जय जन भारत
जय जन भारत जन- मन अभिमत
जन गणतंत्र विधाता
जय गणतंत्र विधाता
गौरव भाल हिमालय उज्जवल
हृदय हार गंगा जल
कटि विंध्याचल सिंधु चरण तल
महिमा शाश्वत गाता
जय जन भारत ...
हरे खेत लहरें नद-निर्झर
जीवन शोभा उर्वर
विश्व कर्मरत कोटि बाहुकर
अगणित-पद-ध्रुव पथ पर
जय जन भारत ...
प्रथम सभ्यता ज्ञाता
साम ध्वनित गुण गाता
जय नव मानवता निर्माता
सत्य अहिंसा दाता
जय हे- जय हे- जय हे
CONTRIBUTED BY:
-GEETHANJALI 8D
टीचर होती एक परी
टीचर होती एक परी
सिखाती हमको चीज नई
कभी सुनाती एक कविता
कभी सुनाती एक कहानी
करे कभी जो हम शैतानी
कान पकड़े, याद आए नानी
अच्छे काम पर मिले शाबासी
टीचर बनाती मुझे आत्मविश्वासी
टीचर होती एक परी
सिखाती हमको चीज नई
माँ की ममता
जन्म दात्री
ममता की पवित्र मूर्ति
रक्त कणो से अभिसिंचित कर
नव पुष्प खिलाती
स्नेह निर्झर झरता
माँ की मृदु लोरी से
हर पल अंक से चिपटाए
उर्जा भरती प्राणो में
विकसित होती पंखुडिया
ममता की छावो में
सब कुछ न्यौछावर
उस ममता की वेदी पर
जिसके
आँचल की साया में
हर सुख का सागर!
कविताए