Abhilaasha | Page 4

दो तोते दो तोते एक साथ बडे हुए . एक ददन तेज आंधी आई और दोनों बबछु ड गए . एक तोता चोरों की बस्ती में पहुुँच गया और दूसरा ऋषि के आश्रम में . दोनों वहीीँ रहने लगे . एक ददन नगर का राजा शिकार पर ननकला . वह चोरों की बस्ती के पास पहुंचकर सरोवर के ककनारे लेटकर आराम करने लगा . इतने में ककसी की क क ि वाणी सुनकर उसकी नींद टू ट गयी . यह आवाज ककसी तोते की थी . वह कह रहा था - अरे यहाुँ कोई है . इसके गले में हीरे और मोनतयों की माला है . इसकी गदकन दबाकर माला ननकाल लो और लाि को झाडडयों के पीछे गाड दो . तोते को यह सब बोलते देखकर राजा कु छ डर गया और वहां से ननकल पडा . आगे एक आश्रम आया . वह अन्दर गया तो एक तोता बोला - आइये श्रीमान . बैदिये . प्यास लगी है तो िंडा पानी लीजजये और भूख लगी है तो मीिे फल खाइए . राजा ने देखा कक इस तोते का रंग रूप बबलकु ल चोर बस्ती वाले तोते जैसा था . उसने पूरी बात ऋषि को बताई तो ऋषि बोले - यह तो संगनत का असर है राजन . इसके प्रभाव से पिु-पक्षी भी नहीं बच सकते ~ अज्ञात