A flip through hindi clone_1 | Page 3

सच्चे घर‌

मुझको देदो प्यारी अम्मा,

दो दो के दो सिक्के।

उन सिक्कों से बनवाऊंगा,

दो सुंदर घर पक्के।

दो सुंदर घर पक्के अम्मा,

दो सुंदर घर पक्के।

इतने पक्के घुस ना पाएं

उनमें चोर उच्चके।

उनमें चोर उच्चके अम्मा,

उनमें चोर उच्चके।

अगर घुसे तो रह जाएंगे,

वे घर में ही फंसके।

अम्मा बोली दो रुपए में,

ना बनते घर पक्के।

ढेर ढेर रुपए लगते हैं,

तब घर बनते अच्छे।

कड़े परिश्रम के बल्ले से,

मारो चौके छक्के।

पैसा रहे पास में तो ही,

घर बनते हैं

सच्चे।

साल नया फिर आया

साल नया फिर आया

लो साल नया फिर आया बच्चों

इतिहास नायाब इस बार तुम रचो,

बुरी आदतें अब तुरंत तुम छोड़ो

बुरी संगत से भी अपना मुंह मोड़ो,

कर लो बच्चों तुम एक यह प्रण

सेवा में सबकी रहना है अर्पण,

मात-पिता व गुरु का सदा मान करो

उनके आदर्शों पर अभिमान करो,

पढ़-लिखकर सदा अव्वल रहना

बातें सदा तुम शालीन ही कहना,

भाई-बहन व दोस्तों से प्रेम जताना

अच्छी सोहबत को ही सफल बताना,

नए साल के नए दिन भाए

गीत खुशी के हरदम गाएं।

कविता के लिए कुछ समय

contributed by:

Sobia 8D

मुल्ला और पड़ोसी

एक पड़ोसी मुल्ला .. नसरुद्दीन के द्वार पर पहुंचा . मुल्ला उससे मिलने बाहर निकले .

“ मुल्ला क्या तुम आज के लिए अपना गधा मुझे दे सकते हो , मुझे कुछ सामान दूसरे शहर पहुंचाना है ? ”

मुल्ला उसे अपना गधा नहीं देना चाहते थे , पर साफ़ -साफ़ मन करने से पड़ोसी को ठेस पहुँचती इसलिए उन्होंने झूठ कह दिया , “ मुझे माफ़ करना मैंने तो आज सुबह ही अपना गधा किसी उर को दे दिया है .”

मुल्ला ने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि अन्दर से ढेंचू-ढेंचू की आवाज़ आने लगी .

“ लेकिन मुल्ला , गधा तो अन्दर बंधा चिल्ला रहा है .”, पड़ोसी ने चौकते हुए कहा .

“ तुम किस पर यकीन करते हो .”, मुल्ला बिना घबराए बोले , “ गधे पर या अपने मुल्ला पर ?”

पडोसी चुप – चाप वापस चला गया .

हा हा !...

contributed by:

Hari Shanjana 8D