाटक में भी अपनी-अपनी प्टटी को छोड़कर दूसरे दलों में शामिल होने वाले नेताओं की एक लमबी सूची को बहुत आराम से देखा जा सकता है । भाजपा भी इसकी अपवाद नहीं है । इसके बावजूद कर्नाटक में भाजपा अपने क्ययों और उपलब्धयों को लेकर मैदान में है । भाजपा को र्षट्रीय ्ियं सेवक संघ सहित अनय संघटनों का पूरा सहयोग मिल रहा है । भाजपा , संघ को अगर दूर भी कर दिया जाये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो अपना वोट बैंक है , वही राजय में जीत का बड़ा आधार बनेगा । प्रधानमंत्री मोदी का यह वोट बैंक उन योजनाओं से पैदा हुआ है , जो योजनाएं देश भर में दलित , पिछड़े और गरीब जनता के लिए सुखद अनुभूति का कारण बनी हैं । पिछले नौ वर्ष के दौरान मोदी सरकार की विभिन्न योजनाओं ने गरीब , दलित और पिछड़े वर्ग की जनता को विकास की राह में आगे आने और साथ चलने का मौका दिया है और यही जनता प्टटी और विचारधारा से परे होकर सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ी हुई है । कर्नाटक में भी गरीब , दलित और पिछड़े वर्ग की वह जनता जो केंद्र संचालित योजनाओं का लाभ लेकर समाज की मुखय धारा से जुडी है , वह प्रधानमंत्री मोदी अर्थात भाजपा के साथ खड़ी हुई हैं । ऐसे में भाजपा छोड़कर जा रहे नेताओं को जनता के इस वर्ग से सबक लेना ही होगा अनयर् उनका अपना वजूद ख़तम हो जायेगा और इसमें कोई संदेह भी नहीं है ।
राजय में हुए पिछले चुनाव की विशेषता यह रही थी कि जय्दा वोट प्रतिशत हासिल करने के बाद भी कांग्ेस को भाजपा से कम सीटें मिलीं थीं । 224 सीटों में कांग्ेस को 38.14 वोट प्रतिशत के साथ 80 सीटें मिली थीं तो भाजपा को 36.35 वोट प्रतिशत के साथ 104 सीटें प्रापत हुई थी । 18.3 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ जेडीएस को 37 सीटें मिली थी । इस प्रकट पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्ेस को 42 सीटों का नुकसान हुआ तो जेडीएस को 03 सीटों का नुकसान हुआ , लेकिन भाजपा को 64 सीटों का लाभ मिला था । अबकी बार यह तो निश्चत हो चुका है कि कांग्ेस और जेडीएस अलग-अलग ही चुनाव मैदान में हैं और कांग्ेस एवं जेडीएस दोनों ही एक-दूसरे को भाजपा की ‘ बी-टीम ’ बता कर मतदाताओं को अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रहे हैं , जिससे दोनों दलों की जमीनी स्रवत का आंकलन भलीभांति किया जा सकता है । फ़िलहाल भाजपा अपनी पूरी शक्त ओर रणनीति से चुनाव मैदान में है और उममीद यही है कि भाजपा राजय में एक नए इतिहास को रचने में पूर्ण रूप से सफल होगी ।
vizSy 2023 3