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अभियान का हिसरा बनी है ।
भाजपा का एकसूत्ीय एजेंडा सब पर भारी
दरअसल , इस सामूहिक भूल रतुिार अभियान की सबसे बड़ी ्वजह भाजपा का हमेशा से चला आ रहा एकसूत्रीय एजेंडा है । भाजपा ने हिंदतुत्व और रा्ट््वाद के नाम पर मतदाताओं कको अपने साथ जोड़ने में कामयाबी हासिल की है । 2014 के बाद चतुना्व दर चतुना्व भाजपा ने कामयाबी की जको इबारत लिखी है , उसमें इस एकसूत्रीय एजेंडे का ही रकोि अहम है । जातिगत और धर्म के आधार पर राजनीति करने ्वाले सियासी दलों कको भाजपा ने उनही की राजनीतिक चालों में उलझाकर अपना मिशन जारी रखा । ्वहीं , राम मंदिर , धारा 370 जैसे चतुना्वी ्वादों कको पूरा कर भाजपा ने मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ और त्वश्वसनीयता कको और अधिक मजबूत किया है । तीन तलाक के खिलाफ कानून और सीएए जैसों मतुद्ों से भाजपा ने अपनी प्ारंगिकता कको कमजकोर नहीं पड़ने दिया । और ये सभी चीजें उसके एजेंडे में सत्ा में आने से पहले से ही शामिल रही हैं । सत्ा पाने के लिए भाजपा ने इसमें किसी तरह का ककोई बदला्व नहीं किया ।
बिहार और महारा्ट् जैसे उदाहरण सबके सामने हैं । नीतीश कुमार महागठबंधन का हिसरा बनकर बिहार में सरकार बना ले गए । लेकिन , कुछ ही समय बाद उनहें एनडीए में घर ्वापसी
करनी पड़ गई । कारण सप्ट है कि लालू याद्व की पाटटी आरजेडी के साथ गठबंधन करने से उन पर जातिगत राजनीति के आरकोप लगने लगे । जबकि नीतीश कुमार अपनी समा्वेशी राजनीति के लिए जाने जाते हैं । ्वहीं , नीतीश कुमार सरकार में लालू के बेटों तेजस्वी याद्व और तेजप्ताप याद्व कको उनकी वयपक्तगत कुशलताओं कको नकारते हतुए बड़े पद देने का भी सिरदर्द उनके ही खाते में आया ।
मोदी का चेहरा भाजपा का ब्रह्ास्त्र
प्िानमंत्री नरेंद्र मकोदी के चेहरे के साथ भाजपा कको नए कीर्तिमान गढ़ने में आसानी हतुई है । हालांकि महारा्ट् में भाजपा सबसे बड़ा सियासी दल हकोने के बाद भी सत्ा से बाहर है । एनडीए की पू्व्स सहयकोगी तश्वरेना के प्मतुख उद्व ठाकरे ने मतुखयमंत्री पद के लिए कांग्ेर और एनसीपी के साथ मिलकर महात्वकास आघाड़ी सरकार बना ली । लेकिन , भाजपा के्वि बाहर बैठकर त्वरकोि कर रही है । भाजपा अगले त्विानसभा चतुना्व से पहले एनसीपी या कांग्ेर कको कितना नतुकसान पहतुंचाएगी , इस पर कयास लगाने से जयादा जरूरी ये देखना है कि कांग्ेर और एनसीपी के साथ गठबंधन कर तश्वरेना ने अपनी हिंदतुत्व की राजनीति कको कमजकोर कर लिया है । अगले त्विानसभा चतुना्वों में भाजपा ' एकला चिको ' की नीति अपनाएगी , ये अभी से तय माना जा रहा
है ।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि प्िानमंत्री नरेंद्र मकोदी के चेहरे के साथ भाजपा कको नए कीर्तिमान गढ़ने में आसानी हतुई है । लेकिन , इस बात कको झतुठलाया नहीं जा सकता है कि नरेंद्र मकोदी भी भाजपा के उसी एकसूत्रीय एजेंडे कको लेकर आगे बढ़े हैं , जको हमेशा से पाटटी की ताकत रहा है । भाजपा ने जातिगत राजनीति के बजाय हिंदतुत्व कको चतुना , जिसके सहारे उसने दलित , ओबीसी , समेत सभी वर्गों कको अपने साथ जोड़ा । पाटटी के सप्ट एजेंडे की ्वजह से भाजपा कको किसी ्वग्स कको साधने की जरूरत नहीं पड़ी । हां , ये जरूर कहा जा सकता है कि जिस भाजपा पर कभी ब्ाह्मणों और बनियों की पाटटी हकोने का ठ्पा लगा था , अब उसमें हर ्वग्स के नेताओं की रतकयता बढ़ी है । पररपसथतियां दतुरूह हकोने के बाद भी भाजपा ने कभी भी अपने चतुना्वी एजेंडा से समझौता नहीं किया ।
कहना गलत नहीं हकोगा कि उत्र प्देश की जनता-जनार्दन लंबे समय से सपा , बसपा , कांग्ेर , आम आदमी पाटटी जैसे दलों की राजनीति देखती आ रही है । मुस्लिम तुष्टीकरण से लेकर रा्ट्ीय मतुद्ों पर देशत्वरकोिी पक् अपनाने तक इन सियासी दलों ने ऐसे फैसले लिए हैं , जको इनके खिलाफ ही जाएंगे । बड़ा र्वाल ये है कि क्या उत्र प्देश के मतदाताओं की नजर इस सामूहिक भूल रतुिार अभियान पर पड़ेगी या नहीं ? �
36 दलित आं दोलन पत्रिका uoacj 2021